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IIT में पढ़ते हैं ये आदिवासी बच्चे, कलेक्टर की मदद से हासिल किया मुकाम

जिस राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की पहुंच नहीं, वहां के बच्चे पढ़ रहे हैं IIT में...

IIT में पढ़ते हैं ये आदिवासी बच्चे, कलेक्टर की मदद से हासिल किया मुकाम

Wednesday January 24, 2018 , 3 min Read

कुठेकेला और जरगाम गांव के आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दीपक कुमार और नितेश पेनक्रा ने भी 21 बच्चों के साथ प्रवेश परीक्षा पास की थी। दोनों अब आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल डिपार्टमेंट में पढ़ाई कर रहे हैं।

आईआईटी दिल्ली में पढ़ने वाले नितेन और दीपक, फोटो साभार ANI

आईआईटी दिल्ली में पढ़ने वाले नितेन और दीपक, फोटो साभार ANI


जिस परिवेश से ये सभी बच्चे आते हैं उनके लिए आईआईटी जैसी परीक्षा पास करना काफी दूर की बात थी। लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन और कोचिंग मिली तो उन्होंने भी अपनी काबिलियत का परचम लहरा दिया। 

छत्तीसगढ़ देश का काफी पिछड़ा और नक्सल प्रभावित जिला माना जाता है। राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की पहुंच अभी नहीं हो पाई है। लेकिन यहां जशपुर जिले के 21 गरीब बच्चों ने आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों की प्रवेश परीक्षा पास कर दाखिला सुनिश्चित किया और अब वे देश के शीर्ष संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने ट्विटर पर इन्हीं में से दो बच्चों की कहानी साझा की है। कुठेकेला और जरगाम गांव के आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दीपक कुमार और नितेश पेनक्रा ने भी 21 बच्चों के साथ में प्रवेश परीक्षा पास की थी। दोनों अब आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल डिपार्टमेंट में पढ़ाई कर रहे हैं और दोनों अभी घर आए हुए थे।

इन दोनों युवाओं ने यह साबित कर दिया है कि चाहे हालात कैसे भी हों, अगर कोई सपना देखा जाए तो कठिन मेहनत से उसे पूरा भी किया जा सकता है। लेकिन इन सभी बच्चों की सफलता में जिले की कलेक्टर का भी योगदान रहा है। जशपुर की डिएम प्रियंका शुक्ला ने बताया कि ग्रामीण अंचल के शासकीय स्कूलों के मेधावी बच्चों को जिला मुख्यालय स्थित आवासीय विद्यालय में संकल्प कोचिंग की सुविधा मुहैया कराई गई। इन बच्चों को प्रारंभ से ही शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर से बेहतर सफलता हासिल करने के लिए प्रोत्साहन दिया गया। जिसकी बदौलत इन्हें आईआईटी जैसे संस्थानों में प्रवेश मिल सका।

अपने घर पर दीपक

अपने घर पर दीपक


जिस परिवेश से ये सभी बच्चे आते हैं उनके लिए आईआईटी जैसी परीक्षा पास करना काफी दूर की बात थी। लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन और कोचिंग मिली तो उन्होंने भी अपनी काबिलियत का परचम लहरा दिया। कोचिंग के अलावा संकल्प संस्थान में बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ाया जाता था। इन मेधावी बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें बड़े-बड़े शहरों में ले जाया गया था। क्योंकि उन्होंने कभी अपने गांव के बाहर कदम भी नहीं रखा था। इससे ग्रामीण अंचल के मेधावी बच्चों का आत्मविश्वास और मजबूत हुआ।

कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने बताया कि जशपुर जिले से आईआईटी और एनआईटी के लिए चयनित इन मेधावी बच्चों में अधिकतर बच्चे अनुसुचित जनजाति वर्ग के हैं। उनके परिवार की हालत ऐसी नहीं है कि वे अच्छी पढ़ाई वहन कर सकें। कलेक्टर ने बताया कि जिले में एकलव्य आश्रम स्कूल की भी एक आदिवासी बालिका ने एनआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफलता दर्ज कराई है। दीपक और नितेन का सेलेक्शन जब आईआईटी में हुआ था तो कलेक्टर प्रियंका ने अपनी सैलरी से उनके लिए फ्लाइट का टिकट बुक करवाया था ताकि वे पहली बार अपने कॉलेज प्लेन से जा सकें। इन सभी बच्चों को राज्य के सीएम रमन सिंह द्वारा भी पुरस्कृत किया जा चुका है।

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