किराए के घर में रहने वाले व्यक्ति ने गरीबों को दान की 2.3 एकड़ की बेशकीमती जमीन
February 22, 2018, Updated on : Thu Sep 05 2019 07:15:18 GMT+0000

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मुगुदा के परिवार में 15 सदस्य रहते हैं। जिसमें उनका बेटा, बहु, पोते और उनके मां-बाप भी रहते हैं। वे एक किराए के घर में रहते हैं। अभी उनके घर की हालत कुछ खास अच्छी नहीं है, लेकिन फिर भी वह गरीबों की परवाह करते हुए उनकी जिंदगी सुधार रहे हैं।

फोटो साभार- हिंदुस्तान टाइम्स
जमीन पाने वाली एक विधवा राजेश्वरी ने कहा कि मुगुदा किसी भगवान से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मेरे पास एक भी इंच जमीन नहीं थी, लेकिन अब मेरे पास खुद की जमीन हो गई है।'
उड़ीसा के एक छोटे से कस्बे जेपुर में रहने वाले मुगुदा सूर्यनारायण आचार्य ने वो किया है जिसे करने की हिम्मत सबके भीतर नहीं होती है। उन्होंने गांव में 250 भूमिहीन लोगों में अपनी 2.3 एकड़ जमीन दान कर दी है। 1997 में मुगुदा ने गांव में एक शिव मंदिर बनवाने की इच्छा जताई थी। उस वक्त उनके पास अच्छे पैसे भी थे। लेकिन गांव के एक पुजारी ने उनसे कहा कि अगर वे मंदिर बनवाने की बजाय अपनी जमीन गरीबों में बांट दें तो उन्हें भगवान का आशीर्वाद और गरीबों की दुआएं भी मिलेंगी। इस सलाह को मानते हुए मुगुदा ने अपना वादा निभाया और अपनी जमीन दान कर दीय़
मुगुदा के परिवार में 15 सदस्य रहते हैं। जिसमें उनका बेटा, बहु, पोते और उनके मां-बाप भी रहते हैं। वे एक किराए के घर में रहते हैं। अभी उनके घर की हालत कुछ खास अच्छी नहीं है, लेकिन फिर भी वह गरीबों की परवाह करते हुए उनकी जिंदगी सुधार रहे हैं। पिछले माह जनवरी में उन्होंने 10 लोगों को जमीन के कागजात देते हुए इस कार्य को पूरा किया। वह खिड़की फैब्रिकेशन की वर्कशॉप चलाते हैं। उनकी वर्कशॉप भी किराए के मकान में चलती है। उनके घर और वर्कशॉप का किराया 15,000 रुपये है।
उन्होंने इस मौके पर हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा, 'आज मैं बेहद खुश हूं क्योंकि मैंने 20 साल पहले किया गया अपना वादा निभाया है। मेरे पास भले ही खुद का घर नहीं है, लेकिन कई सारे भूमिहीनों को जमीन दान करने के बाद मैं खुशी से मर सकूंगा।' हर एक भूमिहीन को मुगदा की तरफ से 360 स्क्वॉयर फीट जमीन दान में मिली। मुगुदा के बचपन के दस्त सुधीर सारंगी ने इस पर कहा कि कई सारे रियल एस्टेट ब्रोकर ने मुगदा को इस जमीन के लिए 3-4 करोड़ रुपये ऑफर किए, लेकिन उन्होंने ये ऑफर ठुकरा दिया। वो ऐसे इंसान हैं जो नेकी करने के बाद श्रेय भी नहीं लेना चाहते।
जमीन पाने वाली एक विधवा राजेश्वरी ने कहा कि मुगुदा किसी भगवान से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मेरे पास एक भी इंच जमीन नहीं थी, लेकिन अब मेरे पास खुद की जमीन हो गई है।' मुगुदा ने कहा कि यह जमीन इन गरीबों की किस्मत में लिखी थी इसलिए उन्हें ये मिली। जमीन पाने वालों में से विधवाओं के साथ ही गरीब मजदूर भी हैं। इन लोगों ने कहा कि वे अंतिम सांस तक उनका अहसान नहीं भूलेंगे। मुगदा ने कहा कि वह बचपन से ही महाभारत, रामायण और पुराणों की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं। उन्होंने इसका श्रेय भगवान को देते हुए कहा कि ऊपर वाला जो चाहता है हमसे वही कराता है इसमें उनका कुछ योगदान नहीं है। (तस्वीर और स्टोरी साभार- हिंदुस्तान टाइम्स)
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