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एक भिखारी का ख़त फेसबुक पर हो रहा है तेजी से वायरल

आपकी आंखों में आंसू ला देगी ये पोस्ट। फेसबुक पर तो ये पोस्ट अंग्रेजी में वायरल हो रही है, लेकिन यहां हम आपको इसे हिन्दी में पढ़ा रहे हैं...

एक भिखारी का ख़त फेसबुक पर हो रहा है तेजी से वायरल

Thursday May 04, 2017 , 4 min Read

मां-बाप का प्यार निस्वार्थ होता है, ये हम हमेशा पढ़ते,देखते, सुनते आए हैं। मां-बाप अपने बच्चों को खुश और संतुष्ट देखने के लिए कुछ भी करते हैं। एक फेसबुक पोस्ट वायरल हो रही है. जीबी आकाश ने फेसबुक पर एक फोटो डाली है. जिसमें एक बाप अपनी छोटी सी बच्ची की तस्वीर ले रहा है। बाप की आंखों में जो संतुष्टि और स्नेह के भाव हैं वो अनमोल हैं. उससे भी अनमोल और रुला देने वाली है इस फोटो के पीछे की कहानी।

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 फोटो जीएमबी, फोटो साभार: फेसबुकa12bc34de56fgmedium"/>

"हां मैं भिखारी हूं! दो साल के बाद मेरी बेटी नया कपड़ा पहन रही है, इसीलिए मैं उसे अपने साथ थोड़ी देर खेलने के लिए ले आया। हो सकता है कि आज मैं कुछ न कमा पाऊं लेकिन मैं अपनी बच्ची के साथ आज घूमना चाहता था। मैंने चुपके से अपने पड़ोसी ये फोन मांगा है, बिना अपनी पत्नी को बताये। मेरी बच्ची की एक भी फोटो नहीं है और मैं इस दिन को उसके लिए यादगार बनाना चाहता था। एक दिन जब मैं भी फोन खरीद लूंगा तो मैं अपने बच्चों की ढेर सारी फोटो लूंगा।"

जीएमबी आकाश एक मल्टीमीडिया पत्रकार हैं और फेसबुक पर अपनी फोटो-स्टोरीज़ की वजह से काफी पॉपुलर हैं। उनके लाखों फॉलोअर्स हैं। यहां हम जिस स्टोरी को आपसे शेयर कर रहे हैं, वो फेसबुक पर अंग्रेजी में वायरल हो रही है, लेकिन यहां बाप और बेटी के अनूठे प्यार की कहानी कहती ये पोस्ट अब आप हिन्दी में भी पढ़ सकते हैं।

"दो सालों के बाद, कल आखिरकार मैंने अपनी बच्ची के लिए नई फ्रॉक खरीद ही ली। जब मैंने दुकानदार को 5 के 60 नोट दिए तो वो मुझ पर ये कहते हुए चीख पड़ा कि भिखारी हो क्या। मेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और रोने लगी। मुझे फ्रॉक नहीं चाहिए, ये कहकर वो दुकान से निकल गई। मैंने अपने एक हाथ से उसके आंसू पोंछे।

हां मैं भिखारी हूं। 10 साल पहले मैंने अपने बुरे सपने में भी नहीं सोचा था, कि मुझे कभी भीख भी मांगनी पड़ेगी। वो नाइट कोच पुल से गिर गया था और मैं उस दुर्घटना में जाने कैसे जिंदा बच गया था। मेरा एक हाथ चला गया, लेकिन मैं बच गया। मेरा छोटा बेटा अक्सर मुझसे पूछता रहता है, कि मेरा बायां हाथ कहां चला गया? मेरी बेटी सौम्या मुझे हर दिन अपने हाथ से खाना खिलाती है। वो बोलती है, कि उसे मालूम है कि एक हाथ से सारे काम करना कितना मुश्किल है।

दो साल के बाद मेरी बेटी नया कपड़ा पहन रही है, इसीलिए मैं उसे अपने साथ थोड़ी देर खेलने के लिए ले आया। हो सकता है कि आज मैं कुछ न कमा पाऊं, लेकिन मैं अपनी बच्ची के साथ आज घूमना चाहता था। मैंने चुपके से अपने पड़ोसी ये फोन मांगा है, बिना अपनी पत्नी को बताये। मेरी बच्ची की एक भी फोटो नहीं है और मैं इस दिन को उसके लिए यादगार बनाना चाहता था। एक दिन जब मैं भी फोन खरीद लूंगा तो मैं अपने बच्चों की ढेर सारी फोटो लूंगा। मैं अच्छी यादें बनाना चाहता हूं। बच्चों को स्कूल भेजने में बहुत दिक्कत होती है। लेकिन मैं दोनों बच्चों को पढ़ा रहा हूं। कई बार वो एग्जाम नहीं दे पाते हैं, क्योंकि मैं स्कूल की फीस नहीं भर पाता हूं। उस वक्त वो बहुत उदास हो जाते हैं। तब मैं उन्हें समझाता हूं, कि कभी-कभी एग्ज़ाम छूट जाते हैं। सबसे बड़ा इम्तिहान तो जिंदगी है जिसे हम रोज ही देते हैं.

अब मैं भीख मांगने जाऊंगा। अपनी बच्ची को सिग्नल पर छोड़ दूंगा, वो वहीं रहेगी जब तक मैं वापस न आ जाऊं। मैं भीख मांगते वक्त उस पर नजर रखे रहूंगा। मुझे बहुत शर्मिंदगी होती है, जब वो मुझे किसी से पैसे मांगते देखती है। लेकिन वो मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ती है। क्योंकि सड़क पर बड़ी कारें चलती रहती हैं। उसे डर है कि कहीं कोई गाड़ी न चढ़ा दे और मुझे मार डाले।

जब मुझे थोड़े पैसे मिल जाते हैं, तो मैं उसका हाथ पकड़कर वापस आ जाता हूं। हम रास्ते में सामान खरीदते हुए जाते हैं, मेरी बच्ची हमेशा एक झोला अपने पास रखती है। हमें बारिश में भीगने में बहुत मजा आता है। बारिश में भीगते हुए हम अपने सपनों के बारे में बात करते हैं। जिस दिन मुझे एक भी पैसा नहीं मिलता, हम चुपचाप घर आ जाते हैं। उस दिन मन करता है कि मैं मर जाऊं, लेकिन जब बच्चे मेरा हाथ पकड़कर सो जाते हैं तो मुझे लगता है कि जीते रहना इतनी भी बुरी चीज नहीं है।

सिर्फ एक खराब चीज है, अपनी बच्ची को सिर झुकाये सिग्नल पर इंतजार करते हुए देखना। भीख मांगते वक्त मैं अपनी बच्ची की आंखों में नहीं देख पाता हूं। लेकिन आज का दिन अलग है। क्योंकि आज मेरी बेटी बहुत खुश है। आज ये पापा भिखारी नहीं है, बल्कि राजा है और ये उसकी राजकुमारी है।"

-एम डी कवासर हुसैन