Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

केरल का यह आदिवासी स्कूल, जंगल में रहने वाले बच्चों को मुफ्त में कर रहा शिक्षित

250 बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने वाला स्कूल...

केरल का यह आदिवासी स्कूल, जंगल में रहने वाले बच्चों को मुफ्त में कर रहा शिक्षित

Wednesday February 07, 2018 , 3 min Read

केरल का एक स्कूल आदिवासी बच्चों को नए सपने संजोने का मौका दे रहा है। यह स्कूल बच्चों को फ्री में एजुकेशन के साथ-साथ रहने और खाने की भी व्यवस्था करता है। इस स्कूल का नाम विवेकानंद रेजिडेंशियल ट्राइबल विद्यालय है जो कि केरल में पश्चिमी घाट की पहाड़ियों के बीच में स्थित है। 

विवेकानंद आदिवासी विद्यालय

विवेकानंद आदिवासी विद्यालय


स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक इतने अच्छे हैं कि वे बच्चों के साथ उनके अभिभावक जैसा व्यवहार करते हैं। जो बच्चे बड़ी कक्षाओं में पहुंच जाते हैं वे अपने जूनियर्स की देखरेख करते हैं। विवेकानंदर आदिवासी विद्यालय की शुरुआत 2002 में हुई थी। 

वैसे तो देश में सरकारी स्कूलों की हालत काफी दयनीय है, और प्राइवेट स्कूलों की फीस इतनी ज्यादा होती है कि वहां गरीब अपने बच्चों को भेजने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। लेकिन केरल का एक स्कूल आदिवासी बच्चों को नए सपने संजोने का मौका दे रहा है। यह स्कूल बच्चों को फ्री में एजुकेशन के साथ-साथ रहने और खाने की भी व्यवस्था करता है। इस स्कूल का नाम विवेकानंद रेजिडेंशियल ट्राइबल विद्यालय है जो कि केरल में पश्चिमी घाट की पहाड़ियों के बीच में स्थित है। इस स्कूल में लगभग 250 स्टूडेंट हैं, जिन्हें बिलकुल मुफ्त में शिक्षा प्रदान की जाती है।

यह स्कूल कई स्थानीय आदिवासी समुदाय बच्चों के लिए खोला गया था और यह डोनेशन पर चलता है। इस इलाके में कई सारे आदिवासी रहते हैं और कोई स्कूल न होने की वजह से बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं। अगर किसी को स्कूल जाना भी होता था तो उसे कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। इस वजह से कई सारे बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते थे। कई सारे बच्चे कुछ दिन जाने के बाद स्कूल छोड़ देते थे। इसीलिए यहां के स्कूलों में ड्रॉपआउट रेट भी काफी ज्यादा होता था। विवेकानंद स्कूल में इस समस्या का समाधान हो चुका है। अब बच्चों को चलकर स्कूल नहीं आना पड़ता बल्कि स्कूल के भीतर ही उन्हें रहने और खाने की सुविधा मिल जाती है।

image


स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक इतने अच्छे हैं कि वे बच्चों के साथ उनके अभिभावक जैसा व्यवहार करते हैं। जो बच्चे बड़ी कक्षाओं में पहुंच जाते हैं वे अपने जूनियर्स की देखरेख करते हैं। विवेकानंदर आदिवासी विद्यालय की शुरुआत 2002 में हुई थी। तब सिर्फ एक शेड और 42 बच्चों की एक क्लास हुआ करती थी। तब न आने-जाने के लिए सड़क थी और न ही बिजली की व्यवस्था। लेकिन भले लोगों से मिले दान की वजह से आज स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़कर 250 हो गई है।

कक्षा में पढ़ते बच्चे

कक्षा में पढ़ते बच्चे


अधिकतर बच्चे जंगल में पले-बढ़े होते हैं। उन्हें पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खाना, कपड़े, मेडिकल और भी कई सारी चीजें फ्री में मिलती हैं। इन बच्चों की कक्षाएं एकदम साधारण सी हैं, जिसमें लकड़ी की बेंच लगी हुई है। स्कूल में 25 लोगों का स्टाफ है। जिसमें से अधिकतर बिना सैलरी के अपनी स्वेच्छा से काम करते हैं। यहां बच्चों को किताबी पढ़ाई के अलावा पेंटिंग और डांसिंग जैसी कलाओं का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। केरल में शिक्षा पर इतना ध्यान दिया जाता है इसीलिए यह शिक्षा के मामले में राज्य में पहले नंबर पर आता है।

एक आदिवासी बच्ची हॉस्टल में

एक आदिवासी बच्ची हॉस्टल में


यह भी पढ़ें: छड़ी की मार भूल जाइए, यह टीचर बच्चों से हाथ जोड़कर मनाता है पढ़ने के लिए