19 साल के इंजिनियरिंग स्टूडेंट ने बनाई सौर ऊर्जा से चलने वाली 'साइकिल कार'
19 वर्षीय इस युवा ने साइकिल में सोलर पैनल लगाकर उसे एकदम हाईटेक बना दिया है। रोशन के दिमाग में दसवीं से ही यह आइडिया था, जिसे उन्होंने अब मौका मिलने पर साकार किया है।
'इन दिनों इलेक्ट्रिक कारों की बात हो रही है तो मैंने सोचा कि क्यों ने एक साइकिल बनाई जाए जो सौर ऊर्जा से चले। मैंने एक सामान्य सी साइकिल में यह जुगाड़ फिट किया जो कि सफल रहा।'
इस हाईटेक साइकिल में दो सीट्स भी हैं जो मोटरसाइकिल से निकालकर लगाई गई हैं। साइकिल में बाइक की तरह एक्सलेटर भी लगाया गया है जिससे स्पीड कम या तेज की जा सकती है।
साइकिल का जमाना तो एक तरह से जा चुका है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य के लिहाज से देखें तो आज भी साइकिल एक सस्ता और सुलभ परिवहन का साधन है। लेकिन इसका प्रचलन खत्म होता जा रहा है। इससे लगता है कि साइकिल के क्षेत्र में अगर कुछ नई तकनीक ईजाद की जाए तो इसका जमाना फिर से वापस आ सकता है। इसी कोशिश में लगे हैं पुणे के आरएनडडी सिंहड इंजिनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले रोशन श्रीनिवास चुंबालकर। 19 वर्षीय इस युवा ने साइकिल में सोलर पैनल लगाकर उसे एकदम हाईटेक बना दिया है। रोशन के दिमाग में दसवीं से ही यह आइडिया था, जिसे उन्होंने अब मौका मिलने पर साकार किया है।
रोशन की बनाई यह साइकिल एक दिन में 25-30 किलोमीटर की दूरी आराम से तय कर लेती है। यह साइकिल सूर्य की रोशनी से ऊर्जा ग्रहण करती है और उसे बैटरी में स्टोर करती जाती है। रोशन ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, 'इन दिनों इलेक्ट्रिक कारों की बात हो रही है तो मैंने सोचा कि क्यों ने एक साइकिल बनाई जाए जो सौर ऊर्जा से चले। मैंने एक सामान्य सी साइकिल में यह जुगाड़ फिट किया जो कि सफल रहा।' रोशन की यह साइकिल रोजमर्रा के काम के लिए घर के आस-पास जाने में मदद कर सकती है। रोशन को इस साइकिल को डिजाइन करने में दो साल लगे हैं।
इस हाईटेक साइकिल में दो सीट्स भी हैं जो मोटरसाइकिल से निकालकर लगाई गई हैं। साइकिल में बाइक की तरह एक्सलेटर भी लगाया गया है जिससे स्पीड कम या तेज की जा सकती है। साइकिल के कैरियर पर एक सोलर पैनल लगाया गया है जिसके जरिए बैटरी चार्ज होती है। रोशन जल्द ही इसमें ओवरहेड कवर भी लगाने वाले हैं जिससे यह और भी सुरक्षित हो जाएगी। इसके बाद यह किसी कार की तरह दिखने लगेगी। इसकी खास बात यह है कि चढ़ाई पर भी यह साइकिल आराम से चढ़ जाती है और इससे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होती।
रोशन ने बताया कि साइकिल में लगी बैटरी को चार्ज होने में चार घंटे लगते हैं और एक बार बैटरी के फुल चार्ज होने पर यह 30 किलोमीटर तक चली जाती है। इसके अलावा अगर धूप मिलती रहे तो यह बैटरी चार्ज होती रहती है। साइकिल में दो बैटरी लगी हुई हैं। रोशन अभी पुणे से मकैनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। अभी तो रोशन ने इसे सिर्फ एक मॉडल के तौर पर पेश किया है, लेकिन आने वाले समय में वह खुद की ऐसी ही साइकिलें बनाकर बेचने के मूड में हैं। उनका कहना है कि पर्यावरण को बचाने के लिए ऐसी पहलें होनी बहुत जरूरी हैं।
रोशन ने कहा, 'मेरी दिलचस्पी नई-नई खोजें करने में हैं। मुझे ये काम पसंद है इसीलिए मैंने मकैनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूं। इस साइकिल को बनाने में मुझे काफी रिसर्च करनी पड़ी, लेकिन आखिरकार मेहनत रंग ही लाई।' उन्होंने बताया कि इसमें हर एक चीज पर बराबर ध्यान दिया गया है। यह साइकिल शहरों में इस्तेमाल के लिए बिल्कुल परफेक्ट है।
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