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किराने की दुकान पर जाएं, 'Eko' की मदद लें, नया बैंक अकाउंट खोलें...

“सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में अगर कोई असर पैदा करना चाहते हैं तो सिर्फ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके ही हम ऐसा कर सकते हैं”-अभिनव सिन्हा संस्थापक सदस्य, ईको (Eko)

किराने की दुकान पर जाएं, 'Eko' की मदद लें, नया बैंक अकाउंट खोलें...

Friday July 17, 2015 , 5 min Read

जी हाँ, आपने ठीक समझा! बैंक में नया बचत खाता खोलने और अपने दैनिक लेन-देन के लिए अब आपको बैंक जाकर लाइन में घंटों खड़ा नहीं रहना पड़ेगा। बल्कि आप अपनी किराने की दुकान में जाएँ और मज़े में ‘ईको’ (‘Eko’) बैंकिंग की सुविधा का उपयोग करें। यह एक प्रभावशाली अभिनव तकनीक है, जिसकी सहायता से ईको (Eko) ने बहुत किफ़ायती दरों एक आधारभूत ढाँचा निर्मित किया है, जो लेन-देन की प्रक्रिया को बहुत आसानी के साथ, तुरत-फुरत और सुरक्षित तरीके से निपटाता है और इस तरह वह शहरी गरीबों के दृष्टिकोण से बैंकिंग को नए ढंग से परिभाषित कर रही है।

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प्रेरणा

भारत में आज भी सिर्फ 59% परिवारों के अपने बैंक खाते हैं (स्रोत-आर बी आई) और यह आँकड़ा स्थिति की गंभीरता का बयान करता है। स्पष्ट है कि माँग और आपूर्ति में काफी अंतर है और उपलब्ध खुदरा दुकानों को विकसित करके, दूरसंचार संपर्क (कनेक्टिविटी) में सुधार करके और बैंकिंग के बुनियादी ढाँचे को बेहतर बनाकर इसी अंतर को कम करने का काम ईको (Eco) कर रही है, जिससे शाखाविहीन बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार सामान्य लोगों तक हो सके। बैंकिंग सुविधाओं की कमी से त्रस्त शहरी गरीबों को ध्यान में रखते हुए ईको ने परंपरागत बैंकिंग संरचना और सुविधाविहीन शहरी जनों के बीच के अंतर को पाटने का बीड़ा उठाया है। मोबाइल फोनों के बढ़ते प्रचलन के सहारे इस अभिनव तकनीक का विकास किया गया है, जहाँ ग्राहक किसी भी ईको काउंटर (खुदरा दुकानों) तक जाकर आवर्ती जमा, सावधि जमा या बचत खाता खोल सकते हैं और उन खातों में लेन-देन भी कर सकते हैं, यहाँ ताकि कि देश के किसी भी भाग में पैसे भेज सकते हैं, दुनिया के किसी भी कोने से भेजे गए पैसे प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल रिचार्ज करवा सकते हैं और अपने विभिन्न सेवा-बिलों का भुगतान भी कर सकते हैं।

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उत्पाद और तकनीक

लेन-देन हेतु ईको बहु आयामी (multi-modal-USSD, SMS, IVR और Applications) तकनीक और सुविधाएँ मुहैया कराता है और इसलिए उनकी सेवाएँ किसी भी मामूली मोबाइल फोन से लेकर अत्यंत परिष्कृत मोबाइल फोन तक, सभी के साथ सुचारू रूप से काम करती हैं। इसके अलावा लेन-देन की सम्पूर्ण प्रक्रिया पूरी करने के लिए ईको (Eco) द्वि-गुणक प्रमाणीकरण (two factor authenticatin) का सुरक्षित तरीका इस्तेमाल करता है। उन्होंने वन टाइम पासवर्ड (OTP) जारी करने के लिए एक नए ओ टी पी जनरेटर (OTP generator) का निर्माण किया है, जिसे उन्होंने 'OkeKey' के नाम से पेटेंट भी कराया है। किसी भी लेन-देन हेतु डायल करने के लिए सिर्फ संख्या-ज्ञान आवश्यक है। "सूचना-संचार तकनीक (Information & Communication Technology –ICT) हमारे उत्पाद की रीढ़ है और अब तक उपलब्ध आधारभूत सुविधाओं के बल पर बैंकों के पास इसके अलावा और कोई तरीका नहीं है, जो बैंकिंग सेवाओं का और अधिक विस्तार कर सके। अगर हम कोई असर पैदा करना चाहते हैं तो सिर्फ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके ही ऐसा कर सकते हैं” सी ओ ओ और संस्थापक सदस्य, अभिनव सिन्हा कहते हैं।

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प्रभाव

ईको की झोली में बहुत से उत्पाद हैं, जिनमें बैंकिंग, मुद्रा-अंतरण, भुगतान, SimpliBank मंच और नगदी-प्रबंधन मुख्य हैं। अपने 2000 से ज़्यादा खुदरा दुकानों के विस्तृत नेटवर्क के ज़रिए अब तक वह 20 लाख लोगों तक अपनी पहुँच बना चुका है। ज़्यादातर खुदरा दुकानें मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद आदि सहित देश के टियर 1 शहरों और यू पी, बिहार और पंजाब के दूसरे बड़े शहरों में स्थित हैं। ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, जहाँ आसपास के ड्राईवर और घरेलू नौकरों के पास कोई बचत खाता नहीं हुआ करता था।

साझेदारी और सहयोग

सोची समझी रणनीति के तहत ईको ने भारतीय स्टेट बैंक, यस बैंक और एच डी एफ सी बैंक के साथ साझेदारी की है। इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए अभिनव ने कहा, “आज स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा बैंक है, एच डी एफ सी बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों में अग्रणी है और यस बैंक, हालांकि सबसे नया है, लेकिन आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल करने वाला और सबसे तेज़ गति से विकास करने वाला बैंक है। अपने विस्तृत नेटवर्क और आधुनिक तकनीक के समुचित उपयोग के लिए ये समझौते उपयुक्त संतुलत प्रदान करते हैं।” विभिन्न संस्थानों के साथ भुगतान, नगद संग्रहण और वितरण सेवाओं के लिए भी ईको (Eko) ने कई समझौते किए हैं।

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भविष्य की योजनाएँ

NSIH पुरस्कारों ने ईको को लोगों के सामने बेहतर ढंग पेश किया है। उसने ईको को नई से नई तकनीकों से रूबरू कराया और उनका उपयोग करने का अनुभव प्रदान किया है। बैंकिंग सेवा के मामले में ईको आज भारत की मोबाइल फोन आधारित सबसे बड़ी किफायती आधारभूत संरचना है। जल्द ही वे टियर 2, टियर 3 शहरों और गाँवों तक अपनी सेवाओं का जाल फैलाने की योजना तैयार करने जा रहे हैं। लगातार आधुनिकीकरण और तकनीक में भरपूर निवेश ईको के एजेंडे में सबसे ऊपर हैं, जिससे वे अबाध गति से अपनी सेवाएँ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाते रह सकें।

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भारत में आर्थिक समावेशीकरण

अ) जागरूकता- बैंकिंग क्षेत्र में सेवाओं का विस्तार तो लगातार हो रहा है मगर उस अनुपात में जागरूकता की रफ्तार कम है। इसके अलावा वित्तीय सेवाओं में अभिग्रहण की आवश्यकता ही ग्राहक का विश्वास जीतने की कुंजी है।

ब) आधारभूत संरचना और मदद- ग्राहकों की शिकायतों के निपटारे के लिए बड़ी संख्या में व्यवसाय प्रतिनिधियों की ज़रूरत है। ज़्यादा से ज़्यादा ए टी एम या लेन-देन-स्थल (ट्रैंज़ैक्शन पॉइंट) शुरू करना समय की माँग है। ईको (Eko) स्वयं बैंक नहीं है बल्कि बैंकों के साथ मिलकर काम करने वाला उपक्रम है और बैंकें ही अपने ग्राहकों को और उनकी समस्याओं को बेहतर जानती हैं।

स) सुदृढ़ तकनीक- आई सी टी, मोबाइल फोन और तकनीकों के आधुनिकीकरण के ज़रिए कम से कम समय में एक आशाजनक उत्पाद विकसित करने की क्षमता भी समावेशीकरण की समस्या के समाधान का एक महत्वपूर्ण अंग है।

मोबाइल पर 6 करोड़ 50 लाख (65 मिलियन) लेन-देन प्रविष्टियों का निपटान करके ईको (Eko) भारत में सबसे अधिक प्रविष्टियों का निपटान करने वाला उपक्रम है और उसने सुरक्षित वित्तीय लेन-देन का पेटेंट भी प्राप्त किया है क्योंकि वह समाधान मुहैया कराने वाला दुनिया भर में कार्यरत एकमात्र उपक्रम है।