संकल्प से बदली श्रीप्रिया ने अपनी तक़दीर, सफलता ने दिया 'Turnaround system'
Turnaround System की मालिक हैं श्रीप्रियाखुद से पैसे से शुरू किया कारोबारजून, 2012 से कर रही हैं कारोबार
कभी कभी तकदीर उस रास्ते में ले जाती है जिस ओर जाना इंसान ने सोचा भी नहीं होता है। आईआईटी खड़कपुर की छात्रा रह चुकीं श्रीप्रिया कोपुल्ला तकनीकी विशेषज्ञ और एक उद्यमी हैं। जबकि वो क्लॉसिकल डांसर बनना चाहती थी। श्रीप्रिया का जन्म हैदराबाद में हुआ था और जब वो छह साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया। तब उनकी मां को घर से बाहर निकलना पड़ा। श्रीप्रिया को विश्लेषणात्मकता का गुण अपने पिता से विरासत में मिला। वो बचपन से ही गणित में और पहेलियां सुलझाने में माहिर थी। हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान उन्होने सी-प्रोग्रामिंग सीखी क्योंकि इसमें किसी समस्या को सुलझाने के लिए तर्क की जरूरत होती है। स्कूली पढ़ाई के दौरान वो औसत छात्रा रहीं लेकिन मन के एक कोने में वो चाहती थीं कि वो प्रथम आयें।
श्रीप्रिया के पिता आरईसी वारंगल से गोल्ड मेडलिस्ट थे उनकी मां चाहती थी कि उनके दोनों बच्चे इंजीनियर बने। यही वजह है कि श्रीप्रिया ने जेईई की परीक्षा दी और आईआईटी में प्रवेश प्राप्त किया। हालांकि उनका रेंक अच्छा नहीं था लेकिन आईआईटी खड़गपुर में प्रवेश पाने में वो कामयाब हो गई। श्रीप्रिया भी चाहती थीं कि किसी तरह वो आईआईटी में निकल आयें क्योंकि आगे की पढ़ाई के लिए वो विदेश जाने का दबाव नहीं झेलना चाहती थी। श्रीप्रिया ने यहां पर सीप्लसप्लस की पढ़ाई जारी रखी और पहले और दूसरे साल उन्होने इसमें अच्छे अंक हासिल किये। श्रीप्रिया के मुताबिक अगर वो आईआईटी में नहीं निकल पाती तो वो डांस सिखती क्योंकि जिस दिन उन्होने आईआईटी की परीक्षा दी उसके अगले दिन उन्होने अपना नाम कुचीपुडी डांस सीखने के लिए लिखवा दिया था।
श्रीप्रिया शर्मीले स्वभाव की थी लेकिन कॉलेज की पढ़ाई के दौरान वो बिल्कुल बदल गई। यहां उन्होने सीखा कि कैसे अपने सही विचारों को दूसरों तक पहुंचाना चाहिए। उनमें इतनी हिम्मत आ गई थीं कि जरूरत पड़ने पर वो किसी से भी सवाल जवाब कर सके। उनके इसी अंदाज को देखते हुए रेड्डी लैब्स में उनको नौकरी करने का ऑफर मिला। श्रीप्रिया अभी रेड्डी लैब्स में ज्वाइन करने का इंतजार कर ही रही थीं कि वो इस दौरान हैदराबाद में ही एक जगह वाक इन इंटरव्यू के पहुंच गई। इस उद्यम को चलाने वाले थे आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र। जिन्होने YASU टेक्नॉलिजी के नाम से उद्यम शुरू किया था और उन्होने श्रीप्रिया को नौकरी का ऑफर दिया लेकिन इस शर्त के साथ कि वो नौकरी के दौरान जावा भी सीखेंगी। इसके लिए उन्होने एक महिने का वक्त भी दिया गया लेकिन जब परीक्षा हुई तो वो कुछ खास नहीं कर पाई। तब उनको एक बार फिर मौका दिया गया और हफ्ते भर के अंदर एक प्रोग्राम तैयार करने को कहा गया। इस मौके को उन्होने हाथ से नहीं जाने दिया और उन्होने अच्छा प्रदर्शन किया।
श्रीप्रिया के होने वाले पति से मुलाकात कॉलेज के दिनों में ही हो गई थी। बाद में उनकी मुलाकातों का दौर बढ़ता चला गया और साल 2006 में उनकी शादी हो गई। इस वजह से उनको हैदराबाद से बेंगलुरू आना पड़ा। यहां आकर उन्होने Ketera टेक्नॉलिजी में काम शुरू किया। ये कंपनी ई-कामर्स के बाजार में बी2बी डोमेन में थी और उत्पाद तैयार करती थी। वो तकनीकी टीम में पहली महिला सदस्य के तौर पर Ketera टेक्नॉलिजी के लिए काम करने लगी। अपने को यहां पर साबित करने से पहले उन्होने अपने लिए कुछ चीजें तय कीं। Ketera एक नये प्लेटफॉर्म जे3ईई का निर्माण कर रहा था। ये उत्पाद के लिए एक लीगेसी कोड था। असल में कारोबार में कोई बदलाव नहीं था सिर्फ प्रौद्योगिकी स्टैक को बदला गया था। हर कोई इस नये प्लेटफॉर्म को बनाने में जुट गया। जिसके बाद श्रीप्रिया को मौजूदा उत्पाद को देखने की जिम्मेदारी दी गई। इस वजह से श्रीप्रिया को कई चीजें सीखने का मौका मिला। जैसे वो किसी उत्पाद को अंदर और बाहर से अच्छी तरह समझ पाईं। उनको सीटीओ के साथ सीधे काम करने का मौका मिला। इसके अलावा ये तकनीक से ज्यादा विश्लेषण से जुड़ा काम था।
Ketera टेक्नॉलिजी में काम करते हुए श्रीप्रिया एक साथ दो जिम्मेदारियां उठा रही थीं एक ओर वो घर संभाल रही थीं तो दूसरी ओर कंपनी। इस बीच उनको मां बनने की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ी और जब साल 2008 में तीन महिनों के मातृत्व अवकाश के बाद वो लौटी तो कंपनी की पूरी कैटलॉग सोल्यूशन टीम ने कंपनी को छोड़ दिया। ऐसे में श्रीप्रिया के पास इस विभाग की जिम्मेदारी आ गई। इसके अलावा दूसरी जिम्मेदारियों का भार वो पहले से ही उठा रही थीं। ये उनके लिये एक मुश्किल स्थिति थी। जहां एक ओर काम का भार बढ़ गया था वहीं दूसरी ओर उनको एक मां की जिम्मेदारी भी निभानी थी। तब उन्होने फैसला लिया कि वो इस काम को घर से ही अंजाम देंगी। इस दौरान उनको कई तरह के अनुभव हुए। साल 2011 में उन्होने दूसरे बच्चे को जन्म दिया और अगले साल 2012 में Ketera टेक्नॉलिजी में 6 साल बिताने के बाद उन्होने कंपनी छोड़ने का फैसला लिया। श्रीप्रिया ने जून,2012 में अपनी कंपनी का पंजीकरण कराया। वो शुरूआत से ही ई-कामर्स के बाजार में उतरना चाहती थी लेकिन उनको तलाश थी सही मौके और ज्यादा से ज्यादा अनुभव की और यही वो वक्त था जब दोनों चीज उनके साथ थीं। शुरूआत के छह महिने तो श्रीप्रिया ने अकेले ही काम किया।
वो एक ऐसा उत्पाद बनाना चाहती थी जिसकी मदद से कोई दूसरा उत्पाद और बेहतर नजर आये, हालांकि 360 डिग्री तक कोई भी उत्पाद को पहले से देखा जा सकता था लेकिन इसमें कई तस्वीरों को मानवीय तरीके से एडिट कर तैयार किया जाता था। कई इंजीनियरों से बात करने के बाद वो ऐसा उपकरण बनाने में कामयाब हो गई जिसकी मदद से एक क्लिक में ही उत्पाद की सभी दिशाओं से फोटो खींची जा सकती थी। इस तरह उनकी कंपनी का पहला उत्पाद Turnaround System बाजार में था। उन्होने इस काम के लिए 3 लाख रुपये खर्च किये थे। अब श्रीप्रिया एक तकनीकी विशेषज्ञ से सीईओ बन गई थी। इसके बाद उन्होने भी अपनी कंपनी का नाम Turnaround System रख दिया। लेकिन उनकी कंपनी की गतिविधियां काफी धीमी रफ्तार से चल रही थी। श्रीप्रिया को बड़े ई-कॉमर्स कारोबारियों को अपना उत्पाद बेचने में काफी दिक्कत आ रही थी जिसके बाद उन्होने नौकरी करने का फैसला लिया। इस बीच उनका चुनाव माइक्रोसॉफ्ट ऐक्सेलरेटर कार्यक्रम 2013 के लिए किया गया इससे उनका अपने काम और खुद पर विश्वास बढ़ा। आज Turnaround System कई बड़े ई-कॉमर्स कारोबारी जैसे Myntra, Flipkart, Urban Ladder और दूसरे लोगों के साथ जुड़ा है। श्रीप्रिया का ये उत्पाद विभिन्न तरह के सामान, बैग, ट्रॉली बैग, जूते, फर्नीचर और दूसरे उत्पादों के कैटलॉग बनाने में इस्तेमाल होता है।
श्रीप्रिया को स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से भी मान्यता मिल चुकी है। पिछले तीन सालों के दौरान अपने काम को लेकर ज्यादा स्पष्टता और विश्वास पैदा हुआ है। उनके बनाये उत्पाद का एक वर्जन Pixter पहले से ही बाजार में उपलब्ध है। ये किसी भी तस्वीर को और बेहतर बनाने में मदद करता है। अब तक किसी भी उत्पाद की 80 प्रतिशत तस्वीरें ऑटोमेटिक तरीके से बढ़ाई जा सकती हैं लेकिन भविष्य में ये 95 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। अब उनकी कोशिश OLX और Quikr जैसी कंपनियों के लिए उत्पाद तैयार करने की है। श्रीप्रिया का कहना है कि वो बदलाव के लिए तकनीक के इस्तेमाल में विश्वास रखती हैं। यही वो साधन है जो कारोबार की समस्याओं को दूर कर सकता है। उनके मुताबिक जिंदगी में कुछ चीजों के साथ समझौता किया जा सकता है लेकिन कुछ चीजों के साथ नहीं और अगर कोई दोनों के बीच संतुलन बनाने में कामयाब हो जाता है तो उसकी जिंदगी काफी बेहतर होती है।
श्रीप्रिया काफी व्यावहारिक इंसान हैं जो अपना रास्ता बनाना जानती हैं। उनका मानना है कि अपना वक्त सार्थक चीजों में लगाना चाहिए चाहे तो उससे कोई परिणाम हासिल हो या फिर उस काम को करने से संतुष्टि मिले। उनके मुताबिक आप अपने काम को लेकर खुद जिम्मेदार होते हैं। उनके मुताबिक हर दिन उनके सामने दो रास्ते होते हैं कि अपने काम में निवेश करें या बाजार में उतरें और वो एक रास्ता चुनती हैं जिसके परिणाम की जिम्मेदार वो खुद हैं।