केबीसी में 6.4 लाख रुपये जीतने वाले दविंदर गरीबों को खिलाते हैं सिर्फ 5 रुपये में खाना
दविंदर केबीसी में पहुंचकर करोड़पति तो नहीं बन पाए लेकिन फिर भी उनकी कहानी ने लोगों को प्रभावित कर दिया। दविंदर ने केबीसी में 6,40,000 रुपये जीते। दविंदर हर शनिवार को अपनी इनोवा गाड़ी पर खाना रखकर गरीबों के इलाके में पहुंचते हैं और सिर्फ 5 रुपये में उनका पेट भरने का काम करते हैं।
उन्होंने मिलकर 'आप की रसोई' की शुरुआत की। इस रसोई में गरीबों को सिर्फ 5 रुपये में भरपेट खाना खिलाया जाता है। दविंदर के परिवार वाले मिलकर शुक्रवार से खाना बनाने की तैयारी करने लगते हैं। खाने के मेन्यू में सब्जी, रोटी और चावल होता है।
टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में जाकर हॉट सीट पर बैठने का सपना हर आम आदमी देखता है। इस शो में आकर करोड़पति का सपना देखने वालों की अपनी कहानी होती है। हालांकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो पैसे तो जीतते ही हैं साथ ही अपनी कहानी से लोगों का दिल भी जीत लेते हैं। हाल ही में असम की ट्यूशन टीचर बिनीता जैन ने केबीसी में एक करोड़ रुपये अपने नाम किए। बिनीता के पति आतंकवादियों के शिकार हो गए थे, उनके जाने के बाद बिनीता ने अपने दम पर न केवल बच्चों का पालन-पोषण किया बल्कि घर का खर्च भी चलाया।
बिनीता के बाद केबीसी में हिस्सा लेने वाले एक और प्रतिभागी इन दिनों खबरों में हैं। उस शख्स का नाम दविंदर सिंह है जो कि फरीदाबाद में रहते हैं। हालांकि दविंदर केबीसी में पहुंचकर करोड़पति तो नहीं बन पाए लेकिन फिर भी उनकी कहानी ने लोगों को प्रभावित कर दिया। दविंदर ने केबीसी में 6,40,000 रुपये जीते। दविंदर हर शनिवार को अपनी इनोवा गाड़ी पर खाना रखकर गरीबों के इलाके में पहुंचते हैं और सिर्फ 5 रुपये में उनका पेट भरने का काम करते हैं।
वे बताते हैं कि गुरुद्वारे में लगने वाले लंगर ने उन्हें बचपन में काफी प्रभावित किया था। उन्होंने इसे सेवा की तरह अपनाया और गरीबों का पेट भरने का संकल्प ले लिया। दविंदर आईटी प्रोफेशनल हैं। केबीसी में पहुंचकर दविंदर ने अमिताभ बच्चन से बात करते हुए कहा, 'पुणे में इन्फोसिस कंपनी में काम करते वक्त मैं घर से खाना ले जाता था और वहां सरस्वती अनाथालय में बच्चों को देता था।' उन्होंने बताया कि 2006 में दिल्ली में भूख से दो बच्चों की मौत की खबर ने उन्हें विचलित कर दिया था।
इसके बाद उन्होंने भूखे बच्चों के साथ ही गरीब लोगों को भी खाना खिलाने का संकल्प ले लिया। इस काम के लिए उनके बड़े भाई गुरुविंदर सिंह, उनके माता-पिता सतनाम कौर और मनमोहन सिंह, पत्नी नवनीत कौर और दोस्त कर्ण आगे आए। उन्होंने मिलकर 'आप की रसोई' की शुरुआत की। इस रसोई में गरीबों को सिर्फ 5 रुपये में भरपेट खाना खिलाया जाता है। दविंदर के परिवार वाले मिलकर शुक्रवार से खाना बनाने की तैयारी करने लगते हैं। खाने के मेन्यू में सब्जी, रोटी और चावल होता है।
वे फरीदाबाद के सेक्टर-28 मेट्रो स्टेशन के पास अपनी इनोवा गाड़ी में खाने का स्टॉल लगाते हैं। वैसे तो खाने का दाम 5 रुपये होता है लेकिन अगर किसी के पास पैसे नहीं होते तो उसे मुफ्त में दविंदर खाना खिलाते हैं। केबीसी में हिस्सा लेने के बाद वापस आकर दविंदर ने एनबीटी से बात करते हुए कहा, 'केबीसी से आने के बाद मुझे काफी सारे फोन आए। ये फोन बधाई देने के लिए नहीं बल्कि 'आप की रसोई' में कुछ सहयोग करने की पेशकश से जुड़े थे।' दविंदर जैसे लोग ही इस समाज में इंसानियत की उम्मीद हैं। हम उम्मीद करते हैं कि और लोग भी दविंदर से प्रेरणा लेंगे और इंसानियत होने के नाते समाज में अपना भी कुछ योगदान देंगे।
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