रेलवे के बदबूदार कंबलों को कहिए अलविदा, अब NIFT डिजाइन करेगा नए कंबल
ट्रेनों में गंदे कंबलों की वजह से लगातार मिलने वाली शिकायतों को देखते हुए रेलवे अब यात्रियों को डिजाइनर कंबल देगा। रेलवे ने इन कंबलों के ज्यादा बार धुलने और मौजूदा कंबलों को NIFT के साथ मिलकर डिजाइनर और हल्के कंबलों से बदलने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है।
रेलवे के इस प्रयास से गंदे कंबलों की समस्या से काफी हद तक निजात मिलने की संभावना है। भारतीय डिजाइन संस्थान यानी NIFT ने रेलवे के बेडरोल को नए तरीके से डिजाइन करने का बीड़ा उठाया है।
अभी ट्रेन में दिए जा रहे भारी कंबल की जगह NIFT नए और हल्के कंबल डिजाइन करेगा जो वजन में तो हल्का होगा ही साथ में उसे आसानी से साफ भी किया जा सकेगा। ये कंबल हल्के कपड़े से तैयार किया जाएगा।
हम सब ट्रेन से अक्सर सफर करते ही रहते हैं, लेकिन भारतीय रेल की सुविधाओं से हमें शिकायत भी उतनी ही रहती है। कभी ट्रेन टाइम पर नहीं पहुंचती तो कभी रेलवे के खाने में छिपकली निकल आती है। ट्रेन में मिलने वाले बेडरोल्स और चद्दर, तकिये की वजह से भी कई बार हमें उलझन होने लगती है। कभी वह गंदा होता है या फिर कई बार उससे ऐसी महक आने लगती है जिससे हमारे सफर का सारा मजा बेकार हो जाता है। लेकिन लग रहा है कि इस समस्या से हमें निजात मिलने वाली है। भारतीय डिजाइन संस्थान यानी NIFT ने रेलवे के बेडरोल को नए तरीके से डिजाइन करने का बीड़ा उठाया है।
इंडियन रेलवे ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी (NIFT) के साथ डिजाइनर कंबल तैयार करने के लिए पार्टनरशिप की है। अभी ट्रेन में दिए जा रहे भारी कंबल की जगह NIFT नए और हल्के कंबल डिजाइन करेगा जो वजन में तो हल्का होगा ही साथ में उसे आसानी से साफ भी किया जा सकेगा। ये कंबल हल्के कपड़े से तैयार किया जाएगा। ये कंबल पतले होंगे व सीधे पानी से धोए जा सकेंगे। नए कंबलों का परीक्षण भी मध्य रेलवे जोन में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर किया जा रहा है। रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने कहा, 'हमारा लक्ष्य ट्रेनों में हर यात्रा के दौरान साफ लिनन के साथ धुले हुए कंबल मुहैया कराना है। फिलहाल लिनन के 3.90 लाख सेट रोजाना मुहैया कराए जाते हैं। इनमें दो चादर, एक तौलिया, तकिया और कंबल शामिल है, जो वातानुकूलित डिब्बों में हर यात्री को दिए जाते हैं।'
अनिल सक्सेना ने बताया कि कंबलों को अधिक धोने और मौजूदा कंबलों को चरणबद्ध तरीके से नए हल्के एवं मुलायम कपड़े से बने कंबलों से बदलने की योजना बनाई गई है। अधिकारी ने बताया कि कुछ खंडों में कंबलों के कवर बदलने का काम शुरू कर दिया गया है और कंबलों को अब एक माह की जगह 15 दिन और एक सप्ताह में धोने का काम शुरू किया जा रहा है। यात्रियों की ओर से की जा रही लगातार शिकायतों और कैग की नवीनतम रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया गया है।
इस महीने की शुरुआत में, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने ट्रेन में स्वच्छता और प्रबंधन पर भारतीय रेलवे की आलोचना की थी। 1 जुलाई कैग ने कहा था कि रेलवे में दूषित खाद्य पदार्थों, रिसाइकल किया हुआ खाना और डब्बा बंद व बोतलबंद सामान का इस्तेमाल एक्सपाइरी डेट के बाद भी किया जाता है। यूपी में एक ट्रेन में वेज बिरयानी में छिपकली भी मिली थी। इस पर एक युवक रेलवे को ट्वीट किया था। यात्रियों की तरफ से लगाए गए आरोपों के बाद कैग ने कहा था कि रेलवे उचित स्वच्छता के निर्देशों का पालन करने में असफल रहा।
कैग की रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि कई एसी डिब्बों में तो ऐसे कंबल दिए जा रहे हैं जो छह महीनों से नहीं धुले हैं। इस खामी को दूर करने के लिए रेलवे कंबलों के ज्यादा बार धोने और मौजूदा कंबलों को चरणबद्ध तरीके से डिजाइनर व हल्के कंबलों से बदलने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है। इसके अलावा अनिल सक्सेना ने बताया कि हमने कुल 31 राजधानी, दूरंतो और शताब्दी ट्रेनों के टिकट बुक करते वक्त खान-पान की सुविधा को वैकल्पिक करने की योजना भी बनाई है। जिसके लिए सभी जोनल रेलवे को पत्र भेज दिया गया है।
अगले एक सप्ताह में रेलवे की आईटी विभाग टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर में बदलाव कर खाना लेने की बाध्यता को वैकल्पिक कर दिया जायेगा। सक्सेना ने बताया कि अभी 55% कंबल रेलवे की लॉन्ड्री में धुले जाते हैं जिसे 2018 मार्च तक 70% करने की योजना है।