लापता बच्चों को खोजने में माहिर हैं यूपी पुलिस के सुनील, 100 बच्चों को खोज निकाला है अब तक
उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में एक ऐसे इंस्पेक्टर हैं जिन्होंने अपनी पूरी सर्विस में सौ से भी ज्यादा बच्चों को तलाश कर निकालने का रिकॉर्ड बना लिया है। वर्तमान में यूपी के भदोही जिले में तैनात इंस्पेक्टर सुनील दत्त अपराधियों को तो पकड़ते ही हैं, साथ में बच्चों की तलाश करने में भी माहिर हैं...
बच्चे अपने मां-बाप के कलेजे के टुकड़े होते हैं उनके लापता होने पर माता-पिता के दिल पर क्या बीतती है इसे सुनील दत्त अच्छे से जानते हैं। शायद यही वजह है कि वे इन माता-पिताओं की दुआएं लेने के लिए काम करते हैं।
देश में कानून व्यवस्था की स्थिति ऐसी है कि हर साल लाखों बच्चे गुम हो जाते हैं। 2015 में एक आंकड़े के अनुसार 2011 से 2014 के बीच सवा तीन लाख बच्चे लापता हो गए। जब बच्चों को खोजने की बात आती है तो पुलिस और प्रशासन खुद को असहाय महसूस करने लगता है, क्योंकि बच्चों को खोजना काफी मुश्किल काम माना जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में एक ऐसे इंस्पेक्टर हैं जिन्होंने अपनी पूरी सर्विस में सौ से भी ज्यादा बच्चों को तलाश कर निकालने का रिकॉर्ड बना लिया है। वर्तमान में यूपी के भदोही जिले में तैनात इंस्पेक्टर सुनील दत्त अपराधियों को तो पकड़ते ही हैं, साथ में बच्चों की तलाश करने में वे माहिर हैं।
सुनील दत्त ने सबसे पहले अपने करियर में मेरठ कोतवाली में गुमशुदा बच्चे को खोजा था उसके बाद उनका यह सिलसिला चलता गया। अब तक वे आठ जिलों के 33 थानों में तैनात रह चुके हैं और इस दौरान उन्होंने सैकड़ों बच्चे खोजे। अभी हाल ही में भदोही के गोपीगंज थाने में एक बच्चे की तलाश करके उन्होंने सेंचुरी बना दी। सुनील दत्त का यह काम बाल अधिकार और इंसानियत के लिए मिसाल से कम नहीं है। इतना ही नहीं सुनील इसी जिले में तैनाती के वक्त पिछले 8 महीनों में लगभग 10 बच्चों को खोज चुके हैं।
बच्चे अपने मां-बाप के कलेजे के टुकड़े होते हैं उनके लापता होने पर माता-पिता के दिल पर क्या बीतती है इसे सुनील दत्त अच्छे से जानते हैं। शायद यही वजह है कि वे इन माता-पिताओं की दुआएं लेने के लिए काम करते हैं। अब तक 100 बच्चों की बरामदगी कर चुके सुनील का यह सफर वर्ष 1995 में मेरठ से शुरू हुआ था। गुमशुदा बच्चों की तलाश के मामले में सबसे सुपरफास्ट एक्शन 'आपरेशन तलाश' की कार्रवाई को सफलता पूर्वक अंजाम देने वाले इंस्पेक्टर पूर्वांचल के जौनपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही समेत कुल आठ जिलों के 33 थानों पर तैनाती पा चुका है।
अभी भदोही के गोपीगंज थाने में तैनात सुनील ने गोपीगंज थाना क्षेत्र के पूरे टीका गांव के रहने वाले ननकू बिन्द के 13 साल के बेटे अविनाश की तलाश की है। सुनील जैसे लोगों का काम इसलिए भी सराहनीय है क्योंकि आज के वक्त में सुस्त प्रशासनिक व्यवस्था के चलते सरकारी सिस्टम पर लोगों का भरोसा खत्म सा हो गया है। इस हालत में बच्चों को खोजकर निकालने का काम करना काफी बड़ी बात है। बच्चों को तलाशने के साथ ही सुनील ने आपराधिक घटनाओं को रोकने और बदमाशों को पकड़ने में भी काफी योगदान दिया है। उन्होंने छेड़खानी करने वाले कई शोहदों को पकड़कर हवालात के अंदर पहुंचाया है।
देश में लापता बच्चों के मामले में कार्रवाई करने की बात आती है तो कई बार पुलिस एफआईआर ही नहीं दर्ज करती। कहने को कहा जाता है कि बच्चे देश और समाज का भविष्य हैं। लेकिन इसके प्रति सरकारें खुद कितनी गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत पिछले पंद्रह सालों में आज तक एक सलाहकार समिति तक गठित नहीं की जा सकी है। अदालत को सरकार की जिम्मेदारी बार-बार याद दिलानी पड़ती है। कर्तव्य में कोताही के लिए सर्वोच्च अदालत से कई बार मिली फटकार के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखता। इस हालत में सुनील दत्त का काम अंधेरे में चिराग से कम नहीं है।
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