भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की दो नयी प्रजातियां विकसित की
गेहूं की इन दो नई प्रजातियों से एक से दो सिंचाई में 30 से 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार ली जा सकती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के इंदौर स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने देश के अलग-अलग भूभागों के लिये गेहूं की दो नयी प्रजातियां विकसित की हैं।
आईएआरआई के क्षेत्रीय केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि इस केंद्र की विकसित नयी गेहूं प्रजाति ‘पूसा उजाला’ की पहचान ऐसे प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के लिये की गयी है जहां सिंचाई की सीमित सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। इस प्रजाति से एक-दो सिंचाई में 30 से 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार ली जा सकती है।
उन्होंने बताया, कि "पूसा उजाला चपाती और ब्रेड बनाने के लिये अति उत्तम है। इस गेहूं प्रजाति में प्रोटीन, आयरन और जिंक की अच्छी मात्रा होती है।" सिंह ने बताया कि उनके केंद्र की विकसित एक और नयी गेहूं किस्म ‘पूसा तेजस’ को मध्य भारत के लिये चिन्हित किया गया है। यह प्रजाति तीन-चार सिंचाई में 55 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने में सक्षम है।
उन्होंने कहा, ‘पूसा तेजस से चपाती के साथ पास्ता, नूडल्स और मैकरॉनी जैसे खाद्य पदार्थ भी बनाये जा सकते हैं। यह प्रजाति प्रोटीन, विटामिन-ए, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध है।’ सिंह ने बताया कि उनके केंद्र की विकसित दोनों नयी किस्मों को केंद्रीय कृषि मंत्रालय की सेंट्रल वैराइटी रिलीज कमेटी की मंजूरी के बाद किसानों तक पहुंचाया जायेगा।
उन्होंने यह बताया, कि बताया कि इंदौर में आईएआरआई के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना वर्ष 1951 में हुई थी। यह केंद्र अब तक गेहूं की 27 प्रजातियां विकसित कर चुका है, जिनमें ‘पूसा उजाला’ और ‘पूसा तेजस’ शामिल हैं।