26/11: हमलावरों की जानकारी देने वाले को 50 लाख डॉलर का इनाम देगा अमेरिका
ट्रम्प प्रशासन ने आतंकवादी हमले की 10 वीं बरसी पर इस बड़े इनाम की घोषणा की जिसमें पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी ने मुंबई में छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोगों की हत्या कर दी थी।
दिसंबर 2001 में विदेश मंत्रालय ने लश्कर-ए-तयैबा को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह घोषणा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अभी हाल ही में भारत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की 10वीं बरसी मनाई। देश सहित दुनियाभर ने भारत में हुए इस बड़े आतंकी हमले की बरसी पर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर अमेरिका ने मुंबई हमले में शामिल किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी या उसकी दोषसिद्धि के लिये सूचना देने वालों को 50 लाख डॉलर (करीब 35 करोड़ रुपए) का इनाम देने की घोषणा की है। ट्रम्प प्रशासन ने आतंकवादी हमले की 10 वीं बरसी पर इस बड़े इनाम की घोषणा की जिसमें पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी ने मुंबई में छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोगों की हत्या कर दी थी।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेन्स ने सिंगापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद ये कदम उठाया है। इस मीटिंग के दौरान उन्होंने खुद से इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि मुंबई आतंकवादी हमले के 10 साल बाद भी अपराधियों को सजा नहीं मिल पाई है। विदेश मंत्रालय के रिवार्ड्स फॉर जस्टिस प्रोग्राम (आरएफजे) ने के तहत उन्होंने कहा कि मुंबई हमले को अंजाम देने वाले, हमले की साजिश रचने वाले, उसे अंजाम देने में सहायता करने वाले जैसे किसी भी शख्स की जानकारी देने वाले को 50 लाख डॉलर तक का इनाम दिया जाएगा।
बता दें कि 26 नवंबर से 29 नवंबर 2008 तक, लश्कर-ए-तयैबा से जुड़े 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई जगहों पर हमलों को अंजाम दिया था। इस हमले को लेकर विदेश मंत्रालय के रिवार्ड्स फॉर जस्टिस प्रोग्राम ने आगे कहा, "अमेरिका 2008 के मुंबई हमले के लिये जो भी जिम्मेदार है उसकी पहचान करने और उसे न्याय के दायरे में लाने के लिये अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने के लिये प्रतिबद्ध है।" गौरतलब है कि यह घोषणा मुंबई हमले में शामिल लोगों के बारे में सूचना मांगने के लिये इस तरह का तीसरा इनाम है। इससे पहले अप्रैल 2012 में भी विदेश मंत्रालय ने लश्कर-ए-तयैबा के संस्थापक हाफिज सईद और उसके संगठन के एक अन्य वरिष्ठ नेता हाफिज अब्दुल रहमान मक्की को न्याय के दायरे में लाने के लिये सूचना देने वालों को इनाम देने की घोषणा की थी।
दिसंबर 2001 में विदेश मंत्रालय ने लश्कर-ए-तयैबा को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह घोषणा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके तहत आतंकवादी गतिविधियों के लिये समर्थन में कमी लाने और विभिन्न समूहों पर आतंकवाद के कारोबार से अलग होने के लिये दबाव डालने का कारगर साधन है। मई 2005 में, संयुक्त राष्ट्र (यूएन)1267 प्रतिबंध समिति ने भी लश्कर-ए-तैयबा को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची में जोड़ा था।
आपको बता दें कि आरएफजे कार्यक्रम अमेरिकी राज्य विभाग की राजनयिक सुरक्षा सेवा द्वारा प्रशासित है। 1984 में अपनी स्थापना के बाद से, इस कार्यक्रम ने कार्रवाई योग्य जानकारी प्रदान करने वाले 100 से अधिक लोगों को $150 मिलियन से अधिक का भुगतान किया है। इन लोगों की जानकारी के आधार पर आतंकवादियों को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के तहत न्याय के दायरे में लाने और उसे रोकने में मदद मिली।
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