ये MBA लड़कियां क्यों मांग रही हैं सड़कों पर भीख?
भीख मांगती एमबीए लड़कियां...
जेब में डिग्री, हाथ में कटोरा, सड़क पर निकल पड़े हैं लाचार युवा भीख मांगने। एक जमाने में बड़े बुजुर्ग अपनी संतानों को सीख देते थे कि पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब, आज देश ऐसे हालात से गुजर रहा है कि पटना से हैदराबाद तक, दिल्ली से कोलकाता तक एमए, बीए पास, डिग्री, डिप्लोमाधारी वेश बदलकर सड़कों पर भीख मांग रहे हैं। हैदराबाद में पिछले दिनों दो ऐसी युवतियां पकड़ी गईं, जिनमें एक लंदन में एकाउंट ऑफिसर रह चुकी है, दूसरी फर्राटे से अंग्रेजी बोलती है...
पिछली जनगणना में गुजरात सरकार खुलासा कर ही चुकी है कि हमारे देश में 78 हजार ऐसे भिखारी हैं, जो 12वीं पास और डिग्री, डिप्लोमाधारी हैं।
भिखारियों को रोजगारपरक कार्यों से जोड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है, लेकिन जब तक शिक्षा नीति में फेरबदल नहीं होगा, तब तक स्किल इंडिया या भिखारी-बेरोजगारी मुक्त भारत का सपना पूरा होने से रहा।
देश में रोजगार के हालात ही कुछ ऐसे हैं कि अच्छी खासी पढ़ाई करके तमाम युवा भीख मांग रहे हैं। समाज विज्ञानी इसकी वजह आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार मान रहे हैं। पिछली जनगणना में गुजरात सरकार खुलासा कर ही चुकी है कि हमारे देश में 78 हजार ऐसे भिखारी हैं, 12वीं पास और डिग्री, डिप्लोमाधारी हैं। इसी तरह बिहार में समाज कल्याण विभाग की सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हो चुका है कि राज्य में भिखारियों पर हुए एक सर्वे में 4.5 फीसद भिखारी शिक्षित निकले हैं। वे पटना में लगभग छह सौ रुपए रोजाना भीख कमा लेते हैं। सर्वे समेकित पुनर्वास के उद्देश्य से कराया गया था।
शिक्षाशास्त्रियों और समाजशास्त्रियों का कहना है कि शिक्षा और रोजगार के बीच सही तालमेल न होने की वजह से यह दुखद हालात पैदा हुए हैं। उनकी आशंका है कि पढ़े लिखे भिखारियों की वास्तविक संख्या और अधिक हो सकती है। भिखारियों को रोजगारपरक कार्यों से जोड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है लेकिन जब तक शिक्षा नीति में फेरबदल नहीं होगा, तब तक स्किल इंडिया या भिखारी-बेरोजगारी मुक्त भारत का सपना पूरा होने से रहा। भिक्षावृत्ति को समाज में अच्छा नहीं माना जाता, इसलिए ज्यादातर उच्च शिक्षित भिखारी सर्वे के दौरान अपनी शैक्षिक स्थिति के बारे में झूठ बोलते हैं। अधिकतर मामलों में उच्च शिक्षित लोग मजबूरी में भीख मांगते हैं लेकिन कुछ समय बाद यह एक आदत बन जाती है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हुई थी कि चीन के फुजियान प्रांत के फुजोहाउ पुल पर लोगों के बीच हाथ से लिखा साईन बोर्ड लेकर एक स्नातक छात्र भीख मांगते हुए लोगों से वादा कर रहा है कि वह भीख में मिले पैसे को सफल व्यवसायी होने के बाद संबंधित दानदाता को वापस कर देगा। साईन बोर्ड पर लिखा था कि 'किसी भिखारी को अपने पैसे दान देने से बेहतर है कि मेरे जैसे ग्रेजुएट में इनवेस्ट करें।' डोनर्स के नाम, पता और कॉन्टेक्ट नंबर लिखने के लिए वह एक लॉगबुक भी साथ में रखे था।
इससे भी ज्यादा चौंकाने वाला सच हमारे देश में बार-बार सुर्खियां बनता रहा है। मसलन, गुजरात सरकार वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार खुलासा कर चुकी है कि देश में 3.72 लाख भिखारी हैं और इनमें 78 हजार ऐसे हैं जो या तो 12वीं पास हैं या फिर डिग्री, डिप्लोमाधारी। उसी वक्त यह भी बताया गया कि इन भिखारियों में 21 फीसद 12वीं पास थे तो तीन हजार ऐसे भी, जिनके पास कोई न किसी न किसी प्रोफेशनल कोर्स की डिग्री थी। इसके अलावा कई तो ऐसे रहे जो एमए, बीए की पढ़ाई पूरी कर चुके थे। यह सच आए दिन आंखों के सामने से गुजरता है कि एक चपरासी की नौकरी के लिए पीएचडी और इंजीनियरिंग की डिग्री लिए लोग आवेदन कर रहे हैं।
एक व्यक्ति को तो जब उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिली तो एक अस्पताल में वॉर्ड बॉय बन गया। वह काम भी मतलब का नहीं लगा तो वह भिखारी बन गया। अब उसे पहले से ज्यादा कमाई होती है। बताया जाता है कि उसने 30 भिखारियों की एक टीम भी बना ली है। एक ताजा चौंकाने वाली खबर हाल ही में आंध्र प्रदेश से आई है, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी को तो चमत्कृत करने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं, जबकि उसी शहर की पढ़ी-लिखी बेटियां सड़कों पर भीख मांग रही हैं।
राजधानी हैदराबाद में पिछले दिनो भीख मांगते हुए एक एमबीए पास फरजोना नाम की युवती को पकड़ा गया। वह लंदन में एकाउंट ऑफिसर की नौकरी कर चुकी हैं। वह विगत दो वर्षों से गंभीर हालात का सामना कर रही थी। पति की मृत्यु के बाद से वह आनंदबाग में अपने आर्किटेक्ट बेटे के साथ रह रही है। जब वह जिंदगी से आजिज आकर जिज्ञासा शांत करने के लिए एक बाबा के पास पहुंची तो उसने भिखारी बना दिया। इसी तरह अमेरिकी ग्रीन कार्डधारी राबिया हैदराबाद में ही एक दरगाह के सामने भीख मांगती पकड़ी गई। उसके भिखारी बनने की अलग ही कहानी है। उसके रिश्तेदारों ने ही धोखे से उसकी सारी संपत्ति हजम कर ली।
आंध्र प्रदेश के ही गुंटूर जिले में सत्ताईस वर्षीय युवक को परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। किसी तरह उसे मुंबई में काम तो मिला लेकिन बंधुआ मजदूर जैसा। उससे मुक्ति पाने के लिए वह भीख मांगने लगा। आंध्र प्रदेश में सार्वजनिक जगहों, शहर के मुख्य चौराहों पर दो महीने तक कोई भिखारी नजर नहीं आएगा, क्योंकि ट्रंप की बिटिया आ चुकी हैं।
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