अपराजिता ने रचा इतिहास, लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में पहली बार किसी स्टूडेंट को मिलेंगे तीनों मेडल
केजीएमयू में पढ़ने वाली डॉ. अपराजिता ने इतिहास रच दिया है। उन्हें इस बार के दीक्षांत समारोह में केजीएमयू के 3 सर्वोच्च मेडल समेत कुल 16 मेडल दिए जाएंगे।
यूनिवर्सिटी में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को अलग-अलग कैटिगरी में अवॉर्ड दिए जाते हैं। जिसमें चांसलर अवॉर्ड, हीवेट और यूनिवर्सिटी ऑनर मेडल शामिल होता है।
लखनऊ में ही रहने वाली अपराजिता शुरू से ही पढ़ने में अव्वल रही हैं। अपराजिता ने मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम सीपीएमटी में महिला वर्ग में 15वीं रैंक हासिल की थी।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज है जिसका नाम है किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी। अंग्रेजों के जमाने में बने इस कॉलेज से अब तक न जाने कितने डॉक्टर पढ़कर निकल चुके हैं। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी एक ही स्टूडेंट को टॉप 3 मेडल मिल गए हों। इस बार केजीएमयू में पढ़ने वाली डॉ. अपराजिता ने इतिहास रच दिया है। उन्हें इस बार के दीक्षांत समारोह में केजीएमयू के 3 सर्वोच्च मेडल समेत कुल 16 मेडल दिए जाएंगे। कॉलेज का दीक्षांत समारोह 23 दिसंबर को होगा। जिसमें अपराजिता को चांसलर, हीवेट और यूनिवर्सिटी ऑनर समेत 14 गोल्ड, दो सिल्वर मेडल व तीन अन्य अवॉर्ड मिलेंगे।
यूनिवर्सिटी में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को अलग-अलग कैटिगरी में अवॉर्ड दिए जाते हैं। जिसमें चांसलर अवॉर्ड, हीवेट और यूनिवर्सिटी ऑनर मेडल शामिल होता है। इसी सोमवार को जब टॉपर की लिस्ट तैयार हुई तो पता चला कि तीनों मेडल डॉ. अपराजिता के खाते में जा रहे हैं। हर साल 24 दिसंबर को केजीएमयू का स्थापना दिवस मनाया जाता है जिसके एक ही दिन पहले दीक्षांत समारोह का आयोजन भी है। इसमें सभी पासआउड प्रशिक्षु डॉक्टरों को डिग्री प्रदान की जाएगी और मेधावियों को पुरस्कार व मेडल वितरित किए जाएंगे।
लखनऊ में ही रहने वाली अपराजिता शुरू से ही पढ़ने में अव्वल रही हैं। अपराजिता ने मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम सीपीएमटी में महिला वर्ग में 15वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने काफी कम उम्र में यह एग्जाम क्लियर कर लिया था जिसकी बदौलत वे काफी कम समय में ही मेडिकल कॉलेज पहुंच गई थीं। यही वजह थी कि वे अपने बैच में सबसे कम उम्र वाली एमबीबीएस स्टूडेंट थी। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी। उनके पिता अजीत लखनऊ आकाशवाणी में इंचार्ज डायरेक्टर (ट्रेनिंग) के पद पर तैनात हैं। वहीं मां गृहिणी हैं। उन्होंने बताया कि अपराजिता ने उन्हें हमेशा गौरान्वित किया है। उसकी सफलता से उनका परिवार काफी खुश है।
अपराजिता को जो अवॉर्ड दिए जा रहे हैं उसमें हीवेट मेडल एमबीबीएस के फाइनल इयर टॉपर को दिया जाता है। वहीं0 चांसलर और यूनिवर्सिटी ऑनर मेडल एमबीबीएस के पांचों वर्षों में टॉप करने वाले स्टूडेंट को दिया जाता है। अपराजिता तीन-भाई बहनों में पढ़ने में सबसे तेज है। वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी है।12वीं में ही अपराजिता ने 94 प्रतिशत नंबर हासिल किए थे। शुरू से ही अपराजिता ने सोच लिया था कि उन्हें बड़े होकर डॉक्टर ही बनना है। मेधावी प्रवृत्ति की अपराजिता ने बड़े आराम से ही अपने पहले प्रयास में सीपीएमटी क्वॉलिफाई कर लिया था। अपराजिता ने इंदिरानगर के आरएलबी स्कूल से 2012 में इंटर पास किया था। किसी कोचिंग की मदद लिए बिना उन्होंने उसी साल सीपीएमटी क्वॉलिफाई किया। उन्होंने साल 2016 में एमबीबीएस पूरा किया।
सफलता का राज पूछे जाने पर डॉ. अपराजिता बताती हैं कि उन्होंने पढ़ाई बिना कोई टेंशन लिए मौज-मस्ती के साथ की है। वे हर रोज सिर्फ पांच घंटे पढ़ती थी। जब वो कुछ पढ़ती थीं तो उनका पूरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर होता था। वे हर विषय को समझती थीं। रटने पर उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया। उन्होंने एनबीटी से बात करते हुए कहा कि वह ब्रेन पर शोध कर न्यूरोसर्जन बनना चाहती हैं। न्यूरोसर्जरी में मास्टर्स और सुपर स्पेशियलिटी की डिग्री हासिल कर लखनऊ में ही प्रैक्टिस करेंगी। वहीं उनकी बहन अनुकृति की ख्वाहिश सिविल सेवा में जाने की है।
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