Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

एक दिहाड़ी मजदूर जिसने जरूरतमंद बच्चों के लिए दो बार बनाई लाइब्रेरी, मिलें मैसूर के इस ‘लाइब्रेरी मैन’ से

एक दिहाड़ी मजदूर जिसने जरूरतमंद बच्चों के लिए दो बार बनाई लाइब्रेरी, मिलें मैसूर के इस ‘लाइब्रेरी मैन’ से

Friday January 28, 2022 , 3 min Read

देश में आज लाखों की संख्या में ऐसे बच्चे मौजूद हैं जिन्हें बुनियादी शिक्षा उपलब्ध नहीं हो सकी है, ऐसे में मैसूर के एक शख्स ऐसे जरूरतमंद बच्चों को उनकी शिक्षा में मदद करने के लिए अपनी मेहनत की कमाई को बीते एक दशक से इस सराहनीय काम में लगा रहे हैं।

62 वर्षीय सैय्यद इस्साक ने कुछ समय पहले जरूरतमंद बच्चों के लिए एक लाइब्रेरी का निर्माण किया था, जो बीते साल किसी कारण के चलते बर्बाद हो गई थी। इसके बाद सरकार ने उनसे लाइब्रेरी के दोबारा निर्माण किए जाने का वादा किया था, हालांकि जब सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया तब इस दिहाड़ी मजदूर ने यह ज़िम्मेदारी एक बार फिर से अपने कंधों पर ले ली।

क

लाइब्रेरी को फिर से खड़ा करने के उद्देश्य से सैय्यद की मदद के लिए कई लोग आगे आए थे, लेकिन सरकार ने यह काम अपने हाथों में ले लिया था। समय बीतने के साथ सरकार अपने वादे को पूरा नहीं कर सकी और इसके बाद सैय्यद ने यह काम खुद से करने का फैसला लिया।

खाक हो गई थी लाइब्रेरी

सैय्यद खुद शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके थे, लेकिन वे नहीं चाहते थे कि किसी अन्य बच्चे को शिक्षा से वंचित होना पड़े। अपनी इसी नेक सोच के साथ आगे बढ़ते हुए उन्होने खुद की बचत के पैसे लगाकर करीब एक दशक पहले लाइब्रेरी का निर्माण किया था।

यह लाइब्रेरी एक पार्क के किनारे महज 400 वर्ग फुट क्षेत्र में तैयार हुई थी। लाइब्रेरी में भगवत गीता के साथ ही 3 हज़ार से अधिक कन्नड उपन्यास और 11 हज़ार से अधिक अन्य पुस्तकें मौजूद थीं। बीते साल एक शख्स द्वारा लापरवाही से सिगरेट की बट फेंके जाने के बाद उनकी यह लाइब्रेरी जलकर खाक हो गई थी।

तब लाइब्रेरी को फिर से खड़ा करने के उद्देश्य से सैय्यद की मदद के लिए कई लोग आगे आए थे, लेकिन सरकार ने यह काम अपने हाथों में ले लिया था। समय बीतने के साथ सरकार अपने वादे को पूरा नहीं कर सकी और इसके बाद सैय्यद ने यह काम खुद से करने का फैसला लिया था।

छात्रों ने किया लाइब्रेरी का उद्घाटन

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, सैय्यद को दानदाताओं द्वारा 4 लाख रुपये और लाइब्रेरी के लिए 10 हज़ार से अधिक पुस्तकें भी मिली थीं। सैय्यद ने अपने घर में रहते हुए करीब 45 दिनों तक लाइब्रेरी के शेड का निर्माण किया और बाद में उन्होने लाइब्रेरी की पुनर्स्थापना भी की।

बीते गणतंत्र दिवस के मौके पर सैय्यद ने सरकारी स्कूल के छात्रों को बुलाकर अपनी इस लाइब्रेरी का उद्घाटन करवाया था। इसी के साथ सैय्यद ने छात्रों को यह संकल्प भी दिलवाया था कि वे नियमित तौर पर लाइब्रेरी आएंगे और अध्ययन करेंगे।

सैय्यद ने मीडिया को बताया है कि वे अब और इंतज़ार नहीं करना चाहते थे और वे इस लाइब्रेरी के निर्माण के बाद खुश हैं। सैय्यद यह आशा करते हैं कि उनके इस काम के जरिये क्षेत्र के सभी बच्चों को शिक्षा मिल सकने का उनका उद्देश्य पूरा हो सकेगा।


Edited by Ranjana Tripathi