राजस्थान का अजब गांव, घर में 15 गाड़ियां लेकिन टॉयलट नहीं
शहरी इलाकों में तो लगभग हर घर में टॉयलट होता है लेकिन ग्रामीण इलाकों में पैसों की कमी और जागरूकता के आभाव में लोग टॉयलट नहीं बनवा पाते। इसीलिए सरकार गांव में शौचालय बनवाने में आर्थिक रूप से मदद भी करती है।
हैरानी होती है जब आर्थिक रूप से समृद्ध परिवारों के यहां शौचालय नहीं होता। ऐसा ही गांव राजस्थान में है जहां घरों में कार तो हैं, लेकिन टॉयलट नहीं।
राजस्थान के इस गांव के परिवारों को सरकार ने नियम के मुताबिक 15-15 हजार रुपये देने का वादा किया था, लेकिन उन परिवारों का कहना है कि इन्हें एक भी रुपये नहीं दिए गए।
देश में स्वच्छता को लेकर कई अभियान चलाए जा रहे हैं। इनमें से स्वच्छ भारत अभियान सबसे प्रमुख है। इसके अंतर्गत हर घर में शौचालय बनवाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। शहरी इलाकों में तो लगभग हर घर में टॉयलट होता है लेकिन ग्रामीण इलाकों में पैसों की कमी और जागरूकता के आभाव में लोग टॉयलट नहीं बनवा पाते। इसीलिए सरकार गांव में शौचालय बनवाने में आर्थिक रूप से मदद भी करती है। लेकिन हैरानी होती है जब आर्थिक रूप से सम्रद्ध परिवारों के यहां शौचालय नहीं होता। ऐसा ही गांव राजस्थान में है जहां घरों में कार तो हैं, लेकिन टॉयलट नहीं।
राजस्थान में कोटा-जयपुर हाइवे से आप गुजरेंगे तो रास्ते में एक कस्बा मिलेगा, हिंडोली। हिंडोली के अंतर्गत एक गांव आता है जिसका नाम है बाबा जी का बाड़ा। इस मजरे (काफी छोटा गांव) को देखकर इसकी खुशहाली का अंदाजा लगाया जा सकता है। क्योंकि 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव में अधिकतर मकान पक्के हैं। उससे भी बड़ी बात यह है कि इस गांव में 30 कारे हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कार रखने वाले लोगों के घर में टॉयलट जैसी मूलभूत जरूरत की चीज गायब है।
गांव में सिर्फ 16 घर ऐसे हैं जिनके यहां टॉयलट बने हैं। ये भी अभी दो साल पहले ही बने हैं। सरकार ने नियम के मुताबिक इन्हें 15-15 हजार रुपये देने का वादा किया था, लेकिन इनका कहना है कि इन्हें एक भी रुपये नहीं दिए गए। अब गांव के लोग सरकार के कहने के बावजूद टॉयलट बनवाने से पीछे हट रहे हैं। क्योंकि उन्हें भी सरकार की ओर से 15 हजार रुपये मिलने की उम्मीद नहीं है।
गांव में एक परिवार बाबुल योगी का है जिन्होंने कुछ दिन पहले ही एक कार खरीदी है। यह उनकी पहली कार नहीं है इससे पहले भी उनके परिवार में 6 गाड़ियां हैं। हैरानी वाली बात ये है कि उनके घर में गाड़ियां तो 6 हैं, लेकिन टॉयलट एक भी नहीं। परिवार में 10 सदस्य हैं और सभी खुले में शौच के लिए जाते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्टर ने जब उनसे शौचालय न होने की बात पूछी तो उन्होंने हकबकाते हुए कहा कि गाड़ियां तो किश्तों पर खरीदी गई हैं। उन्होंने जल्द ही घर में एक शौचालय बनवाने का वादा किया है।
गांव के रहने वाले धन्नानाथ योगी ने बताया कि एक शौचालय को बनाने में लगभग 25 हजार से 30 हजार रुपए का खर्च आता है लेकिन सरकारी मदद केवल 15 हजार ही मिलती है जो कि काफी नहीं है। इसके अलावा इस पैसे मिलने में भी काफी देर हो जाती है। एक घर और है बाबुलाल नाथ का। लोग बताते हैं कि उनके पास भी 15 गाड़ियां हैं, लेकिन उनके घर में भी एक भी टॉइलट नहीं है।
गांव की महिलाओं का कहना है कि उन्हें शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है और इससे उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। इस गांव को देखकर तो यही लगता है कि स्वच्छ भारत अभियान पर फिर से सोचने की जरूरत है।
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