सतत विकास लक्ष्य-12 दुनियाभर में खपत और उत्पादन के पैटर्न को दुरुस्त करने में कैसे मदद करेगा?
कूड़े के ढेर में बर्बाद होने वाला भोजन वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 8 से 10 प्रतिशत उत्पन्न करता है. साल 2019 में, वैश्विक रूप से उत्पन्न ई-कचरे की मात्रा प्रति व्यक्ति 7.3 किलोग्राम थी, जिसमें से केवल 1.7 किलोग्राम का पर्यावरणीय रूप से मैनेजमेंट किया गया था.
साल 2020 में अनुमानित तौर पर दुनिया का 13.3 फीसदी फूड फसल को काटे जाने वाले और रिटेल मार्केट में पहुंचने से पहले ही खत्म हो गया था. उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कुल भोजन (931 मिलियन मीट्रिक टन) का अनुमानित 17 प्रतिशत घरेलू, खाद्य सेवा और खुदरा स्तर पर बर्बाद हो जाता है.
कूड़े के ढेर में बर्बाद होने वाला भोजन वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 8 से 10 प्रतिशत उत्पन्न करता है. साल 2019 में, वैश्विक रूप से उत्पन्न ई-कचरे की मात्रा प्रति व्यक्ति 7.3 किलोग्राम थी, जिसमें से केवल 1.7 किलोग्राम का पर्यावरणीय रूप से मैनेजमेंट किया गया था.
उच्च आय वाले देशों में ई-वेस्ट कलेक्शन दर अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बहुत कम है. उप-सहारा अफ्रीका में केवल 1.6 प्रतिशत और लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में 1.2 प्रतिशत है.
यह जानकारी इसलिए जरूरी है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने दुनियाभर के देशों के लिए जिन 17 लक्ष्यों को सतत विकास के लिए तय किया है, यह उसमें से एक खपत और उत्पादन के पैटर्न को सतत बनाना है. SDG के 17 लक्ष्यों में 12वां सतत विकास लक्ष्य (SDG-12 या वैश्विक लक्ष्य-12) खपत और उत्पादन के पैटर्न को सतत बनाना है. यह मौजूदा और भविष्य की पीढ़ियों की आजीविका के बेहद महत्वपूर्ण है.
SDG-12 के तहत 11 लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं. ये सतत उपभोग और उत्पादन पैटर्न पर कार्यक्रमों की 10 वर्षीय फ्रेमवर्क; प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन और कुशल उपयोग को प्राप्त करना; खुदरा और उपभोक्ता स्तरों पर प्रति व्यक्ति वैश्विक फूड वेस्ट को आधे से कम करना और उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में खाद्य हानियों को कम करना, फसल के बाद के नुकसान सहित, अपने पूरे लाइफ साइकिल में केमिकल्स और सभी कचरे के पर्यावरणीय रूप से मैनेजमेंट को प्राप्त करना; रोकथाम, कमी, रिसाइकलिंग और रियूज के माध्यम से वेस्ट प्रोडक्शन को कम करना; टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करें; टिकाऊ सार्वजनिक खरीद प्रथाओं को बढ़ावा देना; और सुनिश्चित करें कि हर जगह लोगों के पास सतत विकास के लिए प्रासंगिक जानकारी और जागरूकता हो.
इसके साथ ही, विकासशील देशों को उनकी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता को मजबूत करने में सहायता करना; सतत विकास प्रभावों की निगरानी के लिए उपकरणों का विकास और कार्यान्वयन; और बाजार की विसंगतियों को दूर करना है.
दरअसल, खपत और उत्पादन के अस्थिर पैटर्न जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण के के मूल कारण हैं. ये संकट, और संबंधित पर्यावरणीय गिरावट, मानव कल्याण और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए खतरा हैं.
सरकारों और सभी नागरिकों को संसाधन दक्षता में सुधार करने, कचरे और प्रदूषण को कम करने और एक नई सर्कुलर अर्थव्यवस्था को आकार देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
Edited by Vishal Jaiswal