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'पातपाई ने मुझे ढूंढ़ निकाला था, मैंने नहीं'

‘यदि पेड़ वाईफाई देते, तो हम बहुत सारे पौधे रोप रहे होते, खेद है वे सिर्फ ऑक्सीजन देते हैं ' - पातपाई की कहानी

'पातपाई ने मुझे ढूंढ़ निकाला था, मैंने नहीं'

Monday July 13, 2015 , 11 min Read

यह कहानी एक साधारण कहानी पर आधारित है, जो पृथ्वी को बचा सकती है। एक पौधे में जीवन है परन्तु अक्सर इसे हम एक वस्तु मात्र के रूप में देखते हैं। एक पौधा स्वच्छ हवा से परिपूर्ण एक खूबसूरत कल का आइडिया भी है। यदि कोई व्यक्ति किसी को एक पौधा उपहार में देता है, तो वह व्यक्ति वास्तव में एक आइडिया भी उपहार में दे रहा होता है। इस प्रकार आप केवल एक पौधा ही नहीं रोपते हैं, आप एक आइडिया भी रोपते हैं। मुम्बई-आधारित पातपाई पौधा और इसके महत्व को उजागर करने के लिए एक आइडिया का उपयोग करता है। ‘प्लांट अ ट्री प्लांट एन आइडिया’ का संक्षिप्त रूप ‘पातपाई’ है।

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पातपाईडॉटकॉम के संस्थापक ऋषभ जैन योरस्टोरी से कहते हैं, ‘‘पातपाई ने मुझे ढूंढ़ निकाला था, मैंने नहीं।’’ फरवरी 2013 में वापस लौटते हैं, आर्ट ऑफ लीविंग के एक कार्यक्रम में एक संक्षिप्त कार्य अवधि के दौरान अपने कोर्स के एक हिस्सा के रूप में ऋषभ को पौधे बेचने थे। उन्होंने एक वृद्ध दम्पती को यह समझाते हुए एक पौधा दिया कि इस पौधे को अपने बेटे का नाम दें जो विदेश में रहता है और उन्हें आश्वस्त किया कि वे एक-दूसरे एवं पौधे के साथ हर रोज सुबह समय बिताया करें।

सितम्बर 2013 में, जब ऋषभ मेडिटेशन कर रहे थे, तब उनके मस्तिष्क में एक बिंब उभरा जिसमें वह अपने मित्र को एक पौधा सौंप रहे हैं, उस मित्र ने फिर अपने तीन और मित्रों को तीन पौधे दे रहा है और वे एक चेन इफेक्ट का निर्माण कर अनुकरण कर रहे हैं। उनके दिमाग में उस वृद्ध दम्पती की छवि भी उभरी, उनका पौधा अब फल देनेवाला वृक्ष हो गया था। जब वह ध्यान से बाहर आए तो उन्होंने अपने फोन पर कुछ वॉयस नोट रिकार्ड कर लिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह इसे भूलेंगे नहीं।

‘‘मैं अपने दोस्तों के बीच एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता हूं जो कि करोड़ों आइडिया के साथ आता है किन्तु एक समय के अंतराल के बाद सब कुछ भूल जाता है‘; यह एक आइडिया था कि मैं याद रखना चाहता था,’’ ऋषभ बताते हैं। उस खास दिन को वह एक मित्र से मिले जिसके साथ उन्होंने इस आइडिया पर चर्चा की और वे आश्चर्यचकित थे कि उसे यह आइडिया बहुत पसंद आई। जल्द ही, ऋषभ अपने पड़ोसियों और रिश्तदारों को पौधे उपहार देना शुरू कर दिए और महसूस किया कि वे वास्तव में पौधों को ज्यादा तरजीह नहीं दे पा रहे है। जैसे कि वह पौधा उनके पहले से उपलब्ध पौधा भंडार का एक हिस्सा बन गया हो। ऋषभ और उनके मित्र (अब सह-संस्थापक) ने एक अवधारणा को जन्म दिया जहां पौधा प्राप्तकर्ता के लिए एक विशेष मूल्य रखता हो और बिल्कुल अलग मायने रखता हो, न कि किसी कोना में चुपचाप पड़ा रहे। ‘‘मुझे मालूम है सह-संस्थापक प्रतीक जैन एक निपुण समालोचक है; अक्सर हमारे विचार विपरीत होते हैं परन्तु उससे ही हमें सर्वोत्तम विचार ढूंढ़ने में मदद मिलती है,’’ वह बतलाते हैं।

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पौधे स्वयं में बहुत शांत होते हैं। मानव और पशुओं से भिन्न उनके पास अपनी शिकायत या मांग रखने के लिए आवाज नहीं है। उन्हें एक चेहरा, एक व्यक्तित्व और एक नाम देने के क्रम में ऋषभ और प्रतीक ने एक बहुत मौलिक समाधान निकाला। पॉट को पेन्ट किया ताकि लोग पौघों से जुड़ सकें। ऋषभ कहते हैं-

‘‘एक मकान की कल्पना कीजिए जहां काले और भूरे पॉट में 20 से अधिक पौधे हैं और वहीं जहां एक पॉट में एक ही पौधा है जिस पर स्माइल पेन्ट किया हुआ है। आप तुरत स्माइली पॉट को नोटिस करेंगे। इसलिए, पौधों पर ध्यान आकर्षित करने के क्रम में हमलोगों ने विभिन्न प्रकार के डिजाइन उस पर पेन्ट किया है’’

द टीम बिहाइंड

टीम की शुरुआत हुई संस्थापक एवं पौधा विशेषज्ञ- ऋषभ - और सह-संस्थापक एवं आइडियाटॉर- प्रतीक के साथ। अब उनके पास बोर्ड भी है, ऋषभ की मॉम आरती जैन, जो लॉजिस्टिक्स, बैकेन्ड और अकाउंट्स संभालती हैं और दिलीप जैन जो कि एडवाइजर हैं। आरतीजी को चीजों को अपनी जगह पर रखने का उत्कृष्ट कौशल है। जब उन्होंने पातपाई को एक आइडिया से अभियान फिर कम्पनी बनाने तक सोचा, वह स्टॉक कीपिंग और अकाउंटिंग के लिए सबसे अच्छी विकल्प थीं। ऋषभ बताते हैं, 

‘‘रचनात्मक लोग अकाउंट्स में सबसे बुरे होते हैं और किसी कम्पनी में अकाउंट्स बहुत महत्वपूर्ण होता है। मॉम बैकेन्ड को भी निबटाती हैं जब यह टाइमलाइन्स और डिलेवरी पर आता है।’’

संस्थापक टीम चार लोगों की हो सकती है परन्तु इसमें 15 से अधिक लोग पर्दे के पीछे से सहायता करते हैं। ऋषभ कहते हैं, 

‘‘ईश्वर उन सभी पर कृपा करें जिन्हें मैंने आइडिया के साथ अपने सम्पूर्ण यात्रा के दौरान परेशान किया है। वे ऐसे व्यक्ति थेे जिन्होंने अपने व्यस्त निर्धारित कार्यक्रम से समय निकाला है और मेरे आइडिया को ध्यान से सुना है, उन्हें बेहतर बनाया है, उन्हें बढ़ावा दिया है, उन्हे बेचा है और जब मैं वहां आसपास नहीं रहता तो बिजनेस भी सम्भाला है। टीम में शामिल हैं- करिश्मा रजनी, प्रक्षल परमार, निकिता देसाई, गुंजन उतरेजा, अनीशा खटर, निशा लूल्ला, सरोज झावेरी, हितेश अमरसेदा, प्रियंका धामालिया, भूमि शाह, नेहाल, श्रेय और निकुन।’’
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पौधों के विषय में वार्तालाप में बदलाव

पातपाई का मिशन पौधों की देखभाल के संदर्भ में ग्लोबल कन्ससनेस लाना है। पौधों की देखरेख करना एक बहुत बुनियादी चीज है। किसी को भी अवश्य करना चाहिए; आखिरकार वे उसी हवा को शुद्ध करते हैं जिसे हम सांस लेते हैं और वे हमें भोजन देते हैं जो हमें जिन्दा और चलायमान रखता है। बच्चों और पशुओं की देखभाल करना लाभप्रद है क्योंकि वे शोर मचाकर, दुम हिलाकर, मुस्कुराकर आदि से स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं परन्तु एक पौधा इस प्रकार से प्रतिक्रिया नहीं दे सकता। हालांकि यदि आपको प्रेम की व्याख्या करनी है तो बदले में किसी भी चीज की उम्मीद किए बिना प्रेम करना होगा। वह आप एक पौधे के साथ क्या कर सकते हैं। इसे प्यार करें और इसकी देखभाल करें यह जानते हुए कि यह वापसी में वह आपको भी प्यार करता है परन्तु इसे दिखा नहीं सकता। हमारे विचार से पौधों की देखभाल करना एक महान आध्यात्मिक कार्य है। यह बहुत आराम देनेवाला भी है। शहरों में कई लोग कहते हैं मेरे पास पौधों के लिए जगह और समय नहीं है। ऋषभ कहते हैं -

‘‘एक अकेला पौधा मुश्किल से एक फुटबॉल के बराबर जगह लेता है; हम 90 सेकन्ड अपने दांतों को ब्रश करने में और चार घंटे लोग वाट्सएप्प (अधिकतर फन के लिए) पर समय बिताते हैं जबकि एक अकेला पौधा को सींचने में 30 सेकन्ड से भी कम समय लगता है। इसलिए जगह और समय का सवाल ही कहां उठता है? मैं दावा नहीं करता कि एक पौधा पूरे मुम्बई के प्रदूषण की समस्या का समाधान कर देगा लेकिन प्रत्येक अकेला मुम्बईवासी यदि एक पौधा की देखरेख करता है तो शहर में हम 25 मीलियन पौधों के बारे में बात कर रहे होते हैं। अब वह मुम्बई को बचा सकता है क्या आप ऐसा नहीं सोचते?’’

वह जोड़ते हैं, 

‘‘हमारा उद्देश्य जितना सम्भव हो सके अधिक से अधिक लोगों तक पातपाई को फैलाना है जिसके लिए हमें पर्याप्त साधन की आवश्यकता है। हमलोगों ने अपने उत्पाद की कीमत बहुत कम रखी है सिर्फ वैसे लोगों को आकर्षित करने के लिए जो या तो पौधों की बिल्कुल देखरेख नहीं करते, पौधा गोद लेते हैं अथवा जो उनकी अनदेखी करते हैं। हम शांत पौधों को अफॉरडेब्ल बनाना चाहते हैं। प्रत्येक के पास एक डिजाइनर पॉट में एक पौधा होना चाहिए। इलिट से लेकर वर्किंग क्लास तक। हमारे उत्पादों की कीमत 150-350 रुपये तक है। सबसे कम मूल्य का पॉट 150 रुपये का है जिसमें एक हाथ से पेन्ट किया हुआ पॉट, पौधा और पैकेजिंग शामिल है। आप सिर्फ कल्पना कर सकते हैं हमारा मार्जिन कितना कम है। हम एक सस्टेनबल वेन्चर होने के लिए ढेर सारे पौधे बेचने की आशा रखते हैं।’’

पातपाई बिजनेस मॉडल्स

बी2बी- कॉरपोरेट्स अपने सिस्टम में पौधों को शामिल कर सकते हैं क्योंकि उनके पास अपनी विशाल अधिसंरचना, लोगों का नेटवर्क और वित्तीय ताकत है। यहां तक यदि वे अपने सीएसआर गतिविधि का एक प्रतिशत भी पौधा अभियान पर खर्च करते हैं तो वे एक महान कार्य कर सकते हैं। अभियान कॉरपोरेट को तैयार करना है कि वे अपने स्टील और शीशे के बिल्डिंग को हरे पौधों से सजाएं। कर्मचारियों को पौधा उपहार में दें जिसे वे अपने टेबल पर रख सकते हैं या घर लेकर जा सकते हैं।

बी2एस- पातपाई समाज तक पहुंच रहा है। यदि बिल्डिंग और सामाजिक संगठन अपने सिस्टम में हरे का प्रयोग करते हैं तो वह बी2सी और बी2बी पर बड़े प्रभाव होंगे।

बी2सी- कोई कहीं भी घर या ऑफिस में बैठकर अपनी ओर देखकर मुस्कुराते हुए पातपाई के अजीब पौधे पर नजर डालता है और अंत में उसका आर्डर दे देता है।

पातपाई ने जो चुनौतियों का सामना किया उन प्रमुख घटनाओं की ऋषभ चर्चा करते हैं। वे फिलहाल भारत में पातपाई को प्रमोट करने के लिए ई-कॉमर्स को एक साधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं परन्तु बिक्री केन्द्र केवल मुम्बई में है। अभी हम एक स्टार्टअप है और वर्तमान में क्षणभंगुरता और सरकार के कुछ खास कानूनों के कारण कूरियर कम्पनी हमारे उत्पाद को हाथ नहीं लगा रही हैं। वितरण चैनल को आसान बनाने के लिए हमलोग कठोर परिश्रम कर रहे हैं परन्तु उसमें कुछ समय लगेगा। जहां तक अभी की बात है, हमलोग ई-कॉमर्स के माध्यम से आइडिया को प्रमोट कर रहे हैं।

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जब कला का पौधों से मिलन होता है

राजुल मेहता पातपाई की मुख्य आर्टिस्ट हैं और आर्ट डिपार्टमेन्ट की हेड हैं। आइडिया देना आसान है परन्तु क्रियान्वित करना अधिक मुश्किल है और उन्होंने ढेर सारे पॉट पर आर्ट आइडिया को क्रियान्वित किया है। वह बिल्लाबॉन्ग हाई इन्टरनेशनल स्कूल में शिक्षक हैं। इन पर समय का बहुत दबाव रहता है। इन्होंने सफलतापूर्वक 1000 पॉट्स पर विस्मयकारी पेन्टिंग की है।

ऋषभ कहते हैं -

‘‘हमलोगों ने आर्टिस्टों को खुला निमंत्रण दिया है और दो लोग हमसे जुड़ भी चुके हैं- पूजा गुलेछा शाहजामन और अलेथिया फर्नांडिस। दोनों कॉरपोरेट जॉब करते हैं और उन पर समय का दबाव रहता है लेकिन वे अपना काम अच्छी तरह मैनेज कर लेते हैं तथा नया डिजाइन निकाल लेते हैं एवं पातपाई के लिए पॉट पेन्ट करते है। लोग कस्टमाइजेशन के सम्पूर्ण आइडिया को बेहद प्यार करते हैं। कोई एक व्यक्ति नहीं है जिसने हमारे उत्पाद को पसंद नहीं किया है। हमारे एक्जीबिशन में लोगों के चेहरों को आपको गौर से देखना चाहिए। उनकी आंखें यहां का दृश्य देखकर विस्फित हो जाती हैं जब एक पौधा आंखें मटकाते हुए उन्हें देखता है या एक पौधा विशेष परिधान पहन रखा है। अपनी जरुरत के अनुसार हम डिजाइन को कस्टमाइज करने के लिए आइडिया भी लेते रहते हैं। कस्टमाइजेशन का एक सबसे शुरुआती निवेदन मुझे एक लड़की से मिला जो अपने मंगेतर के साथ एक वर्ष पूरा होने पर सेलिब्रेट करने जा रही थी; वह सब जो हम कर सकते थे वह था झेंपना और मुस्कुराना।’’

भावनाओं से सिक्त पातपाई

पातपाई के अस्तित्व में आने से पहले टीम स्कूल में जो सीखी थी उसके अलावा पौधों के बारे में कुछ नहीं जानती थी। आज उनके पास विशाल कैटेगरी के पौधे हैं। इनडोर और आउटडोर, फ्लावरिंग और नन-फ्लावरिंग जिसके अंतर्गत उप-कैटेगरी हैं जैसे उपयोग के लिए और शो के लिए। अधिकतर वैसे पौधों का वे चयन करते हैं जो हार्डी वेराइटी के हैं जिसकी देखभाल करना आसान है। अपने टारगेट ऑडिएन्स को दिमाग में रखकर वे निश्चित करते हैं लोग किस तरह के पौधों का चयन करते हैं जो देखरेख करने में कठिन नहीं हो, क्योंकि पौधा एक बार मर जाता है तो यह उस व्यक्ति के लिए मनोबल गिरानेवाला होता है कि वह दूसरा पौधा अंगीकार करे। पातपाई पौधों को सामान्य सनलाइट और पानी की जरुरत पड़ती है और वे सुन्दर हैं। यह लोगों को एक पौधे की सफलतापूर्वक देखरेख के बाद और पौधा लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। उपयोगिता-आधारित पौधों के लिए उन्हें अधिक से अधिक प्रश्न प्राप्त हो रहे हैं। लोग मेडिसिनल प्लान्ट्स, मच्छर और कीड़े-मकोड़े भगाने वाली झाड़ी, खुशबूदार पौधे, एयर प्यूरीफायर और वैसे पौधे जो वास्तु के उद्देश्य से रखे जाते हैं।

अंत में

योरस्टोरी ने ऋषभ से पूछा यदि वे पाठकों से कुछ विशेष कहना चाहेंगे। ऋषभ ने जवाब दिया- 

‘‘कल्पना कीजिए अगर पेड़ वाईफाई सिग्नल देते, तो हम इतने पेड़ लगाते जिससे कि शायद हम पृथ्वी को बचा सकतेे। खेद हैं वे सिर्फ ऑक्सीजन देते हैं जो हम सांस लेते हैं। यदि आप इस आर्टिकल को अभी पढ़ रहे हैं, तो हम आपसे विनम्र निवेदन करते हैं कि आप एक पौधा अवश्य गोद लें; इसे एक चेहरा दें, नाम दें और कम से कम 40 दिनों तक इसकी देखभाल करें और इसके आनन्द का भागीदार बनें।’’