नहीं बनना चाहते इंजीनियर-डॉक्टर, तो आपके लिए ही है यह ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म
एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो आपको बनायेगा वो, जो आप सचमुच ही बनना चाहते हैं...
ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, ‘ग्रेड्स डोन्ट मैटर’ लर्निंग कोर्सेज़ और वीडियोज़ के ज़रिए स्टूडेंट्स की दुविधा को दूर कर रहा है और युवाओं को उनके स्किल के हिसाब से करियर विकल्प चुनने में मदद करता है। इनमें वे करियर ऑप्शन्स भी शामिल हैं, जिनके लिए आपको किसी औपचारिक डिग्री की ज़रूरत नहीं पड़ती।
वरुण और उनकी टीम ने अपनी कड़ी मेहनत से कुल 300 लर्निंग वीडियोज़ तैयार किए। इनमें गैर-परंपरागत कोर्सेज़ की जानकारी दी गई थी। उदाहरण के तौर पर; अपना रेस्तरां कैसे शुरू करें, फ़िल्ममेकिंग, अपनी किताब कैसे पब्लिश करवाएं, स्टैंडअप कॉमेडी और बीट-बॉक्सिंग के करियर आदि।
हमने देखा है कि पिछले कुछ दशकों में लगातार स्कूली बच्चों और युवाओं के बीच हायर एजुकेशन और उसके बाद जॉब के लिए नए-नए सेक्टर तलाशने की प्रवृति में इज़ाफ़ा हुआ है। तकनीकी विकास और एजुकेशन सिस्टम में समय के साथ हुए बदलावों के चलते कई विकल्प सामने भी आए और लोगों ने अपने पैशन को व्यावहारिक सफलता के स्तर तक पहुंचाया भी।
लेकिन अभी भी युवाओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो सही मार्गदर्शन के अभाव में या तो मन के मुताबिक़ काम नहीं कर पाते या फिर नए प्रयोग को मुकम्मल नहीं कर पाते। ऐसे में ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, ‘ग्रेड्स डोन्ट मैटर’ लर्निंग कोर्सेज़ और वीडियोज़ के ज़रिए स्टूडेंट्स की इस दुविधा को दूर कर रहा है और युवाओं को उनके स्किल के हिसाब से करियर विकल्प चुनने में मदद करता है। इनमें वे करियर ऑप्शन्स भी शामिल हैं, जिनके लिए आपको किसी औपचारिक डिग्री की ज़रूरत नहीं पड़ती।
बतौर ऑन्त्रेप्रेन्योर वरुण की शुरूआत
2009 में वरुण ने अलमा मैटर की शुरूआत की थी। यह एक ऑनलाइन स्टोर था, जो पूरे भारत में स्कूलों और कॉलेजों की अलुमनाई कम्युनिटी को कपड़े आदि मुहैया करवाता था। इसके बाद वरुण को बड़ी सफलता और असल मायनों में लोकप्रियता तब मिली, जब उनकी किताब, 'हाउ आई ब्रेव्ड अनु आंटी ऐंड को-फ़ाउंडेड अ मिलियन डॉलर कंपनी' बेस्ट सेलर बनी।
ऐसे आया 'ग्रेड्स डोन्ट मैटर' का आइडिया
2013 में द इंक कॉन्फ़्रेंस में वरुण ने स्पीच दी थी, जो यूट्यूब पर वायरल हुई। सिर्फ़ 4 दिनों की भीतर ही वीडियो को 5 लाख बार देखा गया। पिछले कुछ सालों में, उन्हें भारत के कई बड़े कॉलेजों में बतौर काउंसलर बुलाया जा चुका है। वरुण बताते हैं कि इस समय के दौरान ही, उनका ध्यान एक दिलचस्प प्रचलन पर गया। उन्होंने पाया कि देश के युवाओं को बड़ी आसानी से किसी भी धारा में मोड़ा जा सकता है, क्योंकि उनके पास चीज़ों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है और न ही उनका दृष्टिकोण पूरी तरह से मज़बूत है। वरुण कहते हैं कि उन्हें एहसास हुआ कि युवाओं को उनके हिसाब से उपयुक्त करियर विकल्प चुनने में मदद करने के लिए कोई कारगर तरीक़ा निकालने की ज़रूरत है।
वरुण ने वेब सीरीज़ मेकिंग, ऑन्त्रेप्रेन्योरशिप और स्टैंडअप कॉमेडी जैसे कामों का हवाला देते हुए कहा कि इनमें से किसी भी काम के लिए आपको किसी डिग्री की ज़रूरत नहीं पड़ती। वरुण कहते हैं कि सबसे अच्छा तरीक़ा है कि सफल लोगों से मिलकर बातचीत की जाए और समझा जाए कि उन्होंने सफलता पाने के लिए क्या अप्रोच अख़्तियार की थी।
कैसे हुई ‘ग्रेड्स डोन्ट मैटर’ की शुरूआत
कुछ नया करने की खोज में काम करते हुए वरुण ने 15 लोगों की टीम जुटाई। इस टीम में, तकनीकी, कॉन्टेन्ट और डिज़ाइन के सेक्टर के अनुभवी लोगों को शामिल किया गया। लॉलीपॉप स्टूडियो के प्रमुख अनिल रेड्डी ने डिज़ाइनिंग की और नलिन-लोगेश ने तकनीकी स्तर की जिम्मेदारियां संभाली। टीम ने लगभग 4-5 महीने वैकल्पिक एजुकेशन और करियर स्ट्रीम्स पर रिसर्च करते हुए खर्च किए। टीम ने ऐसे ही 30 महत्वपूर्ण कोर्सेज़ की लिस्ट बनाई और एक सूची में हर क्षेत्र के सबसे सफल लोगों को शामिल किया। टीम ने इन सफल लोगों के इंटरव्यू लेकर, वीडियो लर्निंग कोर्सेज़ की सीरीज़ बनाने पर काम शुरू किया। वरुण ने इस दौरान अपनी टीम की अप्रोच के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, टीम ने अपने काम को तीन चरणों में बांट दियाः
पहला चरणः बेसिक इंट्रोडक्शन या फिर क्लास 101 के रूप में तय किए गए पहले चरण में युवाओं को बताया जाता था, कि करियर विशेष को चुनने के लिए उन्हें किन चीज़ों की ज़रूरत है; यह कैसे काम करता है; और इसके लिए उन्हें किन स्किल्स की ज़रूरत है?
दूसरा चरणः बताए गए स्किल्स को ध्यान में रखते हुए काम करना।
तीसरा चरणः इस चरण में कई महत्वपूर्ण विषयों जैसे कि करियर सफलता और पैसे का स्कोप आदि मुद्दों पर चर्चा होती है। वरुण चुटकी लेते हुए कहते हैं कि यह चरण दरअसल अभिभावकों के लिए है।
वरुण और उनकी टीम ने अपनी कड़ी मेहनत से कुल 300 लर्निंग वीडियोज़ तैयार किए। इनमें गैर-परंपरागत कोर्सेज़ की जानकारी दी गई थी। उदाहरण के तौर पर; अपना रेस्तरां कैसे शुरू करें, फ़िल्ममेकिंग, अपनी किताब कैसे पब्लिश करवाएं, स्टैंडअप कॉमेडी और बीट-बॉक्सिंग के करियर आदि। वरुण और उनकी टीम ने जिन हस्तियों के इंटरव्यू किए, उनमें दंगल फ़िल्म के निर्देशक नितेश तिवारी, अमीश त्रिपाठी (सबसे ज़्यादा लोकप्रिय भारतीय ऑथर/उपन्यासकार), सिद्धार्थ रॉय कपूर (देव जी, रंग दे बसंती और दंगल जैसी सफल फ़िल्मों के प्रॉड्यूसर) और रितेश (Oyo के को-फ़ाउंडर) समेत कई और बड़ी हस्तियां भी शामिल रहीं। वरुण कहते हैं कि नेटफ़्लिक्स, फ़ेसबुक और इन्स्टाग्राम की वजह से युवा आजकल काम की चीज़ों में या कुछ नया सीखने में अपना वक़्त नहीं देते। वरुण का लक्ष्य है कि इस स्थिति को बदला जाए।
कैसे काम करता है 'ग्रेड्स डोन्ट मैटर'
फ़िलहाल इसकी ऐप ऐंड्रॉयड और आईओएस दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टमों पर मौजूद है। ऐप-पर्चेज़ के जरिए ही कंपनी पैसा कमाती है। हर कोर्स के लिए यह प्लेटफ़ॉर्म आपसे 99 रुपए की फ़ीस चार्ज करता है। वीडियोज़, आप जितनी बार चाहें, देख सकते हैं। 'वर्कबुक' की पीडीएफ़ फ़ाइल के ज़रिए आप हर कोर्स की मूलभूत जानकारी ले सकते हैं। कोर्स पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स को डिजिटली साइन्ड सर्टिफ़िकेट भी दिया जाता है। योर स्टोरी ने ऐप के प्री-बिल्ड वर्ज़न को कुछ दिनों तक चलाया और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में जानने की कोशिश की। हर कोर्स, कई अलग-अलग भागों में बटा हुआ है।
क्या हैं आगे की योजनाएं?
टेक्नावियो की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, ऐसा आकलन है कि 2017-2021 के बीच ऑल्टरनेट एजुकेशन मार्केट की कम्पाउंड ऐनुअल ग्रोथ रेट लगभग 32 प्रतिशत तक रहेगी। वरुण का लक्ष्य है कि ग्रेड्स डोन्ट मैटर के अंतर्गत आने वाले दो सालों में 2000 कोर्सेज़ शुरू हो सकें। वरुण ने जानकारी दी कि उनकी टीम फ़िल्मोग्राफ़ी, बिटकॉइन और स्टॉक मार्केट के सेक्टरों पर भी काम कर रही है। वरुण चाहते हैं कि भारतीय युवाओं की क्रिएटिविटी का लोहा दुनिया माने और भारतीय भी ऑस्कर, ग्रैमी और नोबेल प्राइज़ पर कब्ज़ा जमा सकें।
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