बेंगलुरु की एकमात्र स्त्री विधायक जो पर्यावरण संरक्षण के लिए कर रही हैं काम
35 वर्षीय सौम्या रेड्डी ने पूर्व विधायक स्वर्गीय विजयकुमार के भाई बीएन प्रह्लाद को 2,887 वोटों से पराजिक किया। सौम्या कर्नाटक के पूर्व गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी की बेटी हैं। लेकिन उन्हें पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकार की दिशा में किए गए कामों की वजह से ज्यादा जाना जाता है।
सौम्या अपने क्षेत्र के लोगों के साथ ही प्राइवेट संस्थान और रेस्टोरेंट के लोगों से भी बात करती हैं ताकि वे प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें। उन्होंने अपने इलाके में पौधरोपण की भी पहल की है।
बीते दिनों कर्नाटक विधानसभा चुनावों की काफी चर्चा रही। इस बार कर्नाटक चुनाव में सिर्फ सात स्त्रियां चुनकर सदन तक पहुंची हैं। 222 सीटों वाली विधानसभा में सिर्फ सात स्त्रियों का पहुंचना हैरत तो करता ही है साथ ही ये दुखद भी है। हम आज बात करने जा रहे हैं इस चुनाव में बेंगलुरु के जयनगर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाली सौम्या रेड्डी की। 35 वर्षीय सौम्या रेड्डी ने पूर्व विधायक स्वर्गीय विजयकुमार के भाई बीएन प्रह्लाद को 2,887 वोटों से पराजिक किया। सौम्या कर्नाटक के पूर्व गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी की बेटी हैं। लेकिन उन्हें पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकार की दिशा में किए गए कामों की वजह से ज्यादा जाना जाता है।
सौम्या 2015 में उस वक्त चर्चा में आई थीं जब उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल और शाकाहारी शादी संपन्न कराई थी। उन्होंने इस कार्यक्रम में एक एनजीओ 'हासिरू डाला' के 150 कचरा प्रबंधन कार्यकर्ताओं को काम पर लगाया था। उन्होंने कार्यक्रम में प्लास्टिक या डिस्पोजेबल बर्तनों की जगह स्टील के बर्तनों का इस्तेामल किया था। इसके अलावा सौम्या ने इनवायरमेंट रिसर्च की दिशा में भी काफी काम किया है। वह 2014 से 2017 तक भारत के पशु कल्याण बोर्ज की सदस्य भी रह चुकी हैं।
द न्यूज मिनट से बात करते हुए सौम्या ने कहा कि उन्होंने विधायक चुने जाने के एक दिन बाद ही अपने इलाके में सफाई अभियान शुरू किया। इसके बाद उन्होंने कचरा प्रबंधन, प्लास्टिक के कम इस्तेमाल पर योजना बनानी शुरू की। बेंगलुरु जैसे शहर में कचरा प्रबंधन की काफी समस्या है। सौम्या कहती हैं कि वह लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'मैं सुनिश्चित करना चाहती हूं कि सूखा और गीले कूड़े का उचित प्रबंधन हो और इसमें किसी भी तरह की रुकावट न आए।'
सौम्या कहती कहती हैं, 'मैंने पिछली सरकार के साथ मिलकर बेंगलुरु में प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने की दिशा में काम किया। इस सरकार में भी मैं उसे जारी रखना चाहती हूं।' उन्होंने कहा, 'हम लोग प्लास्टिक और डिस्पोजेबल चीजों पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हो गए हैं। हम कोई खाना भी ऑर्डर करते हैं तो वह भी प्लास्टिक के कंटेनर में होता है। हमें सोचना पड़ेगा कि हमारे इस्तेमाल करने के बाद इस प्लास्टिक का क्या होता है।'
सौम्या कहती हैं कि हम सभी को ऑफिस में कॉफी चाय पीने के लिए मग लेकर चलना चाहिए। सब्जी लाने के लिए हमें घर से बैग लेकर निकलना चाहिए। इसके लिए सौम्या अपने क्षेत्र के लोगों के साथ ही प्राइवेट संस्थान और रेस्टोरेंट के लोगों से भी बात करती हैं ताकि वे प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें। उन्होंने अपने इलाके में पौधरोपण की भी पहल की है। वह कहती हैं कि पहले भी मैं पर्यावरण कार्यकर्ता थी और विधायक बनने के बाद भी मेरा यह काम जारी रहेगा।
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