सफेद चंदन से एक एकड़ में पांच करोड़ तक की मोटी कमाई
सफेद चंदन किसानों के लिए धनवर्षा करने वाली कामधेनु साबित हो रहा है। मात्र एक लाख रुपए की लागत से साठ लाख रुपए तक की कमाई हो रही है। इसकी लकड़ी दस हजार रुपए किलो बिक रही है। पूरी दुनिया की दवा एवं सौंदर्य प्रसाधन निर्माता कंपनियों में भारी डिमांड के कारण इसका भाव आसमान छू रहा है।
सफेद चंदन का पेड़ पहाड़ी और रेगिस्तानी प्रदेशों में भी लगाया जा सकता है। राजस्थान के छीपाबड़ौद के किसान नवलकिशोर अहीर ने चंदन की खेती कर ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिससे कृषि विभाग भी हैरत में है।
मात्र एक एकड़ खेत में चार करोड़ अस्सी लाख रुपए तक की मोटी कमाई कराने वाली सफेद चंदन की खेती किसानों के लिए कामधेनु साबित हो रही है। इसकी खास तरह की खुशबू और इसके औषधीय गुणों के कारण भी इसकी पूरी दुनिया में भारी डिमांड है। इसकी एक किलो लकड़ी दस हजार रुपए तक में बिक रही है। इसी एक किलो लकड़ी की कीमत विदेशों में तो बीस से पचीस हजार रुपए तक है।
गोरखपुर के किसान अविनाश कुमार का कहना है कि आने वाले कुछ वर्षों में सफेद चंदन का भाव आसमान छू सकता है। चंदन की खेती में सबसे मोटी कमाई है। मात्र अस्सी हजार से एक लाख रुपए लगाकर 60 लाख रुपए तक का मुनाफा हो रहा है। अविनाश खेतों में लीक से हटकर कम लागत में ज्यादा मुनाफा ले रहे हैं। इस खेती में उन्होंने अपने साथ और भी किसानों को शामिल कर लिया है। मधुबनी (बिहार) के अविनाश पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद खेती-किसानी में लग गए हैं। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (आईआईएचआर) के वैज्ञानिकों ने उनको कई औषधीय पौधों की खेती के बारे में प्रशिक्षित किया है।
सबसे पहले उन्होंने अपने दो एकड़ खेत में औषधीय फसल ब्राह्मी से ऐसी किसानी की शुरुआत की। बेचने पर सात कुंतल ब्राह्मी के अठारह हजार रुपए मिल गए। इसके बाद वह तुलसी, आंवला, कौंच, बच और शालपर्णी की भी खेती करने लगे। आज मधुबनी के अपने छौरही गांव में उनके खेत पर अर्जुन के पांच हजार पौधे लहलहा रहे हैं। पिछले साल उन्होंने दवा कंपनियों को अपनी औषधीय फसलें बेचकर बीस लाख रुपए कमाए हैं। वह विश्व बाजार में सक्रिय हैं। ऑस्ट्रेलिया तक से खरीददार उनके यहां आ रहे हैं।
सफेद चंदन का पेड़ पहाड़ी और रेगिस्तानी प्रदेशों में भी लगाया जा सकता है। राजस्थान के छीपाबड़ौद के किसान नवलकिशोर अहीर ने चंदन की खेती कर ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिससे कृषि विभाग भी हैरत में है। लगभग एक साल पहले नवलकिशोर ने चंदन के 351 पौधे झालवाड़ नर्सरी के जरिए कर्नाटक से मंगवाए थे, जिसमें से कुछ पौधे नष्ट हो गए और बाकी बचे हुए पौधों की लंबाई अब दिनों दिन बढ़ रही है। यह उसकी मेहनत और पत्नी के साथ का ही नतीजा था कि आज उनके पौधों की लंबाई छह इंच से बढ़कर पांच फीट हो गई है। गौरतलब है कि सफेद चंदन सदाबहार पेड़ है। इससे निकलने वाला तेल और लकड़ी दोनों ही औषधियां बनाने के काम आती हैं। इसके अर्क को खान-पान में फ्लेवर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। साबुन, कॉस्मेटिक्स और पर्फ्यूम सफेद चंदन के तेल को खुशबू के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
अमूमन लोगों को लगता है कि चंदन की खेती अवैध है, जबकि ऐसा नहीं है। अविनाश कुमार के मुताबिक सरकार ने सफेद चंदन की खेती करने को वैधता दे दी है। सफेद चंदन का वानस्पतिक नाम सन्तालूम अलबम है। यह सेंटालेसी परिवार का पौधा है। इसकी छाल बाहर से धूसर कृष्णाभ और भीतर से रक्ताभ भंगुर होती हैं, जिस पर लंबे चीरे होते हैं। इसकी जड़ों में तेल अधिक होता है, जिसे परिस्त्रवण विधि से प्राप्त किया जाता है। प्रायः एक किलो चंदन की लकड़ी से सौ ग्राम तेल निकलता है। इसमें सेण्टलोल नामक तत्व नब्बे प्रतिशत तक होता है। बीजों से 50 से साठ प्रतिशत लाल रंग का गाढ़ा स्थिर तेल प्राप्त होता है, जबकि जड़ों से प्राप्त तेल पीताभ, गाढ़ा, तीक्ष्ण गन्ध एवं कटुतिक्त स्वाद वाला होता है।
बाजार में इसके तेल की भारी डिमांड की कई खास वजहें हैं। सफेद चंदन के तेल का सेवन करने से मुंह की शुष्कता खत्म हो जाती है। तीव्र ज्वर में इसका प्रलेप किया जाता है। गुलाब जल और कपूर के साथ इसका प्रलेप सिरदर्द में रामवाण है। यह कफ निस्सारक और उष्ण वात, कास, मूत्राशय व वृक्क प्रदाह, पुराने अतिसार में भी उपयोगी है। सौंदर्य प्रसाधन एवं इत्र उद्योग में भी यह उपयोग में लाया जा रहा है। अनेक दवाइयों में उपयोग एवं निरंतर घटती उपज के कारण इसकी मांग बढ़ रही है। इसकी विदेशों में भी निरंतर मांग है।
जर्मनी की मोनास्टेरियम लैबोरेटरी का दावा है कि रोज रात चंदन के तेल से सिर की अच्छे से मालिश कीजिए, छह दिन में खोपड़ी पर नए बाल उगने लगते हैं। यह शोध गंजेपन के इलाज में ज्यादा असरदार दवाओं के निर्माण की उम्मीद जगा रहा है। हाइपरटेंशन, हाई ब्लड प्रेशर में भी इस चन्दन का प्रयोग लाभदायक साबित हो रहा है। इसकी कुछ बूँद दूध में डालकर रोज़ पीने से ब्लड प्रेशर संतुलित हो जाता है। इसके तेल से मालिश करने से मांसपेशियों की ऐठन दूर हो जाती है। इसका तेल मस्तिष्क के सेल्स को उत्तेजित करता है जिसके कारण दिमाग और याददाश्त तेज़ हो जाती है। इसका तेल का दवाओं के अलावा धूपबत्ती, अगरबत्ती, साबुन, परफ्यूम आदि में प्रयोग हो रहा है।
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