पहले पढ़ो लिखो और बाद में अदा करो फीसः आईआईटी खड़गपुर की नयी योजना

पहले अध्ययन, बाद में भुगतान: आईआईटी खड़गपुर का धनराशि जुटाने का नया तरीका

पहले पढ़ो लिखो और बाद में अदा करो फीसः आईआईटी खड़गपुर की नयी योजना

Tuesday August 02, 2016,

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केंद्र सरकार की ओर से बजट में की गई कटौती का सामना कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान :आईआईटी: खड़गपुर ने धनराशि जुटाने का एक नया तरीका खोज लिया है। इसका नाम ‘पढ़ो.कमाओ..धन लौटाओ’’ योजना है। इसके तहत छात्र यदि यह संकल्प लें कि वे नौकरी मिलने के बाद धनराशि दान करेंगे तो उनकी फीस माफ़ कर दी जाएगी।

इस योजना को इस नये शैक्षिक सत्र से शुरू किया गया है। यह योजना छात्रों को बिना किसी बोझ के पढ़ने औन धन अर्जन के लिए करियर बनाने में मदद करेगी और वे बाद में नौकरी से कमायी करके उसे अपने संस्थान को वापस लौटा सकते हैं।

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आईआईटी खड़गपुर के निदेशक पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हमने छात्रों से कहा है कि वे नौकरी मिलने के बाद कम से कम 10 हजार रुपये प्रतिवर्ष दें। यदि हमारे 30 हजार भूतपूर्व छात्र भी न्यूनतम राशि दें तो हम प्रतिवर्ष 30 करोड़ रुपये जुटा लेंगे। यदि भूतपूर्व छात्र योगदान देना शुरू कर दें तो हम एक नया माडल बनाने में सफल होंगे। यहां तक कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय को भी अपने बजट का 60 प्रतिशत हिस्सा अपने भूतपूर्व छात्रों से मिलता है।’’ उन्होंने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा बहुत महंगी है और सरकार को प्रति छात्र पर प्रति वर्ष छह लाख रूपये खर्च करने पड़ते हैं। हाल में सरकार ने स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए वाषिर्क फीस वर्तमान के 90 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रूपये कर दी है जो आगामी शैक्षिक सत्र से लागू होगा। यह करीब 122 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईटी के बजटीय आवंटन में पहले ही कटौती कर दी है और संस्थानों से कहा है कि वे अपने लिए धनराशि स्वयं ही जुटायें। नयी योजना के तहत आईआईटी खड़गपुर श्रेणीबद्ध तरीके से छात्रों के मेरिट और आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर छात्रवृत्ति मुहैया कराएगी। असाधारण शैक्षिक रिकार्ड वाले छात्रों की पूरी फीस माफ़ की जाएगी।

इसके साथ ही नये प्रवेश लेने वाले छात्रों में से 100 शीर्ष रैंक वालों को यह सुविधा इस्तेमाल करने का मौका दिया जाएगा। चक्रवर्ती ने कहा कि उन्होंने यह अभियान सकारात्मक प्रतिक्रिया देने वाले भूतपूर्व छात्रों के साथ पहले ही शुरू कर दिया गया है।

- पीटीआई