Oizom एक ऐसा स्टार्टअप जो खोलेगा सांस द्वारा फेफड़ों में उतरने वाली हवा के कई खुफिया राज़
'Oizom' एक ऐसा स्टार्टअप, जो हमारे आसपास बिखरी उस हवा की गुणवत्ता रू-ब-रू करवाता है जिसमें हम सांस ले रहे हैं। इस स्टार्टअप ने एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए ऐसे कई नये उत्पाद जारी किये हैं, जो एयर क्वालिटी की निगरानी, सूचना, विश्लेषण और भविष्य में एयर क्वालिटी सुधार के लिए सफलतापूर्वक इस्तेमाल में लाये जा सकेंगे।
"अब समय आ गया है कि आंखों को खोल कर अपने आसपास देखा जाये और यह समझने की कोशिश की जाये, कि किस प्रकार एक अदृश्य जहर पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। हमारे आसपास ऐसी कई चीज़ें हैं जो दिखाई नहीं देतीं, लेकिन हानि पहुंचाने में पूरी तरह सक्षम हैं। कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट से ये बात सामने आई है, कि दुनिया के शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में तेरह क्षेत्र भारत में स्थित हैं। यह देश के लिए बेहद चिंताजनक बात है। इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रख कर अहमदाबाद की एक तिकड़ी Oizom नामक स्टार्टअप Air Quality India app की मदद से सामाजिक हित की दिशा में पूरी तरह से लगी हुई है। साथ ही, इस स्टार्टअप ने air quality monitoring के लिए ऐसे कई नये उत्पाद जारी किये हैं, जो Air Quality की निगरानी, सूचना, विश्लेषण और भविष्य में एयर क्वालिटी सुधार के लिए सफलतापूर्वक इस्तेमाल में लाये जा सकेंगे।"
पिछले दिनों Oizom स्मार्ट सिटी के लिए 'Sparklabs' के नए एक्सीलेरेटर बैच में चुना जाने वाला एकमात्र भारतीय स्टार्टअप बन कर सामने आया है।
जिस तिकड़ी ने Oizom को शुरू किया सबसे पहले बात करते हैं उनके बारे में। तीन नौजवानों की इस तिकड़ी में अंकित व्यास, सोहिल पटेल और व्रुषांक व्यास हैं।
'Oizom' के को-फाउंडर और सीईओ अंकित व्यास ने मकैनिकल इंजीनियरिंग में NID से प्रोडक्ट डिज़ाइनिंग की डिग्री ली है। पांच साल के बिजनेस एक्सपीरियंस के साथ अंकित वेलक्रो फोटोग्राफर, कोज़ार (Cosire) इनोवेशन और IQM कॉरपोरेशन के संस्थापक भी रह चुके हैं। सोहिल पटेल 'Oizom' के मुख्य तकनीकी अधिकारी (CTO) हैं। सोहिल ने निरमा विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर की पढ़ाई की है। उन्हें IoT (इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स) उत्पादों में चार साल का अनुभव है। वे गूगल इंडिया और एज़य इंक के साथ भी काम कर चुके हैं। कंपनी के मुख्य विकास अधिकारी (CDO) व्रुषांक व्यास मकैनिकल इंजीनियरिंग के साथ-साथ MIT Pune से इंटरेक्टिव मीडिया और डिजाइन में भी ग्रेजुएट हैं।
अंकित व्यास, सोहिल पटेल और व्रुषांक व्यास बचपन के दोस्त हैं। इनकी स्कूली शिक्षा एक साथ हुई और ये तीनों सोलह साल से एक दूसरे को जानते हैं। इनका पालन-पोषण वड़ोदरा में हुआ, लेकिन इन तीनों ने अपनी छुट्टियों का अधिकतर हिस्सा अहमदाबाद में बिताया, जो कि भारत के शीर्ष दस सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। शहर बदलते रहे, लेकिन श्वांस संबंधी समस्याओं से जूझते हुए अहमदाबाद जैसे शहर ने इन्हें प्रदूषित वायु को भूलने नहीं दिया। इन तीनों को छोड़ दिया जाये, तो शहर का या फिर देश का कोई भी व्यक्ति हवा में घुले उस ज़हर को लेकर कोई खास चिंतित नहीं होता, जिसे वे अपनी सांस द्वारो फेफड़ों में पहुंचा रहे हैं। शहर के प्रदूषण ने इन तीन नौजवानों को यह जानने के लिए प्रेरित किया, कि वो क्या चीज़ है, जिसे सारा शहर अपनी सांस में घोलकर शरीर में उतार रहा है। वे अब तक समझ चुके थे, कि पहले ही बहुत देर हो चुकी है और अपनी उसी देरी को ध्यान में रखकर उन्होंने एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग को विकसित करने का निर्णय लिया। वे एक ऐसी प्रणाली विकसित करना चाहते थे, जो बड़े पैमाने पर उपयोग किये जाने के साथ टिकाऊ हो, मौजूदा समाधानों के विपरीत कम खर्चीली हो और जिसका इस्तेमाल कम ऊर्जा खपत के साथ कम जगह में किया जा सके।
इन्हीं सब सोच-विचार के साथ शुरूआत हुई एक ऐसे स्टार्टअप की, जिसे नाम दिया 'Oizom'। Oizom बैनर के साथ इस तिकड़ी ने पर्यावरण निगरानी के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र, अपना पहला उत्पाद 'पोलड्रोन' तैयार किया।
Oizom के को-फाउंडर और सीईओ अंकित व्यास कहते हैं, कि "पोलड्रोन नाम का ये एप्लीकेशन बिना ऊर्जा खर्च किये किसी भी बुनियादी ढांचे के परिवर्तनों के बगैर कम लागत पर पीएम2.5, पीएम10, एसओ2, एनओ2, सीओ, ओ3, वीओसी, हाइड्रोकार्बन और शोर जैसे प्रदूषण के विभिन्न मापदंडों को मापता है। ये पूरी तरह से सौर शक्ति से चलने वाला और कम लागत वाला वायु गुणवत्ता मॉनिटर है, साथ ही मौजूदा बुनियादी ढांचे (रेट्रोफाइट) में भी फिट बैठता है और ये किसी भी स्थान या मानवशक्ति का स्थान नहीं लेता है।"
पोलड्रोन सब्सक्रिप्शन मॉडल पर काम करता है। इस डिवाइस की ओनरशिप Oizom इंस्ट्रूमेंट्स के पास होती है और यूज़र्स से रीडिंग के आधार पर शुल्क लिया जाता है। जिन कंपनियों में डेटा जमा करने और उन्हें छाँटने के लिए टीम की कमी है, Oizom उन्हें अलग-अलग सूचनाओं के साथ स्मार्ट रिपोर्ट प्रदान करता है, जो पूर्वनिर्धारित समय और अंतराल पर उनके पंजीकृत ईमेल आईडी पर भेजे जाते हैं। कंपनी एक समर्पित टीम के साथ एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग पर नजर रखने के लिए उन्हें Oizom टर्मिनल तक पहुंच प्रदान करती है, जिसके माध्यम से यूज़र्स आसानी से डेटा का उपयोग कर सकते हैं और साथ ही पूर्ववर्ती डेटा का इस्तेमाल कर रिपोर्ट्स और पूर्वानुमान भी लगा सकते हैं।
Oizom टर्मिनल एक क्लाउड एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर है, जो वास्तविक समय पर वायु गुणवत्ता डेटा मॉडलिंग और विश्लेषण, स्वचालित रिपोर्ट, स्मार्ट नोटिफिकेशन, वास्तविक समय पर प्रदूषण मैपिंग, वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान और प्रदूषण के स्रोत की खोज जैसी कई महत्वपूर्ण क्षमताओं से उपयोगकर्ता को सक्षम बनाती है। Oizom मोबाइल एप स्थान-आधारित वायु प्रदूषण स्तर दिखाता है, जिसमें उपयोगकर्ताओं के लिए डेटा-आधारित सुझाव देने वाली गतिविधियां मौजूद हैं।
Oizom ने अब तक पूरे देश में 50 पोलड्रॉन्स स्थापित किए हैं। और कंपनी के खुले स्त्रोत वाले उपक्रम, एयरओवल को 50 से अधिक नागरिकों तक पंहुचाया गया है।
Oizom का एक कम्युनिटी प्रोजोक्ट है Airowl. ये प्रोजेक्ट इंडिया ओपनडेटा एसोसिएशन के सहयोग से काम करता है। ये प्रोजोक्ट लोगों में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए एक परियोजना के रूप में कार्य करता है। Airowl एक डी-आई-वाई किट है जिसे दस साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति संयोजित कर सकता है। इसे व्यक्तिगत एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग डिवाइस के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। ये डिवाइस एप पर सही समय पर एयर क्वालिटी वाला आंकड़ा उपलब्ध करता है और जिस हवा में साँस ली जा रही है उस हवा के बारे में बताता है। उधर दूसरी ओर, एयर क्वालिटी इंडिया एप, जो जानकारी के लिए ओपन सोर्स डेटा पर निर्भर होता है, अब पूरे देश (जहां Oizom डिवाइस स्थापित किए गये हैं) से आंकड़े लेकर एप एयर क्वालिटी डेटा से जोड़ता है। यह अन्य स्रोतों, जैसे केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के निगरानी स्टेशन के खुले उपकरणों से भी आंकड़े प्राप्त करता है। इस एप को एंड्रॉयड और आईओएस पर 5000 से ज्यादा लोगों ने स्थापित किया है।
पोलड्रोन पीडब्ल्यूसी, विप्रो, ई-स्मार्ट टेक्नोलॉजीज और टाटा समूह जैसे स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यान्वयन में लगी कंपनियों को लक्ष्य करता है। वे इन कंपनियों के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, औद्योगिक संघ और प्रत्यक्ष विपणन के माध्यम से औद्योगिक क्षेत्र की अलग-अलग कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यमों के माध्यम से ग्राहकों तक पहुचने की योजना बना रहे हैं। अंकित व्यास कहते हैं, कि "तेजी से शहरीकरण की वजह से, आंकड़े-आधारित फैसले लेने और एक स्थायी पारिस्थितिक तंत्र के लिए नीति-स्तर पर परिवर्तन के लिए तथा हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए शहर के स्तर पर इस प्रकार की बुनियादी सुविधाओं की बहुत आवश्यकता है। इसलिए, हमारा मानना है कि स्मार्ट सिटी आधारिक संरचना से जुड़ी संस्थाएं ही हमारे प्राथमिक मूल्यांकनकर्ता हैं। इसके अलावा, हरित-तकनीकी के ज्ञान क्षेत्र में गैर-सरकारी संगठन और कॉर्पोरेट सीएसआर गतिविधियां भी संभावित मूल्यांकनकर्ता हैं।" आगे अंकित कहते हैं, कि "हमारे सामने सेंसर आधारित आईओटी प्रौद्योगिकी की शुरूआत की कमी एक चुनौती है, क्योंकि कोई भी नई तकनीक यूज़र्स के मन में थोड़ा संदेह तो पैदा करती ही है।"
Oizom ने अब तक पूरे देश में 50 पोलड्रॉन्स स्थापित किए हैं। और कंपनी के खुले स्त्रोत वाले उपक्रम, एयरओवल को 50 से अधिक नागरिकों तक पंहुचाया गया है।
वायु प्रदूषण मापक यंत्र का वैश्विक बाजार लगभग 15 मिलियन डॉलर का माना जाता है, जो कि 7.5 प्रतिशत की तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान है कि भारत में यह बाजार लगभग 1 मिलियन डॉलर का है।
स्मार्ट शहरों और आईओटी के लिए Sparklabs’ के नये बैच में चुना जाने वाला Oizom एकमात्र भारतीय स्टार्टअप बन गया है। 'Sparklabs’ में 6 देशों के 14 स्टार्टअप्स को बुलाया गया और उन स्टार्टप्स के लिए 35 मिलियन डॉलर की निधि का प्रबंध किया गया। सोंगडो, दक्षिण कोरिया में होने वाला यह कार्यक्रम स्टार्टअप को फंडिंग, सलाह, ऑफ़िस स्पेस और निवेशकों और उद्यम पूंजीपतियों तक सीधे पहुंच प्रदान करता है।
अंकित व्यास अपनी बात को समाप्त करते हुए कहते हैं, कि "हम पोलड्रोन का एक उन्नत संस्करण विकसित कर रहे हैं, जो मलजल उपचार संयंत्रों जैसे स्थानों पर गंध नियंत्रण जैसे विशेष आवश्यकताओं को पूरा करेगा।"
विस्तारित अनावरण के साथ, टीम Oizom अपने स्टार्टअप को बड़े पैमाने पर करने की योजना बना रही है और इसमें औद्योगिक निगरानी बाजार को भी शामिल करने की कोशिश कर रही है। उनकी अनुसंधान और विकास टीम विकिरण और अल्ट्रा वायलेट प्रकाश जैसे तत्वों की निगरानी पर भी काम कर रही है।