बाज़ार को लगा झटका : आरबीआई ने नहीं किया पॉलिसी रेट में कोई बदलाव
बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाए रखा।
बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाए रखा। आरबीआई के नए गवर्नर बनने और नोटबंदी के बाद 7 दिसंबर को पहली बार पॉलिसी रिव्यू किया गया। बाजार और जानकारों को उम्मीद थी, कि आरबीआई कम से कम रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती करेगा, लेकिन बाजार को चौंकाते हुए आरबीआई गवर्नर ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 फीसदी पर बनाए रखा।
बाजार विश्लेषकों ने कहा था, कि रिजर्व बैंक बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति कल और आज चली अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकती है, ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके।
नोटबंदी से प्रभावित माहौल में केन्द्रीय बैंक ने हालांकि चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद गवर्नर पटेल ने नीतिगत दर को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखे जाने का फैसला सुनाया। आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट अमान्य किये जाने के बाद यह समिति की पहली तथा कुल मिला कर दूसरी समीक्षा बैठक थी। इससे पहले समिति ने अक्तूबर में मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था। रेपो दर वह दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को नकदी की तात्कालिकि जरूरत के लिए धन उधार देता है। मौजूदा हालात में जब नोटबंदी की वजह से कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ा है उद्योग और आर्थिक विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि केन्द्रीय बैंक नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है।
नोटबंदी से खुदरा कारोबार, होटल, रेस्त्रां और परिवहन क्षेत्र में कुछ समय के लिये गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि इनमें ज्यादातर लेनदेन नकदी में ही होता है।
साथ ही केन्द्रीय बैंक ने माना है कि नोटबंदी की वजह से खुदरा कारोबार, रेस्त्रां और परिवहन जैसे क्षेत्रों में जहां नकदी में अधिक लेनदेन होता है कुछ समय के लिये गतिविधियां प्रभावित हो सकतीं हैं।
पुराने नोटों को हटाने से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति में कुछ समय के लिये 0.10 से 0.15 प्रतिशत तक कमी आ सकती है: रिजर्व बैंक
साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नोटबंदी की वजह से वृद्धि के नीचे जाने का जोखिम है। इससे लघु अवधि में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी और मांग घटेगी। रिजर्व बैंक ने कहा कि निकट भविष्य में इन जोखिमों से आर्थिक गतिविधियों में लघु अवधि में नकदी आधारित क्षेत्रों में अड़चन आ सकती है। इन क्षेत्रों में खुदरा व्यापार, होटल और रेस्तरां तथा परिवहन शामिल हैं। साथ ही नोटबंदी से असंगठित क्षेत्र प्रभावित होगा और मांग में कमी आएगी।
ब्याजदरों पर रिजर्व बैंक की नीति का आगामी अमेरिकी फेडरल रिजर्व के निर्णय से कोई लेना देना नहीं : आरबीआई
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, ‘तीसरी तिमाही में वृद्धि की रफ्तार में बाधा तथा चौथी तिमाही में इसके असर। साथ में उंचे कृषि उत्पादन के परिप्रेक्ष्य में उपभोक्ता मांग में बढ़ोतरी तथा सातवें वेतन आयोग के क्रियान्वयन से 2016-17 के लिए जीवीए वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर 7.1 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले इसका अनुमान 7.6 प्रतिशत लगाया गया था।’ चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत दर्ज की गई है।
रिजर्व बैंक की 2016-17 की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:-
रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर कायम रहा।
रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत।
नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर 4 प्रतिशत पर बरकरार रहा।
वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत किया गया।
मार्च, 2015 के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 5 प्रतिशत पर कायम, ऊपर जाने का जोखिम।
नोटबंदी से जल्द खराब होने वाले उत्पादों के दाम घटेंगे।
दिसंबर तक मुद्रास्फीति 0.10 से 0.15 प्रतिशत तक घटेगी।
एमपीसी के सभी सदस्यों ने यथास्थिति कायम रखने के पक्ष में मत दिया।
नोटबंदी से नकदी आधारित क्षेत्रों में कुछ समय के लिए अड़चन आएगी।
कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
वित्तीय बाजार में संकट से मार्च अंत का मुद्रास्फीति का लक्ष्य जोखिम में पड़ सकता है।
दो दिसंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 364 अरब डालर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर।
रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष में ओएमओ खरीद के जरिये 1.1 लाख करोड़ रुपये की तरलता डाली।
अगली मौद्रिक समीक्षा 8 फरवरी, 2017 को होगी।