नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में आएगा बदलाव : उर्जित पटेल
नोटबंदी से लघु अवधि में कुछ बाधाएं आयेंगी और जनता को असुविधा होगी, लेकिन दूरगामी परिणाम सकारात्मक हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा, कि नोटबंदी प्रक्रिया से अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने वाला प्रभाव होगा। हालांकि, लघु अवधि में इससे कुछ बाधाएं आएंगी और जनता को असुविधा होगी। उन्होंने कहा कि आत्मसंतोष की गुंजाइश काफी कम है और वित्तीय बाजारों में छिटपुट उतार-चढ़ाव से बचाव करना महत्वपूर्ण है। पटेल ने अर्ध वार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है, ‘कुछ बैंक नोटों को वापस लेने का आगे चलकर व्यापक प्रभाव दिखेगा। इससे घरेलू अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय बदलाव आने की संभावना है।’
भुगतान के डिजिटल तरीके का इस्तेमाल बढ़ने से दक्षता, जवाबदेही तथा पारदर्शिता बढ़ेगी : उर्जित पटेल
हालांकि, गवर्नर ने यह स्वीकार किया है, कि 500 और 1,000 के नोट को बंद करने से कुछ समय के लिए लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ेगी। बैंकों में पुराने नोट आज तक ही जमा किए जा सकते हैं। इससे 27 नवंबर को एक साक्षात्कार में पटेल ने कहा था कि केंद्रीय बैंक ईमानदार लोगों की परेशानियां दूर करने को प्रतिबद्ध है। पटेल ने लिखा है कि वस्तु एवं सेवा कर तथा दिवाला संहिता जैसे सुधारों से अर्थव्यवस्था का लचीलापन बढ़ेगा। घरेलू वृहद आर्थिक मोर्चे पर स्थिति स्थिर है और मुद्रास्फीति नीचे है। हालांकि पटेल ने स्वीकार किया कि हाल के समय में वृद्धि की रफ्तार कुछ कमजोर पड़ी है। उन्होंने कहा कि देश बैंकिंग में अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को अपना रहा है, लेकिन वह घरेलू प्रतिबद्धताओं की अनदेखी नहीं कर रहा है।
उधर दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है, कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा नोटबंदी में अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदलने की क्षमता है, हालांकि, इसकी वजह से जनता को कुछ असुविधा तथा वृद्धि दर पर क्षणिक विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। पर केंद्रीय केंद्रीय बैंक ने देश में बैंकों की संपत्ति (ऋण कारोबार) की गुणवत्ता में लगातार गिरावट पर चिंता जताई है। रिजर्व बैंक द्वारा भारत में 2015-16 में बैंकिंग क्षेत्र के रुझानों तथा प्रगति (आरटीपी) तथा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) के 14वें संस्करण में ये निष्कर्ष निकाले गए हैं।
रिज़र्व बैंक की रपट में कहा गया है, कि 2016-17 में कारपोरेट क्षेत्र के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार हुआ है, लेकिन कारोबार के लिए झटका लगने का जोखिम कायम है। इसके अलावा बड़े कर्जदारों की संपत्ति की गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने एफएसआर के आमुख में लिखा है कि 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने के फैसले से आगे चलकर दूरगामी बदलाव आएंगे । उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में लघु अवधि की बाधा तथा जनता को हुई परेशानी के बावजूद इससे घरेलू अर्थव्यवस्था में आगे समय के साथ बड़ा बदलाव आएगा। भुगतान के डिजिटल तरीके को अपनाने से अधिक मध्यस्थता, दक्षता लाभ बढ़ेगा तथा जवाबदेही में इजाफा होगा और पारदर्शिता भी सुधरेगी। गवर्नर पटेल ने साथ ही आगाह किया कि इसी पर संतोष कर बैठने से काम नहीं चलने वाला है। इसके साथ साथ वित्तीय बाजारों को बार-बार के उतार-चढ़ाव से बचाने की भी जरूरत है। केंद्रीय बैंक ने आगे कहा कि बैंकिंग स्थिरता संकेतकों से पता चलता है कि संपत्ति की गुणवत्ता, कम लाभ तथा तरलता में निरंतर गिरावट से बैंकिंग क्षेत्र का जोखिम ऊंचे स्तर पर हैं।
बैंकों की कारोबार वृद्धि कमजोर बनी हुई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों से पीछे हैं। प्रणाली के स्तर पर 2016-17 की पहली छमाही में बैंकों के लाभ में सालाना आधार पर गिरावट आई है।
रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, कि मार्च और सितंबर, 2016 के दौरान बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता और नीचे आई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास जोखिम वाली सम्पत्तियों के आगे पूंजी का अनुपात (सीआरएआर) निचले स्तर पर है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर निष्पादित अग्रिम (जीएनपीए) सितंबर, 2016 में बढ़कर 9.1 प्रतिशत हो गया जो मार्च में 7.8 प्रतिशत था। इससे कुल दबाव वाले अग्रिम का अनुपात 11.5 से बढ़कर 12.3 प्रतिशत हो गया है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि बड़े कर्जदारों की संपत्ति की गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
एफएसआर में कहा गया है कि कुल मिलाकर भारत की वित्तीय प्रणाली स्थिर है। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक विशेषरूप से उल्लेखनीय दबाव के स्तर पर हैं।