रेलवे की 166 साल की विरासत को सहेजकर यात्रियों को दिखाएगा गूगल
इसके जरिए रेलवे स्टेशन पर गाड़ी का इंतजार करने वाले यात्रियों को रेलवे की विरासत से रूबरू कराया जाएगा। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन की इमारत भी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में चिह्नित की गई है।
गूगल कल्चरल इंस्टीट्यूट और भारतीय रेल संग्रहालय के बीच एक करार हुआ है जिसके तहत प्रथम चरण में रेल संग्रहालय, रेवाड़ी स्थित भाप इंजन कार्यशाला का डिजिटलीकरण करके भारत की ऑनलाइन ऐतिहासिक विरासत के झरोखों में संजोया जाएगा।
इस पहल के जरिए रेलवे की धरोहर को 360 डिग्री एंगल से देखा जा सकेगा। इसके जरिए यात्री लाल किले, अजंता गुफाओं और कुतुब मीनार जैसी इमारतों को भी देखा जा सकता है।
रेलवे ने अपनी 166 साल पुरानी सांस्कृतिक धरोहर को डिजिटली संग्रहीत करने के लिए गूगल से हाथ मिलाया है। सेंट्रल रेलवे और गूगल ने मिलकर मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक कहानियों को यात्रियों को दिखाने के लिए वीडियो स्क्रीन का अनावरण किया। इसके जरिए रेलवे स्टेशन पर गाड़ी का इंतजार करने वाले यात्रियों को रेलवे की विरासत से रूबरू कराया जाएगा। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन की इमारत भी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में चिह्नित की गई है। इस इमारत का निर्माण 1887 में हुआ था। तब से लेकर अब तक यह इमारत मुंबई के इतिहास की साक्षी रही है।
भारत के सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक मुंबई के छत्रपति शिवाजी स्टेशन पर वीडियो स्क्रीन लगाने का मकसद है कि यात्रियों को रेलवे की विरासत से रूबरू कराया जाए। वर्ल्ड्स कल्चर के लिए गूगल ने एक प्लेटफॉर्म तैयार किया है जिसके माध्यम से लोगों को दुनिया की विरासत दिखाई जाती है। गूगल कल्चरल इंस्टीट्यूट और भारतीय रेल संग्रहालय के बीच एक करार हुआ है जिसके तहत प्रथम चरण में रेल संग्रहालय, रेवाड़ी स्थित भाप इंजन कार्यशाला का डिजिटलीकरण करके भारत की ऑनलाइन ऐतिहासिक विरासत के झरोखों में संजोया जाएगा।
दूसरे चरण में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कालका-शिमला खिलौना ट्रेन, ऊटी-नीलगिरि ट्रेन तथा मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन के भवन को डिजिटल रूप से संग्रहित किया जाएगा। भारतीय रेलवे लगभग 166 साल पुरानी है और रेलवे के अनेक भवन बहुत पुराने एवं भव्य हैं। उनमें से कई इमारतें विरासत की श्रेणी में रखे जाने के योग्य हैं, हालांकि औपचारिक रूप से ऐसा अभी नहीं हुआ है, पर उन्हें भी अगले चरणों में डिजिटलीकरण करके डिजिटल इतिहास में जगह दी जाएगी।
यह पहल भारत की विरासत से पूरे विश्व को परिचित कराने और आने वाली पीढि़यों के लिए उसे डिजटिलीकरण के जरिए संरक्षित करने के लिए की गई है। यह पहल गूगल और संस्कृति मंत्रालय के बीच 2012 में शुरू किए गए संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। भारतीय संस्कृति और विरासत को ऑनलाइन प्रस्तुत करने से डिजिटल इंडिया के दृष्टिकेण को वास्तविकता में बदलने के लिए बहुत सहायता होगी। इससे भारतीय पर्यटन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। गूगल कल्चरल इंस्टीट्यूट के संकलन में देश की अनोखी संस्कृति के विभिन्न पहलू मौजूद हैं, जिनमें प्राचीन स्थापत्य कला से लेकर आधुनिक समकालीन कला शामिल है। राष्ट्रीय संग्रहालय गूगल का लंबे समय से साझेदार रहा है।
गूगल और रेलवे के बीच शुरू होने वाली पहल का अनावरण मध्य रेलवे के महाप्रबंधक डी.के वर्मा और रेलवे बोर्ड के सचिव आर.के. वर्मा द्वारा किया गया। इस मौके पर गूगल के वाइलस प्रेसिडेंट बेन गोम्स भी मौजूद रहे। इस पहल के जरिए रेलवे की धरोहर को 360 डिग्री एंगल से देखा जा सकेगा। इसके जरिए यात्री लाल किले, अजंता गुफाओं और कुतुब मीनार जैसी इमारतों को भी देखा जा सकता है। गूगल के वाइस प्रेसिडेंट बेन गोम्स ने इस मौके पर कहा, 'हमें उम्मीद है कि रेलवे स्टेशन के माध्यम से सफर करने वाले हर यात्री को भारत के समृद्ध, विविध, और आकर्षक सांस्कृतिक विरासत के बारे में कुछ नया जानने को मिलेगा।'
उन्होंने कहा कि हमें भारतीय रेलवे के साथ भागीदारी करने और भारत की सबसे सक्रिय परिवहन प्रणाली के साथ प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करने पर गर्व है। रेलवे बोर्ड के सचिव आर के वर्मा ने कहा कि भारतीय रेल नए तरीके की संभावनाएं तलाश रहा है जिसके जरिए यात्रा को और सुखद बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि संस्कृति मंत्रालय का मोबाइल ऐप एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफॉर्म दोनों जगह उपलब्ध है। जिसे रेलवे स्टेशनों पर रेलटेल वाइफाई के जरिए प्रयोग किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: यह ऑटो ड्राइवर रात में अपने ऑटो को बना देता है एंबुलेंस, फ्री में पहुंचाता है अस्पताल