Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

अपनी पढ़ाई से वक्त निकालकर बच्चों को मुफ्त में शिक्षित कर रहा यह युवा

तीन साल से झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को मुफ्त में सिर्फ इसलिए शिक्षित कर रहे हैं ललित, ताकि वे बच्चे भी मुख्यधारा में आ सकें...

अपनी पढ़ाई से वक्त निकालकर बच्चों को मुफ्त में शिक्षित कर रहा यह युवा

Monday May 07, 2018 , 5 min Read

ललित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के लोक प्रशासन विभाग में पीएच.डी के शोधार्थी हैं जो लगभग 3 साल से गरीब बच्चों को मुफ़्त में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं ताकि उनको मुख्यधारा में लाया जा सके।

ललित कुमार यादव

ललित कुमार यादव


वे दिल्ली की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों के जीवन को संवारने का कार्य कर रहें हैं, और यह कार्य बिना किसी बाहरी आर्थिक मदद के अपने खुद के खर्च पर कर रहे हैं। 

कहते हैं कि समाज के विकास में युवाओं का अहम योगदान होता है, कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है दिल्ली के गोल मार्केट में, जहां के गरीब बच्चों की मदद कर उनमें शिक्षा की अलख जगा रहे हैं युवा ललित कुमार यादव जो कि हरियाणा के मूल निवासी हैं । वे खुद आगे बढ़कर अपनी पढ़ाई, जॉब और दैनिक दिनचर्या से समय लेकर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। 27 वर्षीय युवा ललित कुमार यादव "संतोष सागर सेवा संस्थान" नामक एक स्वेच्छिक संगठन का नेतृत्व करते हैं जिसकी स्थापना उन्होने वर्ष 2017 में की थी। ललित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के लोक प्रशासन विभाग में पीएच.डी के शोधार्थी हैं जो लगभग 3 साल से गरीब बच्चों को मुफ़्त में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं ताकि उनको मुख्यधारा में लाया जा सके।

वे दिल्ली की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों के जीवन को संवारने का कार्य कर रहें हैं, और यह कार्य बिना किसी बाहरी आर्थिक मदद के अपने खुद के खर्च पर कर रहे हैं। यह एनजीओ कुछ विधार्थियों का समूह है जो कि पूर्णतया अपने खुद के खर्च पर गरीब बच्चों के जीवन सुधार के लिए कार्य कर रहा है। ललित के द्वारा अकेले शुरू किये गये इस सफ़र में आज हजारों लोग हमसफ़र बन गये हैं जो कि इस एनजीओ की कार्यप्रणाली पर पूर्णतया भरोसा करते हैं। सीमित साधनों के बावजूद इस एनजीओ ने जो सफ़लता प्राप्त की है उसका सारा श्रेय इसके संस्थापक ललित कुमार यादव को जाता है जिन्होंने एक अलग ही तरह की पारदर्शी कार्यप्रणाली को अपनाया।

यह एनजीओ कोशिश करता है कि किसी से भी नकद रुपये ना ले, अगर कोई मदद करना चाहते हैं तो उनको प्रत्यक्ष रुप से सभी बच्चों से मिलवाते हैं और मददगार के खुद के हाथों से बच्चों को सारा सामान बंटवा देते हैं, साथ ही इसका लाइव प्रसारण फ़ेसबुक व यूट्यूब पर करते हैं ताकि पार्दशिता बनी रहे । इन्होने ये नियम बनाया कि एनजीओ का सारा काम सोशल मीडिया पर लाईव प्रसारित किया जायेगा ताकि और भी लोग प्रेरित होकर गरीब बच्चों की मदद करें । इस प्रकार यह एनजीओ अन्य एनजीओ से भिन्न एवं बेहतर कार्य कर रहा है। ललित के प्रयासों से बच्चों के व्यक्तित्व मे गजब का सुधार आया है, जो बच्चे पहले एक ही क्लास में कई बार फ़ेल होते थे वो आज अपनी क्लास के मेधावी बच्चों की लिस्ट में शामिल हैं और अच्चे अंको के साथ पास हो रहे हैं ।

पहले बहुत से बच्चे चोरी करते थे लेकिन एनजीओ के अथक प्रयासों एवं सही दिशा निर्देशन के कारण आज इस बस्ती से एक भी बच्चा चोरी नहीं करता। बहुत से बच्चे नशे की आदत के शिकार थे जिनकी उचित काउंसलिंग की गयी और सबको नशे के जाल से छुटकारा दिलाया। ललित बाइकर्स पैराडाइज जैसे कुछ बाईकिंग समूहो के साथ मिलकर बच्चों एवं महिलाओं की मदद के लिए बाइक रैलियाँ निकालते रहते हैं और इनके माध्यम से लोगों को जागरूक भी करते हैं । वे स्लम में रहने वाले गरीब परिवारों के बच्चों की पढाई से संबंधित सभी सामग्री स्वयं के रुपयों से उपलब्ध कराते हैं ।

इसके साथ ही वे बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर उन्हें फ़ल भी उपलब्ध कराते हैं। इन्होने अथक प्रयासों से स्लम के बच्चों को साफ़ सफ़ाई से रहना सिखाया। इन्होने अभी तक 50 से भी ज़्यादा बच्चो को सरकारी स्कूल में दाखिल कराया साथ ही, इनके पीटीएम में भी जाते है । वे बच्चो की बेहतरीन शिक्षा एवं बच्चों को तकनीकों से जोड़ने के लिए 10 से ज़्यादा कंप्यूटर को स्थापित कर रहे हैं । इनका एक मात्र लक्ष्य है की हर बच्चा शिक्षा के क्षेत्र में सशक्त और आत्मनिर्भर बने। आर्थिक परेशानी अभी भी है लेकिन अब धीरे धीरे और भी लोग इस कार्य में भागीदार बन रहे हैं। बातचीत के दौरान ललित कहते है कि वह 2015 से ही ऐसा कार्य करते आ रहे हैं।

वे बताते हैं कि वर्तमान समय में युवा शक्ति के माध्यम से ही समाज की बेहतरी संभव है। वह बताते हैं कि कई बार इस कार्य में पैसे की समस्या हुई लेकिन फ़िर भी इन्होने हिम्मत नहीं हारी और ओवरटाइम काम करके इन बच्चों की मदद करना जारी रखा। वे बताते हैं कि उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ समाज की बेहतरी में अपना योगदान देना है। वे आगे कहते हैं कि हरेक सप्ताह वह और उनके दोस्त जरूरतमंद बच्चों के बीच जरूरत की चीजें मुहैया कराते हैं।

बीते दिनों ललित को उनके काम के लिए नैशनल ह्युमन वेलफ़ेयर काउंसिल के द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में यूथ आइकन अवार्ड से सम्मानित किया गया। ललित को यह अवार्ड उनके द्वारा किये गये असंख्य सामाजिक कार्यों के लिए प्रदान किया गया । नेशनल ह्युमन वेलफ़ेयर काउंसिल के अध्यक्ष गुंजन मेहता बताते हैं कि उन्होने अपनी टीम के साथ जाकर स्वयं ललित के द्वारा किये जा रहे कार्यों को जांचा एवं उनके द्वारा बच्चों में लाये गये सकारात्मक बदलावों से बेहद प्रभावित हुए। इसके साथ ही ललित सोशल मीडिया के माध्यम से असंख्य युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं । सामाजिक सुधार के कार्यों एवं दूसरे युवाओ को भी समाज सुधार के लिए प्रेरित करने ले लिए उनको यूथ आइकन 2018 के अवार्ड से सम्मानित किये जाने का निर्णय लिया गया।

यह भी पढ़ें: मां करती थी चाय की फ़ैक्ट्री में काम, अब यह शख़्स है कैफ़े चेन का मालिक