बिहार की मधुमिता शर्मा को गूगल ने दिया एक करोड़ आठ लाख का पैकेज
छोटे शहर की लड़की ने मारी बाजी, बिहार का नाम किया रोशन...
बिहार की राजधानी पटना के खगौल क्षेत्र की रहने वाली मधुमिता शर्मा ने एक करोड़ आठ लाख रुपए के सालाना पैकेज पर स्विट्ज़रलैंड स्थित गूगल के ऑफिस में टेक्निकल सॉल्यूशन इंजीनियर की नौकरी जॉइन की है। इतने बड़े पैकेज पर किसी बड़ी कंपनी में जॉब करने वाली वह बिहार की दूसरी ऐसी शख्सियत हैं।
मधुमिता ने गूगल के स्विट्ज़रलैंड स्थित ऑफिस में टेक्निकल सोल्युशन इंजीनियर की नौकरी ज्वॉइन भी कर ली है। इसके लिए उनको सात बार इंटरव्यू फेस करना पड़ा। ये इंटरव्यू अलग-अलग देशों से ऑनलाइन लिए गए।
कभी-कभी माता-पिता की बात न मानना भी बड़े काम का रहता है। इसके पीछे माता-पिता की मंशा खराब नहीं होती बल्कि जमाने के रंग-ढंग देखते हुए अभिभावक अपनी संतान की भलाई के लिए कुछ ऐसी हिदायतें दे देते हैं, जिसकी अनसुनी कर जीवन में कोई ऐसी सफलता हाथ लग जाती है, जिस पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। जब बच्चे कोई ऐसी सफलता हासिल कर लेते हैं, तो फिर माता-पिता भी उनकी खुशी के जश्न में शामिल हो जाते हैं। ऐसा ही हुआ है पटना (बिहार) के खगौल क्षेत्र की रहने वाली गूगल गर्ल मधुमिता शर्मा के साथ। पच्चीस वर्षीय मधुमिता को गूगल ने एक करोड़ रुपए से अधिक के सालाना पैकेज पर नौकरी दी है।
मधुमिता ने गूगल के स्विट्ज़रलैंड स्थित ऑफिस में टेक्निकल सोल्युशन इंजीनियर की नौकरी ज्वॉइन भी कर ली है। इसके लिए उनको सात बार इंटरव्यू फेस करना पड़ा। ये इंटरव्यू अलग-अलग देशों से ऑनलाइन लिए गए। स्विट्जरलैंड से तीन इंटरव्यू हुए तो सिंगापुर से एक और सिडनी से दो। इसके अलावा एक इंटरव्यू बेंगलुरु में लिया गया। इसके लिए लगभग सात महीने तक उन्हें कठिन तैयारी करनी पड़ी। गूगल ज्वॉइन करने से पहले मधुमिता को अमेज़ॉन, माइक्रोसॉफ़्ट, मर्सिडीज़ जैसी कंपनियों से भी ऑफ़र मिले थे। अभी वह बेंगलुरु की एपीजी कंपनी में काम कर रही थीं।
इससे पहले बिहार के ही वात्सल्य सिंह को माइक्रोसॉफ़्ट में एक करोड़ 20 लाख रुपए सालाना का जॉब मिला था। उस समय वात्सल्य आईआईटी खड़गपुर में पढ़ रहे थे। मधुमिता कहती हैं कि गूगल में दुनिया भर के बड़े-बड़े इंजीनिरिंग कॉलेज, यूनिवर्सिटी से निकले छात्र ही सेलेक्ट होते हैं। उनका चुना जाना सुखद है। गौरतलब है कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल आदि कुछ ऐसी बड़ी कंपनियां हैं जिनमें काम करने का हर इंजीनियर का सपना रहता है। मौका मिल जाए तो शायद कोई इन्हें छोड़ने का सपने में भी नहीं सोच सकता है।
एक वक्त में मधुमिता के पिता सुरेंद्र शर्मा उन्हें इंजीनियरिंग की शिक्षा नहीं दिलाना चाहते थे। उनका कहना था कि इंजीनियरिंग सेक्टर अब लड़कियों के लिए ठीक नहीं रह गया है। फिर उन्होंने देखा कि लड़कियां भी बड़ी संख्या में इस फील्ड में आ रही हैं। इसके बाद उन्होंने बेटी से कहा कि जाओ, तुम्हारी इच्छा है तो इंजीनियरिंग में ही एडमिशन ले लो। उसके बाद मधुमिता शर्मा ने जयपुर के आर्या कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी के 2010-2014 के बैच में कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन ले लिया।
मधुमिता बताती हैं कि जयपुर का आर्या कॉलेज ऑफ इंजीनिरिंग को प्रसिद्ध कॉलेज संस्थान नहीं है, इसके बावजूद उन्हें गूगल में काम करने का अवसर मिला है। इससे पहले बारहवीं तक उन्होंने अपने गृह नगर पटना के वाल्मी स्थित डीएवी कॉलेज से पढ़ाई-लिखाई की थी। मैथ और फ़िजिक्स उनके सबसे पसंदीदा सब्जेक्ट रहे हैं। उनको बारहवीं में करीब 86 फीसदी अंक मिले थे। छात्र जीवन में वह डिबेट कंपीटीशंस में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेती रही हैं। सुरेंद्र शर्मा सोनपुर (बिहार) में रेलवे सुरक्षा बल में सहायक सुरक्षा आयुक्त हैं। मधुमिता अपने तीन भाई-बहनों में मंझली हैं। बहन रश्मि इंदौर (म.प्र.) के अरविंदो मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। छोटे भाई हिमांशु शेखर बेंगलुरु के आरवी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से मैकनिकल इंजीनियरिंग कर रहे हैं।
मधुमिता गूगल में इतने बड़े पैकेज पर नौकरी पाने के पीछे अपने माता-पिता और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं। वैसे यह कामयाबी हासिल करने में मधुमिता की महेनत और लगन मुख्य बात रही है। मधुमिता बताती हैं कि बचपन से ही गूगल से जुड़ना उनका एक बड़ा सपना रहा है। वह जब कभी अपने इस तरह के भविष्य पर दोस्तों, सहेलियों के बीच कोई बात कहतीं तो उन्हें हल्के में लिया जाता था। उनकी सोच हमेशा सकारात्मक रही है, जिसका फल अब उन्हें मिल चुका है। अपने परिवार की वह पहली ऐसी शख्स हैं, जिन्हें विदेश में जॉब करने का अवसर मिला है।
वह इसी साल फरवरी में पहली बार अमरीका गई थीं। उनके पिता सुरेंद्र शर्मा भी कहते हैं कि बेटी का विदेश में इतना अच्छा जॉब करने जाना उनके घर-परिवार के लिए फक्र की बात है। पूर्व राष्ट्रपति ऐपीजे अब्दुल कलाम उसके सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत रहे हैं। वह हमेशा उनकी किताबें और बायोग्राफी पढ़ती रहती है। जब वह दिल्ली से फ्लाइट पकड़ने के लिए स्विट्जरलैंड को रवाना हुईं, इससे पहले पटना एयरपोर्ट पर उस वक्त उनके घर-परिवार के लोग भी मौजूद रहे।
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