मुंबई के ये बिना हाथ वाले आर्टिस्ट पैर के सहारे पेंटिग बना लोगों को दे रहे प्रेरणा
25 साल के नदीम रियासत अली और 30 साल के बंदानवाज नदफ में एक चीज कॉमन है कि इन दोनों कलाकारों के पास जन्म से ही हाथ नहीं हैं। लेकिन इसके बावजूद ये अपने पैर से पेंटिग बनाकर अच्छे से अपना गुजारा कर रहे हैं। ये कलाकार अपने पैर से ब्रश पकड़ते हैं और खूबसूरत पेंटिंग बना देते हैं।
नदीम और बंदानवाज इंडियन फुट ऐंड माउथ पेंटिग आर्टिस्ट एसोसिएशन (IMFPA) के सदस्य हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन का भारतीय चैप्टर है जिसका हेडक्वॉर्टर स्विट्जरलैंड में है। नदीम पिछले 11 सालों से IMFPA के सदस्य हैं वहीं बंदानवाज तीन साल से इस संगठन से जुड़े हैं। इसके पहले ये दोनों आर्टिस्ट खुद से ही अपना गुजारा करते थे।
25 साल के नदीम रियासत अली और 30 साल के बंदानवाज नदफ में एक चीज कॉमन है कि इन दोनों कलाकारों के पास जन्म से ही हाथ नहीं हैं। लेकिन इसके बावजूद ये अपने पैर से पेंटिग बनाकर अच्छे से अपना गुजारा कर रहे हैं। ये कलाकार अपने पैर से ब्रश पकड़ते हैं और खूबसूरत पेंटिंग बना देते हैं। दोनों कलाकार इंडियन फुट ऐंड माउथ पेंटिग आर्टिस्ट एसोसिएशन (IMFPA) के सदस्य हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन का भारतीय चैप्टर है जिसका हेडक्वॉर्टर स्विट्जरलैंड में है। रियासत अली पिछले 11 सालों से IMFPA के सदस्य हैं वहीं बंदानवाज तीन साल से इस संगठन से जुड़े हैं। इसके पहले ये दोनों आर्टिस्ट खुद से ही अपना गुजारा करते थे।
माउथ ऐंड फुट पेंटिंग आर्टिस्ट संगठन के डेवलेपमेंट ऐंड मार्केटिंग हेड बॉबी थॉमस ने बताया, 'ये सभी आर्टिस्ट हमें अपनी पेंटिंग्स देते हैं जिसे स्विट्जरलैंड में एक निर्णायक समिति द्वारा जांचा-परखा जाता है। जो पेंटिंग्स चुनी जाती हैं उन्हें कैलेंडर, पोस्टकार्ड की तरह बनाकर बेचा जाता है। इन सभी आर्टिस्टों को शुरुआत में हर महीने 12,000 रुपये का स्टाइपेंड दिया जाता है। अनुभव बढ़ने के साथ ही स्टाइपेंड भी बढ़ता जाता है। हम इनकी पेंटिंग्स की बोली लगाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। इससे इन्हें और भी पैसे मिल सकेंगे।'
रियासत अली पवई में रहते हैं और बंदानवाज जोगेश्वरी में। ये दोनों अपने घर में ही बैठकर पेंटिंग बनाते हैं। IMFPA का मेंबर होने की वजह से इन्हें हर महीने स्टाईपेंड मिलता है, लेकिन ये स्वतंत्र रूप से अपनी पेंटिंग बेच सकते हैं। पेंटिंग बनाने की तैयारी करने से लेकर उसे अंतिम रूप देने का पूरा काम ये कलाकार खुद ही करते हैं। इन्होंने अपने पैरों को ही अपना हाथ बना लिया है। बंदानवाज मुस्कुराते हुए कहते हैं, 'मुझे एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग बनाना पसंद है जिसे लोग आसानी से समझ नहीं पाते हैं और असमंजस में पड़ जाते हैं।' वे एम एफ हुसैन को अपनी प्रेरणा मानते हैं। वहीं नदीम पोट्रेट्स पर काम करना पसंद करते हैं। वह कहते हैं कि उन्हें खुद का काम काफी पसंद है।
बंदानवाज की बनाई हुई पेंटिंग्स तो कई सारे बॉलिवुड स्टार्स के घरों में भी है। नदीम ने भी ऋतिक रोशन, शाहरुख खान, सलमान खान और उद्धव ठाकरे के पोर्ट्रेट्स बनाए हैं। नदीम का घर चलाने में उनके दो बड़े भाई भी मदद करते हैं, लेकिन बंदानवाज अकेले अपने खर्च पर अपनी पत्नी और एक बच्चे के साथ रहते हैं। दोनों ने एक ही स्कूल से पेंटिंग की ट्रेनिंग ली है। नदीम कहते हैं, 'मैं हमेशा से क्लास लेक्चर से दूर भागता रहता था। इसलिए जब आर्ट टीचर ने मुझे बुलाया तो मैं खुशी-खुशी उनके पास चला गया। वहां मेरी स्किल निखरी। मैंने चौथी कक्षा में शिवाजी महाराज का पोर्ट्रेट बनाया था। जिसे हर किसी ने पसंद किया था। मैंने मस्ती-मस्ती में पेंटिंग शुरू की थी, जो आज मेरा पेशा बन चुकी है।'
नदीम को मोटिवेशनल स्पीच देने के लिए भी बुलाया जाता है। वह कहते हैं, 'मैं लोगों को यह समझाना चाहता हूं कि हम कुछ न होते हुए भी बहुत कुछ कर सकते हैं। सभी अपनी क्षमताओं को दरकिनार कर छोटी-छोटी समस्याओं में फंसे रहते हैं।' पेंटिंग के अलावा भी इन दोनों कलाकारों के पास कई हुनर हैं। नदीम को डांस और स्विमिंग पसंद है। बंदानवाज भी काफी अच्छी तैराकी जानते हैं और वह कंप्यूटर हार्डवेयर की रिपेयरिंग भी कर लेते हैं। ये दो व्यक्ति हर इंसान के लिए सच्चे प्रेरणास्रोत हैं।
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