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मणिपुर में 65 साल के एक किसान ने खोज डाले 165 किस्म के चावल

मणिपुर के पोतशंगबम देवकांत ने अपने जुनून और लग्न के साथ एक दो नहीं, बल्कि 165 तरह के चावलों की किस्मों की खोज कर डाली है।

मणिपुर में 65 साल के एक किसान ने खोज डाले 165 किस्म के चावल

Wednesday June 21, 2017 , 5 min Read

मणिपुर के पहाड़ी इलाकों की जलवायु एक जैसी नहीं है, हर इलाके की जलवायु अलग किस्म को सपोर्ट करती है। धान की प्रजातियों के लिए मणिपुर बहुत ही समृद्ध राज्य है। अपने हरे-भरे खेतों में देवकांत ने धान की 25 प्रजातियों को उगाया है। हालांकि उन्होंने अब तक सौ देसी प्रजातियों को संरक्षित किया है।

पोतशंगबम देवकांत, फोटो साभार: rediff.com

पोतशंगबम देवकांत, फोटो साभार: rediff.com


5 साल पहले पी देवकांत ने इम्फाल के अपने घर में चावल की 4 किस्मों की पैदावर शुरू की थी। 63 साल के देवकांत ने यह काम शौक से शुरू किया था, लेकिन अब यह इनका जुनून बन चुका है। उन्होंने देखते देखते मणिपुर के सारे पहाड़ी इलाके में परंपरागत धान की किस्मों की खोज शुरु कर डाली।

मणिपुर के एक किसान ने कमाल कर दिखाया है। मणिपुर में जैव विविधता को संजोने के माहिर किसान पोतशंगबम देवकांत धान की सौ परंपरागत प्रजातियों की अॉर्गेनिक खेती कर एक नई मिसाल कायम की है। वे सिर्फ धान की दुलर्भ प्रजातियों की ही खेती नहीं करते हैं, बल्कि यह प्रजातियां औषधीय गुणों से भी भरपूर हैं। इसमें से सर्वश्रेष्ठ है "चखाओ पोरेटन" नाम का काला चावल। इस काले चावल के औषधीय गुणों से वायरल फीवर, नजला, डेंगू, चिकनगुनिया और कैंसर तक ठीक हो सकता है।

मणिपुर के 63 वर्षीय पोतशंगबम देवकांत ने अपने जुनून और लग्न के साथ एक दो नहीं बल्कि 165 तरह के चावलों की किस्मों की खोज कर डाली है। 5 साल पहले पी देवकांत ने इम्फाल के अपने घर में चावल की 4 किस्मों की पैदावर शुरू की थी। देवकांत ने यह काम शौक से शुरू किया था, लेकिन अब यह इनका जुनून बन चुका है। उन्होंने देखते देखते मणिपुर के अधिकतर पहाड़ी इलाकों में परंपरागत धान की किस्मों की खोज शुरु कर डाली। इस जुनून की हद यह है, कि देवकांत धान की पारंपरिक किस्मों की तलाश में मणिपुर की पहाड़ियों पर बसे दूरदराज के गांवों की खाक छानते नजर आते हैं। देवकांत को धान की कई किस्मों के बीज मिले, हालांकि कई किस्मों के बीज अब तक वह नहीं जुटा पाए हैं। इस उम्र में भी धान को लेकर देवकांत का जज्बा कम नहीं है और उन्होंने जितनी हो सके, उतनी किस्मों के बीज इकट्ठा करने की ठानी है।

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देवकांत की ये खोज क्यों है इतनी खास?

हाल ही में आयोजित किए गए नेशनल सीड डायवर्सिटी फेस्टिवल 2017 में देवकांत ने अपना कलेक्शन दिखाया। देवकांत सिर्फ धान की दुलर्भ प्रजातियों की ही खेती नहीं करते हैं, बल्कि यह प्रजातियां औषधीय गुणों से भी भरपूर हैं। इसमें से सर्वश्रेष्ठ है "चखाओ पोरेटन" नाम का काला चावल। इस काले चावल के औषधीय गुणों से वायरल फीवर, नजला, डेंगू, चिकनगुनिया और कैंसर तक ठीक हो सकता है। अन्य भारतीय किसानों की ही तरह 63 वर्षीय देवकांत इंफाल में धान के खेतों में घंटों बिताते हैं। लेकिन वह अन्य किसानों से इतर धान की विभिन्न प्रजातियों को उगाते और संरक्षित करते हैं। वह बताते हैं, 'यह काम बेहद चुनौतीपूर्ण था। कई पारंपरिक बीज लुप्त हो चुके हैं, इसके कारण मेरी तलाश बहुत मुश्किल भरी रही। हालांकि, उम्मीद बाकी थी। मुझे किसानों से कुछ दुर्लभ किस्में मिलीं और उसके बाद मैंने कभी पीछे मु़ड़कर नहीं देखा। उन बीजों को इकट्ठा करना सिक्के का एक पहलू था, यह चेक करना चैलेंज था कि उनके खेतों में उनकी पैदावार हो पाती है या नहीं।'

देवकांत को उनके इस अनोखे काम के लिए 2012 में पीपीवीएफआरए संरक्षण अवार्ड (प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैराइटीज एंड फारमर्स राइट्स एक्ट) भी मिल चुका है।

मणिपुर के पहाड़ी इलाकों की जलवायु एक जैसी नहीं है, हर इलाके की जलवायु अलग किस्म को सपोर्ट करती है। धान की प्रजातियों के लिए मणिपुर बहुत ही समृद्ध राज्य है। अपने हरे-भरे खेतों में देवकांत ने धान की 25 प्रजातियों को उगाया है। हालांकि उन्होंने अब तक सौ देसी प्रजातियों को संरक्षित किया है। आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर इन प्रजातियों को देश भर में उगाया जा सकता है। इम्फाल के गांव में उनका धान का खेत प्रयोग करने की जगह का रूप ले चुका है। देवकांत को उनके इस अनोखे काम के लिए 2012 में पीपीवीएफआरए संरक्षण अवार्ड (प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैराइटीज एंड फारमर्स राइट्स एक्ट) भी मिल चुका है।

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धान की दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण

देवकांत ने पांच बेहद दुलर्भ, आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर और पौष्टिक प्रजातियों को भी संरक्षित किया है, जिसमें चखाओ पोरेटन नाम का काला चावल भी शामिल है। उन्होंने कम पानी में उपजने वाले सफेद चावल के साथ ही भूरे चावल और काले चावल की कई प्रजातियों का प्रचार-प्रसार भी किया है।

मणिपुर में काले चावल की कई प्रजातियां उगाई जाती हैं, जिनमें से ये चखाओ पोरेटन सर्वोत्तम है। कम पानी में उगने वाले धानों की प्रजातियों में शामिल यह प्रजाति सूखे जैसे हालात के लिए भी उपयुक्त है। देवकांत का दावा है कि चखाओ पोरेटन जैसे काले चावल से शरीर में होने वाले सभी प्रकार के कैंसर ठीक हो सकते हैं।

एक हिंदी अखबार के साथ हुई अपनी बातचीत में डॉ. अंजलि गुप्ता ने बताया, कि 'चखाओ पोरेटन कैंसर रोगियों को खाना चाहिए।' बेहद महंगी ऐलोपैथिक दवाइयों और उनके भयानक साइड इफेक्ट को देखते हुए चखाओ पोरेटन बहुत ही सुरक्षित उपाय है। यह काला चावल आयुर्वेदिक औषधि तो है ही, इसे केमिकल रहित उगाने से यह कैंसर को पूरी तरह ठीक करता है। 150 रुपये किलो में बिकने वाले चखाओ पोरेटन में अन्य पौष्टिक तत्वों के अलावा अमीनो एसिड भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

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