Brands
YS TV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

बर्तनवाले का तीस साल का इतिहास

भारतीय ‘किचनवेयर’ को विदेशों में निर्यात करने वाली अपनी तरह की पहली कम्पनी

बर्तनवाले का तीस साल का इतिहास

Tuesday August 25, 2015 , 5 min Read

चेन्नई में बड़े हुए शांतिलाल ने 16 साल से ही काम शुरू कर दिया, उस समय वह दसवीं में पढ़ रहे थे। महत्वकांक्षी शांतिलाल ने कुछ पैसे बचा कर 10,000 रूपये में स्टेनलेस स्टील बर्तन निर्माण की कम्पनी शुरू कर दी। उन्होंने चारमिनार ब्रांड नाम के अन्दर गैस लाइटर और वाटर फ़िल्टर भी बनाये और 1987 में शांतिलाल का ब्रांड दक्षिण भारत में पहचाना जाने लगा।

image


34 साल के उनके बिजनेस यात्रा का यह रास्ता चढ़ाव से ज्यादा उतार से भरा रहा। लेकिन उन्होंने अपने पांव जमाये रखे और अब बदलते समय में उनके बेटे भी उनके साथ हैं।

भारत में कई उद्यमिता के ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने ‘enterpreneurship’ के चकाचौंध में आने से पहले ही अपना विस्तार कर लिया था। कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी व्यवसाय को शुरू करने और उसे विस्तार करने में लगा दी। कुछ मामलों में एक मिसाल खड़ी हुई और कुछ में ढह गयी। यहाँ हम एक व्यक्ति से मिले जिन्होंने उद्यम के अवसरों को भारतीय बर्तन उद्योग में देखा और उनकी यह यात्रा दुर्लभ रही है। 34 साल के उनके बिजनेस यात्रा का यह रास्ता चढ़ाव से ज्यादा उतार से भरा रहा। लेकिन उन्होंने अपने पांव जमाये रखे और अब बदलते समय में बेटे भी उनके साथ हैं। हम बात कर रहे हैं शान्तिलाल जैन की। जो 1987 से ‘किचनवेयर स्टेनलेस स्टील’ उद्योग से जुड़े रहे हैं।

चेन्नई में बड़े हुए शांतिलाल ने 16 साल से ही काम शुरू कर दिया, उस समय वह दसवीं में पढ़ रहे थे। महत्वकांक्षी शांतिलाल ने कुछ पैसे बचा कर 10,000 रूपये में स्टेनलेस स्टील बर्तन निर्माण की कम्पनी शुरू कर दी। उन्होंने चारमिनार ब्रांड नाम के अन्दर गैस लाइटर और वाटर फ़िल्टर भी बनाये और 1987 में शांतिलाल का ब्रांड दक्षिण भारत में पहचाना जाने लगा। शांतिलाल द्वारा बनाये गए बिजनेस के इस रास्ते का आज भी पूरे भारत में 300 के करीब कम्पनियां अनुसरण कर रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में धावा

1989 में शांतिलाल जैन ने एक छोटे निर्यात कारोबार में प्रवेश श्रीलंका के लिए शिपमेंट से किया। लेकिन 1990 में उन्हें बड़ी कामयाबी मिली। उन्हें कनाडा से ऑर्डर मिला जो उनकी निर्माण क्षमता से 10 गुना ज्यादा था। उन्होंने ऑर्डर लिया और अपने ब्रांड ‘शाइन’ को लांच किया। इसके बाद ब्रांड 20 से ज्यादा देशों में लोकप्रिय हो गया।

बिजनेस बढ़ने लगा और नब्बे के दशक के आधे में, वे उन शुरूआती निर्यातकों में से एक बने जिन्होंने दुनिया भर में भारतीय बर्तनों को वितरित किया। 1997 में उन्होंने दुबई (संयुक्त अरब अमीरात) और 2001 में पनामा में अपना ऑफिस स्थापित किया। उसके बाद नाइजीरिया (अफ्रीका) में भी शांतिलाल ने ऑफिस खोला। बर्तन निर्यात में भारत चीन से आगे निकल रहा है।

दुबई में सेटअप

दुबई में सेटअप


2004 में चेन्नई में बड़े बर्तनों के निर्माण की प्रक्रिया दस हजार कर्मचारियों के साथ शुरू हुई। इसका लक्ष्य अगले दस साल में भारत की सबसे बड़ी इकाई बनाना था। एकल स्वामित्व से हुई वृद्धि के बाद कम्पनी सार्वजनिक सीमित (पब्लिक लिमिटेड) में भागीदार बन गयी और 80 से अधिक देशों में निर्यात करने लगी।

यात्रा में टक्कर

लेकिन कहानी इस तरह ही नहीं चलती रही, 2006 में मजदूरों की हड़ताल, बाजार की स्थिति और पारिवारिक विवादों के चलते बिजनेस का रुख नीचे की ओर हो गया। सरकार द्वारा कुछ नीतियों में किये गए बदलाव कुछ बिजनेसों के लिए अच्छे नहीं रहे।

वापसी

शांतिलाल ने बाज़ार में बने रहने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कार्यलयों को बंद/विलय किया। इससे वह एक हद तक सक्षम हो गए। सबसे अहम बातें थी कि उनके जुनून पर अभी भी कोई प्रभाव नहीं था। शांतिलाल के बिजनेस के प्रति केन्द्रित रहने में उनके मानवीय गुणों का भी बड़ा हाथ है। वे एक अवार्ड की कहानी बताते हैं- “मुझे एक बातचीत याद है जब मेरे पिता को मंत्रालय से एक बधाई पत्र मिला। यह बधाई पत्र 1992 में उनके द्वारा भारतीय किचनवेयर को विदेशों में निर्यात (अपनी तरह से पहली बार) करने के लिए मिला था। मेरे पिता को लगा यह किसी जाली संस्था द्वारा भेजा गया है और उन्होंने इसे छोड़ दिया।”- आज, यह अवार्ड भारत के प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है।

अपने पिता के साथ जुड़कर फिर से बिजनेस को प्रथिष्ठा की ओर ले जाने वाले पद्मश्री कहते हैं “इंडस्ट्री के लोग उन्हें ‘स्टेनलेस स्टील किचनवेयर इंडस्ट्री’ का ‘मैजिक मेकर’ कहते हैं।” पचास साल के शांतिलाल पूरी किचनवेयर इंडस्ट्री को संगठित करने महत्वाकांक्षा रखते हैं। शांतिलाल कहते हैं, “भारत में अभी किचनवेयर बिजनेस असंगठित है, हमारा इसको दृढ संकल्प होकर संगठित कर भारत में तीस करोड़ से ज्यादा घरों में पहुँचने का इरादा है।

बर्तनवाले का लॉन्च

शांतिलाल का ध्यान किचनवेयर की डिजाइन पर सबसे ज्यादा है। वह कहते हैं “डिजाइन में हम सबसे आगे हैं।” शांतिलाल द्वारा स्थापित बर्तनवाले नई भारतीय पीढ़ी के लिए है, और पद्मश्री इस क्षेत्र में अपने पिता की मदद कर रहे हैं। पद्मश्री कहते हैं,“हमारे पास कुछ ऐसे उत्पाद हैं जो किसी के पास नहीं हैं और यह हमें ‘प्राइस वार’ से दूर रहने में मदद करता है।” ऑनलाइन उनके बिजनेस का बहुत छोटा भाग है, लेकिन वे लगातार इसे बड़ा कर रहे हैं।

शांतिलाल के लिए यह यात्रा एक ‘रोलर-कोस्टर राइड’ रही है और वे अभी भी काम करके इसे इसे ऊँचाई पर ख़त्म करना चाहते हैं।

पढ़ें: सीए का काम छोड़ राजीव कमल ने शुरू की खेती, कमाते हैं 50 लाख सालाना