समाज की बेहतरी में जुटा 'बाइकर्स फॉर गुड', हर यात्रा का मक़सद जागरूकता फैलाना
दिल्ली शहर की सड़कों पर अकसर बाईक से देर रात ‘मौत के कलाबाजियां’ यानि स्टंट करने वाले बाइकर्स, लोगों में खौफ पैदा करते हैं। इन बाइकर्स ने सड़कों पर लोगों को इतना परेशान किया है कि हाईकोर्ट ने पुलिस और सरकार से इन पर लगाम लगाने के तरीके बताने तक के निर्देश देने पड़े। वहीं दिल्ली में ही बाइकर्स का एक ऐसा ग्रुप भी है जो लोगों को यातायात के नियमों के बारे में तो जानकारी देता ही है साथ ही समाजसेवा के कामों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इस समूह का नाम है ‘बाइकर्स फॉर गुड’। इसके सदस्य पुलिस के साथ मिलकर लोगों को यातायात के नियम बताते हैं और समाज के लिए भी कई तरह के बेहतर काम कर रहे हैं।
योर स्टोरी को ‘बाइकर्स फॉर गुड’ के संस्थापक मोहित आहूजा बताते हैं,
‘सच्चा और सही बाइकर हमेशा हेलमेट पहनकर यातायात के नियमों के मुताबिक ही बाइक चलाता है। अकसर सड़कों पर स्टंट करने वाले दरअसल बाइकर्स होते ही नहीं हैं, वे गुंडे या मवाली होते हैं जो सही बाइकर्स का नाम खराब करते हैं।’
उन्होंने बताया कि पिछले सालों में हमने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर बाइक वाले गुंडों पर लगाम कसने के लिए कई अभियान चलाए हैं। इन अभियानों में हमारे सभी बाइकर्स सुरक्षा के सभी उपकरणों के साथ और यातायात के नियमों का पालन करते हुए बाइक चलाते हैं।
कई पेशे के लोग जुड़े हैं
बाइकर्स फॉर गुड के साथ कई सौ बाइकर्स जुड़े हुए हैं, जिनमें पुरुषों के साथ महिलाओं की संख्या भी अच्छी खासी है। इनमें डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, मीडियाकर्मी, सैन्यकर्मी आदि सभी जुड़े हैं। इनको जब भी समय मिलता है ये अपनी बाइक उठाकर लंबी यात्रा पर निकल जाते हैं।
समाज सेवा करने में रहते हैं आगे
बाइकर्स फॉर गुड के सदस्य हमेशा समाज सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं। फिर चाहे पूर्व सैनिकों की आवाज उठाना हो या गरीबों को खाना खिलाना हो। इस समूह के सदस्यों ने नए साल की शुरुआत सफदरजंग अस्पताल के सामने गरीब लोगों को खाना खिलाकर की। मोहित बताते हैं,
‘बाइकर्स फॉर गुड के कुछ सदस्यों ने तय किया कि नए साल की शुरुआत पर कुछ करते हैं। हमने कुछ पैसे जमा किए और गरीब लोगों खाना खिलाने के लिए अस्पताल आ गए। इससे पहले बाइकर्स फॉर गुड के चार वर्ष पूरे होने पर पिछले साल 2 अक्तूबर को समूह के सदस्यों ने विकलांग लोगों के साथ अपनी शाम बिताई।'
मोहित बताते हैं, "हमारी हर यात्रा का कोई न कोई मकसद जरूर रहता है। हमारे साथ 10 से अधिक दूसरे बाइक समूह भी जुड़े हैं। हमारे साथ आने वाले सभी बाइकर्स अपनी सुरक्षा के साथ सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखते हैं।" उन्होंने बताया कि हमने पूर्व सैनिकों की मांग को लेकर भी बाइक चलाई है। हम उनका पूरा साथ देना चाहते हैं। इसके अलावा हम लोगों से कहते हैं कि वे सैनिकों की वर्दी जैसे दिखने वाले कपड़े न खरीदें क्योंकि ये वर्दी खरीदी नहीं बल्कि कमाई जाती है। इसके अलावा सैनिकों की वर्दी जैसे दिखने वाले कपड़ों का फायदा आतंकवादी उठा लेते हैं।