जशपुर की ग्रामीण महिलाएं उगा रहीं सब्ज़ियां, मिड डे मील के लिए होती है सप्लाई
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
जश-फ़्रेश योजना के माध्यम से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है और साथ ही, आने वाली पीढ़ी का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य के साथ उन्हें सेहतमंद भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
जशपुर और आस-पास के क्षेत्रों में जश-फ़्रेश एक ब्रैंड का रूप ले चुका है। 'जश-फ़्रेश' के अंतर्गत उगाई जाने वाली सब्ज़ियां, मिड डे मील के लिए सरकारी स्कूलों द्वारा ख़रीदी जाती हैं।
नेक इरादे और पक्के हौसले, कभी भी संसाधनों के मोहताज नहीं होते। छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के 'जश-फ़्रेश' की कहानी भी कुछ इसी तरह से गढ़ी गई। इस ज़िले की कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने क्षेत्र की महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार के बच्चों की मदद का लक्ष्य साधा और उसे पूरा करके दिखाया। आपको बता दें कि कलेक्टर साहिबा द्वारा जशपुर में जश-फ़्रेश नाम से एक ख़ास योजना शुरू की गई। इस योजना की सबसे ख़ास बात यह है कि जशपुर ज़िले में विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के साथ काम कर रहीं महिलाओं को शामिल किया गया है और इन महिलाओं द्वारा किए जाने वाले सब्ज़ी उत्पादन का लाभ सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों को मिलता है।
जशपुर की डीएम प्रियंका शुक्ला ने बताया कि स्वयं सहायता समूहों में काम कर रहीं ग्रामीण महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ छात्रावासों में रह रहे छात्र-छात्राओं को अच्छा और सेहतमंद भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य के साथ प्रशासन के सहयोग से जश-फ़्रेश योजना चलाई जा रही है और 'जश-फ़्रेश' धीरे-धीरे एक स्थानीय ब्रैंड के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। प्रियंका शुक्ला मानती हैं कि जश-फ़्रेश योजना के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है और साथ ही, आने वाली पीढ़ी का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य के साथ उन्हें सेहतमंद भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रियंका का कहना है कि जल्द ही इस योजना का विस्तार पूरे ज़िले में कर दिया जाएगा और सभी ब्लॉक्स की आबादी इस योजना का लाभ उठा सकेगी।
जशपुर और आस-पास के क्षेत्रों में जश-फ़्रेश एक ब्रैंड का रूप ले चुका है। 'जश-फ़्रेश' के अंतर्गत उगाई जाने वाली सब्ज़ियां, मिड डे मील के लिए सरकारी स्कूलों द्वारा ख़रीदी जाती हैं। दुलदुला और कांसाबेल ब्लॉक में स्वयं सहायता समूहों के साथ काम कर रही करीबन 25 महिलाएं 'जश-फ़्रेश' के साथ जुड़ी चुकी हैं।
हाल में 'जश-फ़्रेश' योजना, एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाई जा रही है। ज़िला प्रशासन की पूरी कोशिश है कि जल्द से जल्द से इस योजना का लाभ पूरे ज़िले तक पहुंचाया जाए। फ़िलहाल, करीब तीस एकड़ ज़मीन से ढाई क्विंटल सब्ज़ी का उत्पादन हो रहा है। इस उत्पादन के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों को प्रतिदिन 8-10 हज़ार रुपए की कमाई मिल रही है। इन सब्ज़ियों का उत्पादन पूरी तरह से प्राकृतिक है और फलस्वरूप मिड डे मील में बच्चों को सेहतमंद भोजन मिल पा रहा है।
इस मुहिम की सफलता का विशेष श्रेय ज़िले की कलेक्टर प्रियंका शुक्ला को जाता है। उनकी बदौलत यह योजना तेज़ी से ज़िले के विभिन्न इलाकों में पहुंच रही है। साथ ही, स्वयं सहायता समूहों के साथ जुड़ी महिलाएं और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे इस योजना का भरपूर लाभ उठा पा रहे हैं।
देश के तमाम ज़िलों से मिड डे मील के भोजन के स्तर के संबंध में शिकायतें सामने आती रहती हैं। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें बच्चों को पर्याप्त और सेहतमंद भोजन नहीं उपलब्ध हो पा रहा है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले की यह योजना उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है। जशपुर ज़िला प्रशासन ने इस योजना के माध्यम से दूरदर्शिता और समाज के प्रति समर्पण की एक मिसाल क़ायम की है और इसकी जितनी सराहना की जाए कम है।
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