अन्य देशों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक उंचे और स्थिर मुकाम पर : जेटली
वैश्विक अनिश्चितता के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत के लिए संकट के इस दौर से और मजबूत होकर निकलना महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य राष्ट्रों की तुलना में अधिक उंचे और स्थिर मुकाम पर है।
वित्त मंत्री ने बेंगलुरु में इन्वेस्ट कर्नाटक 2016 सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा,
‘‘आज अनिश्चितता तथा उतार-चढ़ाव दुनिया का नया नियम बन चुका है। ऐसी परिस्थितियों में भारत के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह संकट के इस दौर से और अधिक मजबूत होकर निकले।’’
जेटली ने कहा कि भारत वैश्विक संकट के लिए जिम्मेदार कुछ कारकों से कमोबेश अप्रभावित रहा है। ‘‘कच्चे तेल और धातुओं के निचले दाम हमारे अनुकूल हैं। यह अप्रत्यक्ष तरीके से हमें प्रभावित भी करता है, क्योंकि इससे हमारा निर्यात प्रभावित होता है। इससे हमारा बाजार अधिक उतार-चढ़ाव वाला बनता है, मुद्रा में भी उतार-चढ़ाव आता है। लेकिन शेष दुनिया की तुलना में हम अधिक उंचे और स्थिर स्तर पर है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि इस सुरंग में झांक कर देखें तो आगे के दो-तीन साल में विश्व अर्थव्यवस्था का उंट किस करवट बैठे इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 7-7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी।
उन्होंने कहा कि दुनिया इस समय काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रही है। इस वैश्विक स्थिति के बीच भारत पर निगाह है। इसकी वजह है। वैश्विक नरमी के दौर में भी हम मजबूती से खड़े हैं।
जेटली ने कहा कि यदि हम 2001, 2008 तथा 2015 के वैश्विक संकट को देखें तो भारत इस बात से संतुष्ट रह सकता है कि ऐसी स्थिति में भी हमने मजबूती दिखाई है।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि कोई यह उम्मीद नहीं कर सकता कि चीन हमेशा दो अंकीय वृद्धि दर्ज करता रहेगा। चीन में सुस्ती का हम पर प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा है, कुछ अप्रत्यक्ष असर देखने को जरूर मिला है। जेटली ने कहा कि वैश्विक निवेशक भारत की ओर देख रहे हैं और भारत के लिए इसपर एक आवाज में प्रतिक्रिया देना जरूरी है। ‘‘हम अपने संघवाद या लोकतंत्र को इस प्रक्रिया में बाधा नहीं बनने देंगे।’’ वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सिर्फ निवेशक सम्मेलन आयोजित करने से राज्यों को आवश्यक निवेश नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा,
‘‘ऐसे राज्यों को ही निवेश मिलेगा जिनका स्थिर प्रशासन, राजकाज के बेहतर तरीके से संचालन, स्वच्छ प्रशासन, स्थिर राजनीति और नीतियां, भूमि की सुगम उपलब्धता, प्राकृतिक संसाधन, कारोबार में सुगमता का ट्रैक रिकार्ड रहा है।’’
उन्होंने समय के साथ नवोन्मेषण के लिए कर्नाटक की सराहना करते हुए कहा कि इससे यह देश के विकास के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि गरीबी समाप्त करने का इसको पूरी तरह खत्म करने के अलावा कोई समाधान नहीं है।
कर्नाटक सरकार को वैश्विक निवेशक बैठक से काफी उम्मीद है। वह इस सम्मेलन में दो साल पहले आकर्षित 1.30 लाख करोड़ रुपये से दोगुना निवेश पाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इस बैठक के लिए रक्षा और कपड़ा सहित 14 क्षेत्रों की पहचान की गई है। आयोजकों ने बताया कि सम्मेलन के सात भागीदार देश फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, स्वीडन, जापान और दक्षिण कोरिया हैं। इस कार्यक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया तथा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, वेंकैया नायडू और अनंत कुमार भी शामिल हुए।
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