जो कभी चलाता था ऑटो, राजनीति में उतरकर ऐसे बना मेयर
पीएम मोदी अक्सर अपने भाषणों में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए खुद को चाय वाला बताते हैं। ठीक उसी तरह महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरी चिंचवाड़ म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के मेयर राहुल जाधव कभी रिक्शॉ चलाया करते थे।
राहुल जाधव एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने सिर्फ दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई की है। 36 वर्षीय जाधव की पारिवारिक स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं थी इसलिए उन्हें अपना घर चलाने के लिए ऑटो रिक्शॉ चलाना पड़ता था।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टक्कर में एक नेता आ गया है। नहीं, हम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की चर्चा नहीं करने जा रह हैं, बल्कि एक ऐसे नवनिर्वाचित मेयर के बारे में बात करने जा रहे हैं जो कभी ऑटो रिक्शॉ चलाता था। पीएम मोदी अक्सर अपने भाषणों में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए खुद को चाय वाला बताते हैं। ठीक उसी तरह महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरी चिंचवाड़ म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के मेयर राहुल जाधव कभी रिक्शॉ चलाया करते थे। दिलचस्प बात ये है कि 128 सदस्यों वाले विशाल निकाय को बीजेपी ही शासित कर रही है।
राहुल जाधव एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने सिर्फ दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई की है। 36 वर्षीय जाधव की पारिवारिक स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं थी इसलिए उन्हें अपना घर चलाने के लिए ऑटो रिक्शॉ चलाना पड़ता था। इससे उन्हें रोजाना 200 रुपये की आमदनी होती थी। उन्होंने 1996 से लेकर 2003 तक 7 सालों तक रिक्शॉ चलाया। मीडिया से बात करते हुए जाधव ने बताया, 'हमारे यहां 6 सीटों वाले रिक्शॉ को बैन कर दिया गया तो मुझे वापस खेती की तरफ लौटना पड़ा। लेकिन खेती से पर्याप्त आमदनी न होने की वजह से मैं वापस ड्राइविंग के फील्ड में आ गया और एक प्राइवेट फर्म की गाड़ी चलाने लगा।'
इसी बीच जाधव का झुकाव राजनीति की तरफ हुआ और उन्होंने 2006 में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की सदस्यता ले ली। इसके बाद जब 2012 के चुनाव में वह उतरे और सभासद के रूप में जीत हासिल की। वे बताते हैं, '2012 में मैं पहली बार मनसे के टिकट पर चुनाव जीता। लेकिन 2017 में मैंने बीजेपी का दामन तथाम लिया और दूसरी बार फिर से चुनाव जीत गया।' राहुल ने अपने प्रतिद्विंदी को 3,000 वोटों से मात दी। वह बताते हैं कि एक ड्राइवर के तौर पर उन्होंने अपने जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें आम आदमी की जिंदगी की हकीकत पता है इसलिए वे राजनीति में आए।
जाधव ने मेयर पद के लिए एनसीपी के उम्मीदवार को 79 वोटों से हराया। एनसीपी उम्मीदवार को सिर्फ 32 सभासदों का समर्थन मिला। मेयर बनने के बाद जाधव की प्राथमिकता में वे सारे काम हैं जिनसे आम आदमी को लाभ मिल सकता है। वे कहते हैं कि इस औद्योगिक कस्बे में कई तरह की संभावनाएं और चुनौतियां हैं जिन पर वे ईमानदारी से काम करेंगे।
यह भी पढ़ें: मिलिए भान सिंह जस्सी से जो स्लम में रहने वाले 1000 बच्चों को दिला रहे एजुकेशन