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ब्रिटेन में पंजाब के बस ड्राइवर की बेटी बनीं पहली सिख सांसद

प्रीत राजनीति में अपनी दिलचस्पी का श्रेय अपने पिता को देती हैं। उनके सांसद बनने की खबर सुनते ही उनके पैतृक गांव में खुशिया मनाई गईं और गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया गया।

ब्रिटेन में पंजाब के बस ड्राइवर की बेटी बनीं पहली सिख सांसद

Tuesday June 13, 2017 , 3 min Read

इंग्लैंड में हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनाव में भारत की पहली महिला सिख प्रीत गिल सांसद चुनी गई हैं। लेबर पार्टी की प्रत्याशी गिल को कुल 24124 वोट मिले और उन्होंने 6917 वोटों से बर्मिंघम ऐजबेस्टन क्षेत्र से जीत अपने नाम की।

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फोटो साभार: Sikh Sangata12bc34de56fgmedium"/>

"प्रीत गिल इस बार सांसद के चुनाव में लेबर पार्टी की तरफ से चुनी गई हैं। यूके की सेंटर लेफ्ट पार्टी लेबर पार्टी की सांसद प्रीत इसके पहले सैंडवेल क्षेत्र से काउंसिल थीं।"

जालंधर के एक गांव खेड़ा जमशेर से ताल्लुक रखने वाली प्रीत यूके में भारतीय मूल की पहली सिख महिला सांसद चुनी गई हैं। हालांकि अब उनका भारत से कोई नाता नहीं है, उनके भारत स्थित घर में कोई नहीं रहता। काफी समय पहले उनका पूरा परिवार इंग्लैंड जाकर बस गया था। प्रीत के पिता दलजीत सिंह 1962 में भारत से इंग्लैंड गए थे और वहां बस चलाने का काम करते थे। प्रीत ब्रिटेन में ही पैदा हुईं और उनकी सारी पढ़ाई-लिखाई बर्मिंघम ऐजबेस्टन में ही हुई। वह राजनीति में अपनी दिलचस्पी का श्रेय अपने पिता को देती हैं। उनके सांसद बनने की खबर सुनते ही उनके पैतृक गांव में खुशिया मनाई गईं और गुरुद्वारे में लंगर का भी आयोजन किया गया। सांसद बनने के बाद प्रीत ने कहा, 'जहां मैं बड़ी हुई और पली-बढ़ी, उस जगह का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं अपने कार्यकाल के पहले साल में सबसे रिश्ते बनाना चाहती हूं।' प्रीत की जीत पर ब्रिटेन में सिख फेडरेशन ने भी खुशी जताई है।

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"ब्रिटेन में सिख नेताओं के लिए ये जीत मील का पत्थर साबित होगी। ब्रिटेन में सिखों की तादाद अच्छी खासी है। 2011 की जनगणना के मुताबिक ब्रिटेन में सिखों की जनसंख्या साढ़े चार लाख के आसपास है।"

पिछली बार संसदीय चुनाव में इंग्लैंड की संसद में भारतीय मूल के 10 सांसद चुने गए थे। जिनमें से पांच लेबरपार्टी और पांच कंजर्वेटिपार्टी से थे। उन्होंने इस बार भी अपनी सीटें बरकरार रखी हैं। हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय मूल की कोई महिला सांसद के लिए चुनी गई। प्रीत राजनीति में काफी पहले से सक्रिय थीं और स्थानीय काउंसलर यानी पार्षद के तौर पर काम भी कर चुकी थीं। लेकिन फिर भी उनके लिए यह चुनाव जीतना इतना आसान नहीं था। क्योंकि पिछले चुनाव में यहां से लेबर पार्टी ने सिर्फ 2706 वोटों से चुनाव जीता था। हालांकि भारतीय मूल के ही कुलदीप सिंह को इस चुनाव में असफलता मिली और वे केवल 720 वोटों से हार गए।

प्रीत के अलावा भारतीय मूल के तनमनजीत सिंह भी स्लो सीट से एमपी चुने गए हैं और वो पहले पगड़ीधारी सिख होंगे जो सांसद बनेंगे। तनमनजीत सिंह भी लेबर पार्टी से ही जुड़े हैं। उन्होंने अपने विरोधी तकरीबन 17 हजार वोटों से पराजित किया। तमनजीत की जीत की खबर पाकर पंजाब में उनके पैतृक गांव रायपुर फराला में जश्न शुरू हो गया।

17 अगस्त 1978 को जन्मे तनमनजीत की उपलब्धि पर पूरा गांव गर्व कर रहा है। तनमनजीत का जन्म इंग्लैंड में हुआ, लेकिन पंजाबी संस्कार और पंजाबियत उन्हें मातृभूमि से ही मिली, क्योंकि उनकी शुरुआती शिक्षा पंजाब में हुई। तनमनजीत ने प्राइमरी तक की शिक्षा शिवालिक पब्लिक स्कूल मोहाली से प्राप्त की। मिडिल शिक्षा दशमेश एकेडमी आनंदपुर साहिब से पूरी करने के बाद इंग्लैंड चले गए। तनमनजीत सिंह के पिता जसपाल सिंह 1976 में इंग्लैंड गए थे। उन्होंने वेल्डिंग का काम सीखा और धीरे-धीरे कारोबार को बढ़ाते गए। बाद में बेटे तनमनजीत सिंह ने काम संभाला और आज उनका रियल एस्टेट और कंस्ट्रशन का करोड़ों का कारोबार है।

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