बजट 2018-19: जेटली के थैले पर नजर पर्यटन उद्योग की
अपनी विविधतापूर्ण संस्कृति, प्राकृतिक रमणीयता, धार्मिक पहचान और भौगोलिक बनावट की दृष्टि से भारत घुमक्कड़ी के लिए पूरी दुनिया में अलग ही स्थान रखता है। इस समय देश में लगभग दो सौ दस अरब डॉलर का पर्यटन क्षेत्र सबसे बड़ा सेवा उद्योग बन चुका है, ऐसे में स्वाभाविक है, इस क्षेत्र से जुड़े करोड़ों लोगों की भी निगाहें वित्तमंत्री अरुण जेटली के बजट-वृत्तांत पर हों। वे सरकार को अपनी मुश्किलों और जरूरतों से हाल ही में आगाह भी कर चुके हैं। उन्हें विश्वास है कि रोजगार सृजन और समावेशी विकास की दृष्टि से वित्त मंत्री बजट में पर्यटन उद्योग को जरूर प्रोत्साहित करने वाली घोषणाएं कर सकते हैं।
अब वर्ष 2018-19 का आम बजट 01 फरवरी को संसद में पेश किया जाने वाला है तो एक बार फिर इस उद्योग से जुड़े लोगों की नजर केंद्र सरकार पर जा टिकी हैं। पर्यटन उद्यमियों ने बजट आने से पूर्व कहा है कि वैश्विक बाजार में थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर जैसे क्षेत्रीय देशों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को वैश्विक दरों पर सेवाओं की पेशकश करने की जरूरत है।
हमारे देश में 210 अरब डॉलर का पर्यटन क्षेत्र सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.23 प्रतिशत और भारत के कुल रोज़गार में 8.78 प्रतिशत योगदान है। वार्षिक तौर पर लगभग पांच मिलियन विदेशी पर्यटकों का भारत में आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों का भ्रमण परिलक्षित रहता है। इस वर्ष 2018 में पर्यटन क्षेत्र में 9.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके 275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। वर्ष 2017-18 के आम बजट की संसद में घोषणा करते समय पिछले साल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि पर्यटन और तीर्थों के लिए अलग से ट्रेनें चलाई जाएंगी। छोटे शहरों में पीपीपी मॉडल के तहत एयरपोर्ट बनाए जाएंगे।
अब वर्ष 2018-19 का आम बजट 01 फरवरी को संसद में पेश किया जाने वाला है तो एक बार फिर इस उद्योग से जुड़े लोगों की नजर केंद्र सरकार पर जा टिकी हैं। पर्यटन उद्यमियों ने बजट आने से पूर्व कहा है कि वैश्विक बाजार में थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर जैसे क्षेत्रीय देशों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को वैश्विक दरों पर सेवाओं की पेशकश करने की जरूरत है। रोजगार सृजन और समावेशी विकास के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण इस क्षेत्र को अनुकूल नीतियां तथा माहौल से मदद मिल सकती है।
हॉस्पिटलिटी क्षेत्र में कर की कम दरों ने इन बाजारों को प्रमुख पर्यटन स्थल बनाया है, जबकि पर्यटकों के लिए खर्च के लिहाज से भारत नुकसान में रहा है। ढांचागत विकास पर्यटन क्षेत्र की पूर्व शर्त है। इसका अतिरिक्त फायदा निजी निवेश का आकर्षित होना तथा आर्थिक वृद्धि में तेजी भी है। घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें कम करनी चाहिए। यह अभी 2500-7500 रुपए की श्रेणी के होटल कमरों के लिए 18 प्रतिशत है, जो प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है।
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जहां तक भारत में पर्यटन परिदृश्य की बात है, भौगोलिक विविधता है, जो प्रकृति पर्यटन की किस्मों में प्रतिफलित हुई है। एशियाई हाथी, बंगाल टाइगर, एशियाई शेर, तेंदुआ और भारतीय गैंडा सहित, भारत कई तरह के विख्यात बड़े स्तनधारी जानवरों का घर है, बहुधा सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से उत्कीर्ण, प्रायः देवताओं से जुड़ा रहा है।
आज भी कई पहाड़ी सैरगाह गर्मियों के रिसॉर्ट्स बने रहते हैं। मसलन, पचमढ़ी, अरकु, गुलमर्ग, श्रीनगर, लद्दाख, दार्जिलिंग, मुन्नार, ऊटी और कोडाइकनाल, शिलांग, शिमला, कुल्लू, मसूरी, नैनीताल, गंगटोक आदि। साथ ही भारत, रजत/स्वर्णिम रेत की उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों से लेकर, लक्षद्वीप के प्रवाली समुद्र तट तक की विस्तृत श्रृंखला पेश करता है। इसी तरह ऐतिहासिक स्मारक ताज महल, स्वर्ण मंदिर, दिल्ली में बहाई मंदिर (लोटस मंदिर), मुंबई में विक्टोरिया टर्मिनस, ताज महल पैलेस आदि आज भी विश्व के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए आगामी बजट में सरकार को पर्यटन क्षेत्र के लोगों की मांगें परवान चढ़ानी चाहिए।
देश में पर्यटन को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए करों में राहत जरूरी है। रोजगार सृजन और समावेशी विकास के लिहाज से भी पर्यटन सेक्टर महत्वपूर्ण है। अनुकूल नीतियां और बेहतर माहौल इस क्षेत्र को गति दे सकते हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार की जरूरत है। पर्यटकों से केवल देश के अंदर मिलने वाली सेवाओं के लिए कर लिया जाना चाहिए। बाहर की सेवाओं पर उन्हें कर में छूट दी जानी चाहिए। ऐसा करने से विश्व पर्यटन मानचित्र पर भारत की स्थिति और मजबूत होगी। ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट भारत आएंगे।
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भारतीय पर्यटन क्षेत्र के जानकार कहते हैं कि सरकार को यात्रियों की सुरक्षा के लिए बजट में ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत है। जिस तरह पिछले कुछ महीनों में हमले हुए हैं, और क्राइम का लेवल बढ़ा है, उससे यात्रियों के मन में सुरक्षा के प्रति शंकाएं बढ़ रही हैं।
कई बार टूरिस्ट भारत की खूबसूरती देखने आते हैं और उनका सामान चोरी हो जाता है या फिर कोई ऐसी आपराधिक घटना घट जाती है जिससे वे दोबारा यहां वापस नहीं आना चाहते। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सबसे जरूरी है देश का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जाए। रेल कनेक्टिविटी, सड़कें और होटल आदि की बेहतरीन व्यवस्था हो। वे जगहें, जहां यात्री सबसे ज्यादा जाना पसंद करते हैं, वहां सुविधाएं और बढ़ाने की जरूरत है। वैश्विक स्तर पर मार्केट ब्रॉन्ड बनाने के लिए मजबूत मार्केटिंग व्यवस्था जरूरी है। उन लोगों को टैक्स में छूट देने की पहल करनी चाहिए जो लोग डिजिटल पेमेंट करते हैं।
देश को बिजनेस, ट्रैवलर्स फ्रेंडली बनाना इस सेक्टर के लिए फायदेमंद रहेगा। जैसी कि सूचनाएं मिल रही हैं, सरकार अगले महीने पेश होने जा रहे केंद्रीय बजट में यात्रा और पर्यटन क्षेत्र के करों में कटौती करने की योजना बना चुकी है। यह भी गौरतलब है कि देश के 25 करोड़ मध्य वर्ग के लोगों की आमदनी बढऩे और महंगाई दर कम होने से जीवनशैली और पैसे खर्च करने के तरीके में बदलाव आ रहा है। पिछले साल हवाई यातायात सेवाएं कई नई जगहों के लिए शुरू की गईं और हवाई यात्रा करने वालों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। चालू वित्त वर्ष में सितंबर के आखिर तक पर्यटन क्षेत्र पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। पिछले साल इस अवधि में पर्यटन क्षेत्र में आठ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पर्यटन क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में कई बड़े कदम की घोषणा सरकार कर सकती है। होटलों के किराये पर लगने वाले 28 प्रतिशत जीएसटी को कम करने के अलावा निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करने की पेशकश हो सकती है। इससे एयरलाइंस एवं होटल शृंखला के कर्मियों को सौगात मिल सकती है।
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