क्विक सर्विस रेस्तराँ में नये स्टार्टअप डोसा प्लेस को अमेरिका ले जाने की तैयारी में अजय कोनेरू
बचपन से ही अपने देश में कुछ करने की इच्छा के चलते नौकरी, गाड़ी, बँगला, नौकर-चाकर सब छोड़कर स्वदेश लौटने वाले अजय कोनेरू ने सड़कों पर कारोबार करने के लिए रखी आदित्य रेस्टोरेंटस 'डोसा प्लेस' की नींव... दो साल तक सफल रूप से व्यापार करने के बाद किया 'चेन्नई शेफ़' का अधिग्रहण ... बहुराष्ट्रीय कंपनी की बड़ी नौकरी छोड़कर सड़कों की ख़ाक छानने के लिए परिवारवालों की टिप्पणियाँ सही, लेकिन अपनी मेहनत और काबिलियत से उन्हें राज़ी किया और बन गये उनकी सराहना के हक़दार।
अजय कोनेरू के मन में शुरू से ही था कि वे अपने देश में रहकर कुछ उद्यम करें। उद्योग के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को निखारें, लेकिन निश्चित रूप से दिमाग़ में इसका कोई ख़ाका बन नहीं पाया था। यही कारण था कि पिता की इच्छा पूरी करते हुए वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये और यहीं पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी भी मिल गयी। 13 साल तक विभिन्न कंपनियों में नौकरी करने के बाद उनके मन के किसी कोने में बैठी उद्यमता की सोच सपने का आकार लेने लगी। उन्होंने अमेरिका में देखा कि मोबाइल फूड चैन लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। यहीं से उनके मन में कारोबार के नये अंकुर फूटे और आज हैदराबाद में उनके कारोबार के वही अंकुर 'डोसा प्लेस' के साथ मल्टिपल मोबाइल ट्रक के रूप में हैदराबाद के विभिन्न गेटेड कम्युनिटीज़ और आईटी कंपनियों के आस पास देखे जा सकते हैं।
अजय कोनेरू का बचपन तेलंगाना के खम्मम ज़िले में कोत्तमगुडम में सरकारी कोयला खदनों के पास बीता। बी कॉम की पढ़ाई के बाद पिता चाहते थे कि बेटा विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करे और कोई बढ़िया सी नौकरी करके सेटल हो जाए। अजय ने ऐसे ही किया। मिशिगन यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद विभिन्न आईटी कंपनियों में काम किया। फिर अचानक उन्होंने एक दिन निर्णय लिया कि वे अपने देश वापिस आ जाएँगे। उन्होंने यह भी तय कर लिया कि वे स्वदेश लौटकर क्या करेंगे। अजय बताते हैं,
मैं लगभग साढ़े सात साल तक अमेरिका में रहा। आख़री छह महीनों मैं वापिस आने का इरादा कर चुका था। वहाँ मैंने देखा कि कुछ लोग ट्रालियों के रूप में मोबाइल फूड के क्षेत्र में अच्छा कारोबार कर रही हैं। मैं भारत लौट आया। मुझे इडली और डोसा से ज्यादा कुछ अधिक पता नहीं था। जितना जानता था, उसी से मैंने शुरूआत की और फिर कारोबार चल निकला। आज चार मोबाइल ट्रक हैं, जो हैदराबाद में विभिन्न स्थानों पर लोगों को स्वादिष्ट भोजन परोस रहे हैं।
लाखों रुपये की नौकरी छोड़कर कारोबार में कदम रखना अजय के लिए आसान नहीं था। सबसे पहले तो परिवारवालों को ही मनाना बड़ा मुश्किल था। अजय कहते हैं कि अच्छी खासी सेटल लाइफ छोड़कर सड़क पर आना किसी को भी अच्छा नहीं लगा। पिताजी ने भी नसीहत की, लेकिन जो फैसला किया था, वह वापस होने वाला नहीं था। 'डोसा प्लेस' शुरू का निर्णय अटल रहा। इसके लिए अजय ने एक नया टाटा एस वाहन खरीदा और उसे अपने हिसाब से डिज़ाइन करवाने के लिए दिन रात लगाये। वेल्डर के पास बैठकर छोटी छोटी चीज़ों के बारे में उसे बताते रहे। एक जब मोबाइल ट्रक बनकर तैयार हो गया और उद्घाटन के पहले ही दिन उनकी योजना ने कुछ इस तरह प्रोत्साहित किया कि फिर डोसा प्लेस ने पीछे मुड़कर देखने का नाम नहीं लिया।
अजय कोनेरु बताते हैं,
साइबराबाद (हैदराबाद) में हाइटेक सिटी के निकट अय्यप्पा सोसाइटी की गेट के बास जब उनकी मोबाइल ट्रक खड़ी थी और उद्घाटन का दिन था, केवल 45 मिनट में ही सारा ट्रक खाली हो गया। 350 डोसे बिक गये।
डोसा एवं इडली के क्षेत्र में मल्टिपल मोबाइल ट्रक्स का कांसेप्ट को भारत में पहली बार पेश करने वाला हैदराबादी स्टार्टअप होने का दावा करने वाले आद्या रेस्टोरेंट्स ‘दोसा प्लेस’ ने अपने कारोबार का विस्तार करते हुए एक दूसरे स्टार्टअप ‘चेन्नई शेफ’ का अधिग्रहण कर लिया है। चेन्नई शेफ रिटेल बाज़ार में इडली, दोसा, नुट्री डोसा बैट्टर्स के क्षेत्र में व्यापार कर रहा है।
निदेशक अजय कोनेरू के अनुसार, आद्या रेस्टोरेंट्स ‘दोसा प्लेस’ की शुरूआत उन्होंने दो वर्ष पहले की थी। वर्तमान में उसके 4 मोबाइल ट्रक क्विक सर्विस रेस्टोरेंट का संचालन कर रहे हैं। अब उन्होंने सुकाश्री एग्रो फूड्स के चेन्नई शेफ में 91 प्रतिशत की हिस्सेदारी प्राप्त की है। उनका तेज़ी से लोकप्रिय होता मोबाइल ट्रक डोसा प्लेस इस नये जोड़ सो तरक्की करेगा और वे देश के प्रमुख शहरों में अपने आउटलेट भी स्थापित करेंगे।
अजय ने बताया कि इस नये अधिग्रहण से वे देश के प्रमुख शहरों के तक पहुँचेंगे। उनकी योजना है कि देश भर में 36 आउटलेट स्थापित करें। इस विस्तार से वे 2000 कर्मचारियों को रोज़गार दे सकेंगे। उन्होंने बताया, डोसा प्लेस की शुरूआत में कुछ ही कर्मचारियों की नियुक्ति से हुई थी, फिर कुछ ही दिन में इनकी संख्या 20 हुई। अधिग्रहण से पहले तक यह संख्या 60 थी और अब 200 कर्मचारी है। मुझे उम्मीद है कि यह संख्या 2000 तक पहुँच जाएगी। कंपनी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय विस्तार के लिए टीआईडीसी (दि इंडियन डोसा कंपनी) की स्थापना की है। यह कंपनी सर्वप्रथम उत्तर अमेरिका में अपनी शाखाएँ स्थापित कर वहाँ भारतीय व्यंजनों का स्वाद लोगों को चखाएगी।
अजय ने अपने डोसा परोसने वाली इन मोबाइल ट्रकों के नाम भी बड़े अनोखे रखे हैं। वे बताते हैं,
आईटी-1, से आईटी-4 तक चार ट्रक हमारे पास हैं। यह मुझे अपने पुराने करियर इन्फर्मेशन टेक्नोली(आईटी) की याद दिलाते हैं, लेकिन इसका अर्थ इडली ट्रक के रूप में भी देखा जा सकता है। यह ट्रक गेटेड कम्युनिटी के पास अपना कारोबार शाम 5.30 बजे शुरू करते हैं और रात 11 बजे तक लोगों को इडली डोसा के साथ दक्षिण भारतीय फास्टफुड परोसते रहते हैं। मैं इसमें बिरयानी भी रख सकता था, लेकिन बिरायानी को पहले से पकाकर रखना ज़रूरी होता है, वह इडली और डोसा की तरह तत्काल पकाकर कर परोसी नहीं जा सकती।
हैदराबाद ही नहीं, बल्कि भारत में यह अपनी तरह का अनोखा कारोबार है। इसमें समस्याएं भी नयी तरह की हैं। इसके लिए ट्रेड लायसेंस के नियम अभी म्युनिसिपल कार्पोरेशन ने अलग से नहीं बनाए हैं। यही कारण है कि वे अपनी कंपनी के पते पर ही इसका सारा प्रबंधन करते हैं। बारिश और ट्राफिक की समस्या भी होती है। किसी गेटेड कम्युनिटी में जाने से पहले वहाँ की सोसाइटी से इसकी अनुमति लेनी पड़ती है। इन सब के बावजूद हैदराबाद के आईटी कोरिडोर में उनका डोसा प्लेस और मोबाइल फुड ट्रक दिन प्रतिदिन लोकप्रिय होता जा रहा है। अब इस कारोबार में उनकी पत्नी विद्या कोनेरू भी उनके साथ हैं।