Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

चंदन के पेड़ों ने गुजरात के किसान को बनाया करोड़पति

चंदन के पेड़ों ने गुजरात के किसान को बनाया करोड़पति

Monday September 24, 2018 , 6 min Read

हमारे देश में किसान अब तेजी से अपनी खेती के तौर-तरीके बदल रहे हैं। लगता है, निकट भविष्य में कृषि की पूरी-की-पूरी पहचान ही बदल जाएगी। गुजरात और पंजाब के किसानों ने एक नई तरह की खेती की शुरुआत की है, वह है चंदन की खेती। एक किसान को तो दस लाख रुपए लगाकर पंद्रह करोड़ रुपए की कमाई हुई है।

चंदन के पेड़

चंदन के पेड़


चंदन के एक पेड़ से चालीस किलो लकड़ी मिल जाती है। इसके पौधों का शुरू में ही बीमा हो जाता है। चंदन का पेड़ पांच डिग्री सेल्सियस से पचास डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में तैयार होता है। ऐसे में गुजरात की तरह पंजाब की मिट्टी और मौसम भी चंदन के लिए अनुकूल पाए गए हैं।

अब पारंपरिक खेती से तो गुजारा होने से रहा। किसानों से खेती से अकूत कमाई का हुनर जान लिया है। गुजरात की देखादेखी, पंजाब में भी कृषि विभाग चंदन की खेती को प्रोत्साहित करने का बीड़ा उठा लिया है। वहां के किसान भी चंदन की खेती कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चंदन के पेड़ की उम्र अधिकतम तीस साल की होती है। लगभग सात-आठ साल में इसकी खुशबूदार लकड़ी आकार लेने लगती है। इसके तीन-चार साल बाद इसके पेड़ काटकर बेचने लायक हो जाते हैं। समय तो लगता है लेकिन कमाई भी बेहिसाब। इसकी लकड़ी प्रति किलो बारह हजार रुपए तक बिक रही है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत साढ़े तीन हजार रुपए से दस हजार रुपए किलो तक है। चंदन के एक पेड़ से चालीस किलो लकड़ी मिल जाती है। इसके पौधों का शुरू में ही बीमा हो जाता है। चंदन का पेड़ पांच डिग्री सेल्सियस से पचास डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में तैयार होता है। ऐसे में गुजरात की तरह पंजाब की मिट्टी और मौसम भी चंदन के लिए अनुकूल पाए गए हैं।

कुछ साल पहले गुजरात में भरूच के गांव अलवा के किसान अल्पेश पटेल ने पहली बार चंदन की खेती करने का संकल्प लिया। यह गांव सूरत से करीब सत्तर किलोमीटर दूर पड़ता है। अल्पेश ने चंदन की खेती के लिए अपनी दस लाख की पूंजी दांव पर लगा दी। उन्हें पता चला था कि पंद्रह साल में चंदन की लकड़ी बेचने पर उन्हें लागत की पचास गुना ज्यादा कमाई होगी। जब उन्होंने ऐसा करने का संकल्प लिया, काम आसान नहीं था। बात सन् 2003 की है। उस साल गुजरात सरकार ने किसानों को चंदन की खेती करने की इजाजत तो दे दी, लेकिन नए मौसम और नए माहौल में अपने खेत पर चंदन की खेती का खतरा कौन उठाए, अकेले अल्पेश ने ये रिस्क लिया। उन्होंने अपने पांच एकड़ खेत में चंदन के एक हजार पौधे रोप दिए।

शुरुआत में फसल चौपट होने लगी तो उन्होंने राज्य के कृषि अनुसंधान संस्थान ने इसका सविस्तार अनुभव प्राप्त किया। इसके बाद वह आश्वस्त हो गए कि खेती ज्यादा महंगी और लंबा इंतजार भले कराए, इससे कमाई भी बेहिसाब होनी है। अन्य किसानों की तरह उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। चंदन की खेती जारी रखने के लिए पूरी तरह मन बना लिया। गौरतलब है कि गुजरात सरकार चंदन की खेती को प्रोत्साहित ही नहीं कर रही, बल्कि उसकी लकड़ी किसानों से लेकर बेचने और एक्सपोर्ट करने में भी सहयोग कर रही है। अल्पेश को अपने पेड़ बेचकर पंद्रह करोड़ की कमाई हुई है। चंदन की खेती में कामयाब हुए अल्पेश को हाल ही में प्रदेश सरकार ने सम्मानित भी किया है।

पंजाब की मिट्टी और जलवायु भी चंदन की खेती के लिए मुफीद पाई गई है। इसलिए यहां के जगल विभाग ने घलौड़ी बीड़ में चंदन के सत्तर पौधे लगाकर इन्हें प्रदेशभर में फैलाने का प्रोजैक्ट शुरू किया है। इसके साथ ही रोपड़, लुधियाना, होशियारपुर और बठिंडा में भी पौधे रोपे गए हैं। घलौड़ी बीड़ में लगाए गए चंदन के पौधे की उम्र बीस साल मानी जा रही है। जंगल विभाग भी इन पेड़ों को काटकर बेचेगा। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये पौधे किसानों के लिए प्रर्दशनी में भी लगाए गए ताकि उनको प्रोत्साहित किया जा सके। पंजाब के समराला के पास चंदन के पौधे की खेती कर रहे अरुण खुरमी बताते हैं कि उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कर्नाटक से चंदन की खेती का प्रशिक्षण लिया है। पिछले साल नंवबर में उन्होंने चंदन की नर्सरी की शुरुआत की थी। अब यहां से किसानों को चंदन की खेती के लिए पौधे दिए जा रहे हैं।

चंदन की खेती कम लागत में करोड़पति बना देती है। यह खेती में एक तरह से लंबे समय का निवेश होता है। चंदन के पेड़ जब तैयार हो जाने के बाद रिटर्न देते हैं, किसान की कई पीढ़ियों को स्वावलंबी बना जाते हैं। इसकी खेती में सरकार या बाकी प्राइवेट स्कीम में मिलने वाले रिटर्न से भी ज्यादा फायदा मिलता है। एक लाख की लागत से डेढ़ करोड़ रुपए की कमाई यानी पंद्रह सौ प्रतिशत का रिटर्न। आजकल तो चंदन की लकड़ी छह-सात हजार रुपए, कई बार दस हजार रुपए तक में बिक जा रही है। नर्सरी से पौधे लाकर या फिर बीज डालकर चंदन की खेती की जा सकती है। चंदन का पेड़ लाल दोमट मिट्टी में अच्छा उगता है। ये पेड़ चट्टानी मैदान, पथरीली मिट्टी, चूनेदार मिट्टी को भी सहन कर सकते हैं। मिनरल्स और गिली मिट्टी में इसकी ग्रोथ तेजी से नहीं हो पाती है।

अप्रैल-मई के महीने में बुवाई के लिए जमीन तैयार की जाती है। बुवाई से पहले एक गहरी जुताई करनी होती है। दो-तीन बार खेत को जोता जाता है। क्यारियों के बीच तीस-चालीस सेमी की दूरी रखनी होती है। मानसून में इसके पेड़ तेजी से ग्रोथ करते हैं, लेकिन गर्मियों में इन्हें सिंचाई की जरूरत होती है। इसमें ड्रिप प्रॉसेस से सिंचाई की जाती है ताकि पानी कम लगे और जरूरत के मुताबिक सिंचाई भी हो जाए। एक एकड़ में औसतन चार सौ पेड़ लगाए जा सकते हैं। चंदन का एक पौधा चालीस-पचास रुपए में मिल जाता है। पौधे रोपने के बाद उनकी सुरक्षा के लिए जाली लगाने पर लगभग पचास हजार रुपए खर्च करने होते हैं। इसके साथ ही इन पौधों का इंश्योरेंस भी करा लिया जाता है, क्योंकि इन पेड़ों की चोरी का भी डर रहता है।

यह भी पढ़ें: कॉन्ट्रैक्ट से लिए खेतों में मिर्च लगा लाखों कमा रहे छत्तीसगढ़ के किसान जगन्नाथ