10 में 8 भारतीय ऑफिस से करना चाहते हैं काम, महिलाओं से ज्यादा पुरुष जाना चाहते हैं ऑफिस
सर्वे में शामिल 80 फीसदी लोगों ने कहा कि वे कोविड-19 महामारी के कारण लगभग दो साल तक रिमोट वर्क करने के बाद वर्कप्लेस पर लौटने को लेकर उत्साहित हैं. महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुषों ने उत्साह दिखाई.
कोविड-19 महामारी के दो सालों के दौरान वर्क फ्रॉम होम के सेटअप में काम करने वाले दुनियाभर के अधिकतर कर्मचारी अब महामारी के ढलान पर जाने के बाद ऑफिस लौटने लगे हैं और वे इसको लेकर खुश हैं. मार्केट रिसर्च फर्म इप्सॉस के एक सर्वे में यह जानकारी सामने आई है.
रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल 80 फीसदी लोगों ने कहा कि वे कोविड-19 महामारी के कारण लगभग दो साल तक रिमोट वर्क करने के बाद वर्कप्लेस पर लौटने को लेकर उत्साहित हैं. महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुषों ने उत्साह दिखाई. जहां 81 प्रतिशत मतदान करने वाले पुरुषों ने कहा कि वे कार्यालय में वापस आकर खुश हैं, तो ऐसी महिलाओं की संख्या 77 फीसदी है.
वहीं, देश के अन्य हिस्सों की तुलना में पश्चिम भारत के लोगों ने फिजिकली वर्कप्लेस पर लौटने को लेकर अधिक खुशी जताई.
बता दें कि, प्रतिबंधों में ढील, टीकाकरण और कोविड प्रोटोकॉल के साथ वर्कप्लेसेज के सावधानीपूर्वक खुलने से कर्मचारियों को वापस ऑफिस लौटना पड़ा है.
इप्सॉस इंडियाबस के सर्वे से पता चलता है कि 10 में से कम से कम 8 भारतीयों ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने फिजिकली वर्कप्लेस पर जाना शुरू कर दिया है. सर्वे में शामिल लोगों ने कहा कि वे वर्क फ्रॉम ऑफिस को अपने हेल्थ के साथ बेहतर वर्क लाइफ में संतुलन से जोड़ते हैं. वहीं, 16 फीसदी ने कहा कि इससे उन्हें अपनी दिनचर्या बनाए रखने में मदद मिलती है.
अन्य लोगों ने ऑफिस से काम करने के फायदों के रूप में टीम के सदस्यों के साथ बेहतर तालमेल और सोशलाइजेशन और इंगेजमेंट को भी जोड़ा.
इप्सॉस इंडिया की अधिकारी परिजात चक्रबर्ती ने कहा कि यह बहुत साफ है कि मतदान करने वालों में से अधिकांश ऑफिस में फिजिकली मौजूद होने को लेकर अत्यधिक उत्साहित हैं. वे वर्क लाइफ बैलेंस, अपनी टीमों के साथ जुड़ने, प्रोडक्टिविटी मैनेजमेंट आदि के मामले में इससे फायदा देखते हैं.
हालांकि, इस दौरान बाकी के बचे 20 फीसदी कर्मचारियों ने ऑफिस से काम करने पर नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने सेफ्टी और सिक्योरिटी के साथ-साथ ट्रैफिक का हवाला दिया. लगभग 10 फीसदी ने कहा कि वर्क फ्रॉम होम उन्हें समय और धन की बचत करते हुए अधिक फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है.
सर्वेक्षण में शामिल कम से कम 53 फीसदी वर्किंग एडल्ट्स का मानना है कि ऑफिस से काम करना काम करने का सबसे अच्छा तरीका है; 27 फीसदी ने घर से काम करने के विकल्प को चुना और 20 फीसदी ने हाइब्रिड मोड को चुना.
वर्क फ्रॉम ऑफिस को चुनने में 72 फीसदी के साथ सबसे आगे टियर-1 शहरों के उत्तरदाता और 64 फीसदी के साथ पश्चिम भारत के उत्तरदाता हैं. वहीं, टियर-3 शहरों के 54 फीसदी लोगों ने वर्क फ्रॉम होम का विकल्प चुना.
सर्वे के अनुसार, 59 फीसदी लोगों का मानना है कि वर्क फ्रॉम ऑफिस से वर्क लाइफ बैलेंस अच्छे से अचीव होता है. वर्क लाइफ बैलेंस के लिए 28 फीसदी से वर्किंग फ्रॉम होम में सुविधा जताई, जबकि 16 फीसदी लोगों को दोनों मोड कोई अंतर नहीं लगा.
इस बीच, 65 फीसदी लोगों ने माना कि वर्क फ्रॉम ऑफिस में टीम बिल्डिंग एक्सरसाइज कहीं अधिक अच्छे से होती है जबकि 24 फीसदी लोगों का मानना है इसे वर्क फ्रॉम होम से भी अचीव किया जा सकता है.