मुझे स्टार्टअप शब्द पसंद नहीं, इसमें उद्यमिता की सही भावना नहीं है: किशोर बियानी
टेकस्पार्क्स 2018 में ऑडियंस को संबोधित करते हुए किशोर ने बताया, 'स्टार्टअप का मतलब ये तो खत्म होना ही है। स्टार्टअप का पूरा खेल पैसे बटोरने और उसके बाद खुशी से रहने में हैं। मैं स्टार्टअप शब्द को पसंद नहीं करता हूं।
वर्तमान में फ्यूचर ग्रुप का ध्यान छोटे गांवों और शहरों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने पर है। अभी कंपनी के छोटे स्टोर्स की संख्या 1100 है और आने वाले 6-7 सालों में इनकी संख्या 10,000 तक पहुंचाने की कोशिश है।
दो दशकों से भी अधिक समय से भारत की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी और देश में बिग बॉक्स रिटेल की शुरुआत करने वाले फ्यूचर ग्रुप के फाउंडर किशोर बियानी अब टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हाथ आजमाना चाहते हैं, लेकिन अभी उनका विशुद्ध ऑनलाइन खेल के मैदान में उतरने का कोई इरादा नहीं है। वह अपनी डिजिटल महत्वाकांक्षाओं पर सावधानी की लगाम लगाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'विशुद्ध ऑनलाइन दुनिया में आज भी मुझे यकीन नहीं है। इसमें एक ऑर्गनाइजेशन के लिए आपको डिजिटल नर्वस सिस्टम बनाना पड़ता है। हम फिजिकल स्टोर (ऑफलाइन मार्केट) के ऊपर डिजिटल मार्केट की एक परत बिछा रहे हैं। हम ऑनलाइन टू ऑफलाइन के पुरजोर समर्थक हैं।'
फ्यूचर ग्रुप बहुत ही जल्द प्रयोग के तौर पर रिटेल स्टोर लॉन्च करने वाला है। इस तरह का स्टोर किशोर ने न्यूयॉर्क में देखा था। वहां ग्राहक ऑनलाइन उत्पादों को देखकर उन्हें उन्हें महसूस और पसंद करते हैं। फिर वे अपना ऑर्डर प्लेस करते हैं और 24 घंटे के अंदर सामान को उनके घर पहुंचा दिया जाता है। किशोर कहते हैं, 'इसी ऑनलाइन टू ऑफलाइन सिस्टम को हम भारत में लाना चाहते हैं।'
मुझे स्टार्टअप शब्द पसंद नहीं
टेकस्पार्क्स 2018 में ऑडियंस को संबोधित करते हुए किशोर ने बताया, 'स्टार्टअप का मतलब ये तो खत्म होना ही है। स्टार्टअप का पूरा खेल पैसे बटोरने और उसके बाद खुशी से रहने में हैं। मैं स्टार्टअप शब्द को पसंद नहीं करता हूं। यह उद्यमिता की सही भावना को नहीं दर्शाता है।' हालांकि, उन्होंने देशी उद्यमियों के पक्ष में बात की और खासतौर पर उनका जिक्र किया जो जोशीले हैं और जिनके अंदर कुछ कर गुजरने का इरादा है। उन्होंने अपनी इस बात को योरस्टोरी की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा से बातचीत के दौरान कई बार दोहराया।
किशोर कहते हैं, 'भारत अपने उद्यमियों के बगैर आगे नहीं बढ़ सकता है। यही वे लोग हैं जो रोजगार के अवसर पैदा करते हैं।' जब किशोर से पूछा गया कि अगर उन्हें किसी ईकॉमर्स कंपनी की अगुवाई करने का मौका मिले तो वे किसे चुनेंगे तो उन्होंने सवाल को साइड कर दिया। उन्होंने कहा, 'मेरे ख्याल से किसी दूसरे के लिए काम करने से ज्यादा मजेदार खुद का कारोबार करना होता है।' उनके इस जवाब का ऑडियंस ने बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। किशोर आगे कहते हैं, 'हमारा काम ऐसा सिस्टम बनाना है, जिसका लाखों लोग आनंद लें और फिर सालों-साल लेते रहें।'ईकॉमर्स में कुछ भी अच्छा नहीं है?
जब फ्लिपकार्ट में वॉलमार्ट के 20 बिलियन डॉलर के निवेश से घरेलू स्टार्टअप सिस्टम में हलचल मची है। वहीं किशोर इस पर ज्यादा चिंतित नहीं दिखते। श्रद्धा ने पूछा, 'मिस्टर बियानी, आप उस डील (फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट) के बारे में क्या सोचते हैं?' इस पर उन्होंने हंसते हुए कहा, 'खूबसूरती तो देखने वाले की आंखों में होती है। ये तो वही बात हुई कि आपने मेकअप लगाकर लड़की की फोटो शादी के लिए भेजी।' यहां मेकअप से उनका मतलब डील की कई छिपी हुई बातों से था। इस बात पर हॉल में तालियां बजने लगीं।
जब इनका शोर थोड़ा कम हुआ तो किशोर ने कहा, 'आप भविष्य के बारे में सोचकर निवेश नहीं कर सकते हैं। कल भविष्य में कुछ नई और अलग चीजें होंगी। जो कुछ भी है, उसे वर्तमान में ही साबित होना है। ईकॉमर्स में पैसे नहीं बनते हैं और ग्राहक बनाने की लागत बढ़ रही है, जैसा हम कहते हैं।' यहां तक कि किशोर को भारतीय ईकॉमर्स की सफलता को लेकर भी शंका है। वह बताते हैं कि फ्यूचर ग्रुप और खासकर इसका फूड डिवीजन छोटे फूड-मेकर्स और उद्यमियों के साथ मिलकर काम कर रहा है और उन्हें उत्पादों को अपने स्टोर में जगह दे रहा है।
वह कहते हैं, "मैं एक दिन एक मंदिर के बाहर एक दूधवाले से मिला। मुझे उसका उत्पाद काफी अच्छा लगा। अब वह अपने ब्रैंड को हमारे स्टोर के जरिए बेच रहा है।'
किशोर ने बताया, 'एक और बार मुझे दुबई में एक खाद्य उद्यमी मिला। उसने मुझे अपने कुछ पापड़ खिलाए। हमने उनमें निवेश किया और उसके ब्रैंड को अपने स्टोर में लाए। इसलिए, हम हमेशा उन उद्यमियों का सहयोग करने के लिए उत्सुक रहते हैं, जिनके पास कुछ कर गुजरने की ललक होती है।'
छोटे स्टोर्स का एक बड़ा नेटवर्क
वर्तमान में फ्यूचर ग्रुप का ध्यान छोटे गांवों और शहरों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने पर है। अभी कंपनी के छोटे स्टोर्स की संख्या 1100 है और आने वाले 6-7 सालों में इनकी संख्या 10,000 तक पहुंचाने की कोशिश है। किशोर ने कहा, 'हमने 8-9 छोटे रिटेल चेन कारोबार अधिग्रहित कर लिए हैं और हम देश के सबसे बड़ा छोटे स्टोर्स वाला नेटवर्क बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'हर कोई भारत 1 (एलीट क्लास लोगों) पर पकड़ बनाना चाहता है जो कि कुल जनसंख्या का मात्र 10 फीसदी है। हमारा उद्देश्य भारत 2 और भारत 3 (मध्यम वर्गीय और निम्न आर्थिक स्तर के लोगों) पर पकड़ बनाना है। मध्यमवर्गीय लोगों की संख्या देश की कुल जनसंख्या का 40-45 % है।'
साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि फ्यूचर ग्रुप डिलिवरी आसान बनाने और वेस्टेज कम करने के उद्देश्य से छोटे कस्बों में फूड ग्रिड स्थापित कर रहा है। कंपनी का मानना है कि कोई भी उत्पाद स्टोर से 200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय नहीं करता है। उनका विश्वास है फूडहॉल नाम से फ्यूचर ग्रुप का फूड कारोबार आने वाले दो सालों में 500 करोड़ का हो जाएगा।
जब ऑडियंस में बैठे एक शख्स ने किशोर से भारत में ड्रोन से सामान डिलिवरी की संभावनाओं के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'वे (ड्रोन) सबसे बड़ा डिलिवरी सिस्टम हैं। अगर भारत में उन्हें कानूनी तौर पर वैध कर दिया जाता है तो उनका प्रयोग सबसे पहले हम करेंगे लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह आने वाले कुछ सालों में हो पाएगा।'
आगे उन्होंने कहा, भारत सबसे अच्छा कंज्यूमर बाजार है। व्यवसाय को फलने फूलने के लिए जनसंख्या चाहिए। भारत और चीन के पास ये है लेकिन चीन में एंट्री नहीं है। इसलिए भारत कारोबार के लिए अच्छा देश साबित होता है और इसी कारण यहां ईस्ट और वेस्ट, दोनों ओर से पैसे आते हैं।'
बिजनेस कैसे करें?
एक सीजनल उद्यमी के तौर पर किशोर बियानी ने नए उद्यमियों के लिए काम की सलाह दी है। उन्होंने कहा, 'ज्यादा मत सोचिए और ज्यादा ज्ञान मत रखिए। मुझे लगता है कि नजरअंदाजी सबसे बड़ी चीज है। अगर मैंने MBA किया होता तो मैं कभी ऐसा बिजनेस खड़ा करने लायक नहीं होता।' फ्यूचर ग्रुप के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा 'सीखना पड़ता है सबसे। हमने पहले नहीं सीखा तो हम अब सीख रहे हैं।'
यह भी पढ़ें: पेटीएम के विजय शेखर शर्मा ने बताई अपनी कहानी