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इसे कहते हैं समाज के लिए काम, 19 साल के युवा के जज़्बे को सलाम...

लर्नलैब्सडाॅटइन के द्वारा अपने आस-पास के बच्चों को कर रहे हैं शिक्षितएक आॅनलाइन पोर्टल के अलावा कई अन्य उल्लेखनीय कार्य करवा रहे हैं मशहूरपरिवार के सहयोग के साथ कुछ वरिष्ठ शिक्षाविदों को अपने साथ जोड़ने में हुए कामयाबवड़ोदरा के शारदा मंदिर आश्रम स्कूल को बनाया प्रयोगशाला

इसे कहते हैं समाज के लिए काम, 19 साल के युवा के जज़्बे को सलाम...

Wednesday April 29, 2015 , 5 min Read

गुजरात के वड़ोदारा के पदर के रहने वाले 19 वर्षीय मिहिर पाठक ने अपनी काॅलेज की पढ़ाई बीच में छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ऐसा कर दिखाया जिसने उनके इस छोटे से कस्बे को दुनिया के नक्शे पर एक अलग ही पहचान दिलवा दी। छोटी सी इस उम्र में मिहिर ने एक वैकल्पिक शिक्षा केंद्र की स्थापना करने का साहस दिखाया और आज वे कई बच्चों का जीवन संवारने में मदद कर रहे हैं। मिहिर कहते हैं कि, ’’मैं खुद को स्कूल या काॅलेज में होने वाली पढ़ाई के साथ जोड़ नहीं पा रहा था। मुझे लगता था कि सीखने के लिये इससे बेहतर और भी विकल्प हो सकते हैं और इसीलिये मैंने काॅलेज छोड़ने का फैसला किया।’’


काॅलेज छोड़ने के निर्णय लेने के बाद वे यात्रा पर निकल पड़े और अरावली की मनोरम पहाडि़यों पर जा पहुंचे। ‘‘मेरे साथ सबसे अच्छी बात यह रही कि मेरा परिवार मेरे समर्थन में खड़ा था। मैंने देश के कुछ वैकल्पिक शिक्षा केंद्रों में जाकर कुछ समय बिताया और वहीं से मुझे खुद का कुछ शुरू करने की प्रेरणा मिली,’’ मिहिर बताते हैं। जल्द ही उन्होंने ऐसा ही कुछ किया और लर्नलैब्सडाॅटइन के साथ दुनिया के सामने आए। लर्नलैब्सडाॅटइन के बारे में बताते हुए मिहिर कहते हैं कि, ’’यह वंचित बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में सीखने और सिखाने के एकीकृत तरीके का प्रयोग कर आदर्श स्कूलों का निर्माण करने की दिशा में एक नई पहल साबित होगा।’’

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मिहिर अपने इस रोमाचक सफर के बारे में काफी खुलकर बात करते हैं। वर्तमान में पदर के सरकारी स्कूल के सहयोग से इनका काम पूरे जोरों पर शुरू हो चुका है। मिहिर कहते हैं कि, ‘‘ हम मुनि सेवा आश्रम स्कूल के पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के सभी छात्रों के लिए एमआईटी स्क्रैच को प्रारंभ करने जा रहे हैं। इसके अलावा कक्षा छः और सात के कुछ छात्रों के साथ हमारा पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है।’’ इस सपने को अमली जामा पहनाने में उनके दोस्त और संरक्षक सम्यक भूटा ने उनका पूरा सहयोग किया।


मिहिर हमारे साथ बीते कुछ समय में उनके द्वारा किये गए कुछ कार्यों को साझा करते हैं जिनमें से अधिकतर उल्लेखनीय हैं।


एक आॅनलाइन लर्निंग पोर्टल (http://evidyalay.net/) का शुभारंभ


विज्ञान के लिये समर्पित ब्लाॅग - प्रयोगघर (http://prayogghar.wordpress.com/) का शुभारंभ


(http://learnapt.com/) में कंटेट डवलपर के रूप में इंटर्नशिप


जनवरी 2014 से मुनि सेवा आश्रम में टीचिंग फैलो के रूप में स्वयं सेवा शुरू करना


‘मस्ती के साथ ज्ञानवर्धन’ कार्यशाला के 50 सफल सत्र पूरे करना जिसके तहत मुनि सेवा आश्रम स्कूल में समुदायिक साइंस लैब और कंप्यूटर लैब बनाया गया।


आॅफलाइन शैक्षिक सामग्री के साथ 100 रास्पबेरी पीआई लोड को स्थापित किया (http://worldpossible.org/)


ओपन सोर्स शैक्षिक सामग्री क्यूरेशन परियोजना (https://github.com/Mihirism/bodhi) का शुभारंभ


मेक इंडिया आंदोलन के साथ 2 महीने की इंटर्नशिप (http://makeindiamovement.com/)


एमआईटी मीडिया लैब इंडिया के डिजाइन नवाचार कार्यशाला के लिए स्वयं सेवा (http://india.media.mit.edu/)


मोटवानी जडेजा फाउंडेशन द्वारा आयोजित मेकरफेस्ट 2015 के लिए स्वयं सेवा (http://makerfest.com/) जो अब नवाचार शिक्षण का एकीकृत तरीके से उपयोग करके मॉडल स्कूल को विकसित करने जा रहे हैं।


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मिहिर अपने इस सफर में अकेले नहीं हैं। वे कुछ वरिष्ठ प्रोफेसरों को अपना मकसद समझाने में कामयाब रहे और उन्होंने नरेंद्र फांसे और सुरेश जैन को लर्नलैब्स के निदेशक के रूप में अपने साथ जोड़ा। इसके अलावा उनके पास उपक्रमों के प्रबंधन के लिए एक छोटी सी तकनीकी और संचालन टीम भी है। इनका इरादा शिक्षा की एक ऐसी अभिनव व्यवस्था को तैयार करना है जिसकी सहायता से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए। मिहिर कहते हैं कि, ‘‘ अपनी परियोजना के पहले चरण के तहत हम मुनि सेवा आश्रम, वड़ोदरा द्वारा समर्थित शारदा मंदिर आश्रम स्कूल में कार्य कर रहे हैं।’’


निःसंदेह एक छोटी से जगह से आने वाले किशोर के लिये यह एक बहुत बड़ा कदम है और आप इस दुनिया में किसी को कमतर नहीं आंक सकते हैं। मिहिर कहते हैं, ‘‘मेरा परिवार मेरे इस कदम को लेकर काफी सशंकित था। जल्द ही मेरे सभी साथी स्नातक होंगे लेकिन मैंने एक बिल्कुल ही अलग रास्ता चुना। पढ़ाई बीच में छोड़ने का फैसला मेरा अपना था और मैंने उन्हें इसके बारे में विस्तार से समझा दिया था और सौभाग्य से वे मुझे एक मौका देने के लिये तैयार थे।‘‘ इनका मुख्य उद्देश्य एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है जिसका उपयोग शिक्षा के वैकल्पिक क्षेत्र के रूप में किया जा सके लेकिन फिलहाल तो इनकी टीम विभिन्न स्कूलों का दौरा कर छात्रों को सिखाने का काम कर रही है।


इस छोटे से सफर के दौरान मिहिर कुछ धन जुटाने में भी कामयाब रहे हैं और अब वे खुद को प्रतिमाह पांच हजार के वेतन का भुगतान करते हैं और अपने परिवार को गर्व से भर देते हैं। मिहिर इसे एक क्रांति का रूप बताते हुए अपने ब्लाॅग पर लिखते हैं, ‘‘लर्नलैब्स ऐसे छात्रों और व्यस्कों का एक समुदाय है जो अपने बारे में और बाहरी दुनिया के साथ अपने रिश्तों के बारे में जानना और सीखना चाहते हैं।’’


हालांकि यह क्रांति अभी अपने प्रारंभिक चरण में है लेकिन इसके संकेत बहुत ही सकारात्मक हैं। कुल मिलाकर वैकल्पिक शिक्षा के क्षेत्र में और भी कुछ अभूतपूर्व प्रयास किये गए हैं जिनमें से कुछ बेहद सफल रहे हैं। आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्थित ऋषि वैली शिक्षा केंद्र, तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन द्वारा चलाया जा रहा ईशा होम स्कूल और बैंगलोर के आसपास के इलाकों के 5 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिये चलाया जा रहा सेंटर फार लर्निंग इसके कुछ सफल उदाहरण हैं।


लर्नलैब्स ने इस सभी प्रयोगों को अपने लिये प्रेरणास्त्रोत के रूप में लिया और इनके कार्य करने के तरीकों से अपने को और अधिक सुदृढ़ बनाने में मदद ली। उम्मीद है कि आने वाले समय में अच्छे समर्थन और दृष्टिकोंण के सहारे पदरा देश के आगामी वैकल्पिक शिक्षा केंद्र के रूप में जाना जाएगा और पूरी दुनिया में पहचाना जाएगा।