Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

इस नई बीमारी से रहिए सावधान वरना जा सकती है जान!

केरल पर 'निपाह' वायरस का कहर, पूरा देश चौकन्ना, कई राज्य अलर्ट पर  

इस नई बीमारी से रहिए सावधान वरना जा सकती है जान!

Friday May 25, 2018 , 7 min Read

केरल पर 'निपाह' वायरस के कहर ने पूरे देश को चौकन्ना कर दिया है। इस वायरस की चपेट में आए सोलह लोग अब तक अपनी जान से हाथ धो चुके हैं। दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई राज्य अलर्ट पर हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पूरे देश के लिए एडवायजरी जारी की है। रेलवे अपने यात्रियों पर खास नजर रख रहा है। डॉक्टरों की हिदायत है कि खजूर, केला और आम धोकर ही खाएं, वायरस पीड़ितों अथवा ऐसे मृतकों के शव और चमगादड़ों, सूअरों, कुत्तों, घोड़ों से दूर रहें।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर


जो भी इस बीमारी की चपेट में आता है, पांच से चौदह दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द से तड़पता रहता है। चौबीस से अड़तालीस घंटे के बीच मरीज़ कोमा में पहुंच जाता है। इंफ़ेक्शन होते ही सांस लेने में तकलीफ होती है, साथ ही न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी हो सकती हैं। 

केरल पर निपाह वायरस के कहर ने पूरे देश को चौकन्ना कर दिया है। उत्तरी केरल में में फैली इस बीमारी से अब तक सोलह लोगों की जानें जा चुकी हैं। राज्य में वायरस के संक्रमण से मरनेवालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात इतने गंभीर हो चले हैं कि निपाह पीड़ितों का इलाज करनेवाली नर्सों को समाज से बहिष्कृत किया जा रहा है। मरीज़ों का इलाज कर रहीं कई नर्सें भी इंफेक्शन की शिकार हो चुकी हैं। उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बस, रिक्शे वाले नर्सों को ले जाने से साफ मना कर दे रहे हैं। कब्रिस्तान के स्टॉफ के लोग वायरस संक्रमित शव दफनाने से बच रहे हैं। अस्पतालों में निपाह पीड़ितों का इलाज करने वाले स्टॉफ और तीमारदारों तक को अलग कर दिया जा रहा है। पूरे राज्य में लोगों में भारी दहशत फैली हुई है। राज्य सरकार की तरफ से कंट्रोल रूम खोले गए हैं, जो 24 घंटे सक्रिय रखे जा रहे हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोगों को निपाह वायरस से बचने के तरीकों को अपनाने की अपील की है।

इस जानलेवा वायरस से सतर्कता के तौर पर देश के विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक सभाओं पर रोक लगा दी गई है। बर्मापापड़ी क्षेत्र के एक स्कूल परिसर में करीब अठारह मृत चमगादड़ मिलने के बाद से हिमाचल प्रदेश भी इस वायरस की दहशत में आ गया है। हालांकि चिकित्सा अधिकारियों ने इसे अफवाह करार दिया है। राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ ने प्रदेश में निपाह वायरस की रोकथाम के लिए अधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं क्योंकि केरल में काफी संख्या में राजस्थानी प्रवासी रहते हैं। गोवा सरकार ने भी चिकित्सकों को सतर्कता के निर्देश दिए हैं। इस बीच आशंका जताई गई है कि वायरस बंगाल पहुंच चुका है।

बेंगलुरू से तेज बुखार की हालत में लौटे संक्रमित एक राजमिस्त्री को कोलकाता के बेलिघाटा आइडी अस्पताल में भरती कराया गया है। दिल्ली-एनसीआर में अलर्ट जारी कर दिया गया है। केरल से दिल्ली की ओर आने वाली ट्रेनों पर रेलवे अधिकारी विशेष नजर रख रहे हैं। रेलवे के डॉक्टरों की टीम हाई अलर्ट पर है। इस संबंध में छोटी से छोटी सूचना रेलवे प्रशासन को देने के निर्देश हैं। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी लगातार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संपर्क में बने हुए हैं। वायरस से प्रभावित केरल के कालीकट और मल्लापुरम जिले में एम्स और सफदरजंग के दो डॉक्टरों की टीम जांच के लिए भेजी गई हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पूरे देश के लिए एडवायजरी जारी करते हुए ऐसे ज्यादा जोखिम वाले इलाकों में एहतियाती कदम उठाने ताड़ी, जमीन पर पड़े पहले से खाए हुए फलों का सेवन न करने, पुराने बंद पड़े कुओं की ओर न जाने, इस वायरस से मृत लोगों की शव यात्रा में शामिल न होने, चमगादड़, सूअर, कुत्तों, घोड़ों आदि से दूर रहने का सुझाव दिया है।

हमारे देश में सिर्फ पुणे (महाराष्ट्र) के एक संस्थान में ही वायरस की जांच करने और उनके टीके तैयार कराने का काम होता है। इस बीच भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आईसीएमआर) ने ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड सरकार को खत लिखकर उससे वहां विकसित की गई एक एंटीबॉडी उपलब्ध कराने को कहा है, जिससे यह जांचा जा सके कि क्या यह इंसानों में भी वायरस को ‘काबू’ कर सकती है। इस एंटीबॉडी का परीक्षण अब तक इंसानों पर नहीं हुआ है। ऑस्ट्रेलिया में इसका सिर्फ विट्रो (शरीर के बाहर कृत्रिम परिस्थितियों में, अक्सर परखनली में) परीक्षण हुआ है और इसे प्रभावी पाया गया। इससे टीका नहीं बनेगा।

आईसीएमआर भारत में जैव चिकित्सकीय शोध के निष्पादन, समन्वय और संवर्धन के लिए सर्वोच्च निकाय है। इसी तरह आज से लगभग सौ साल पहले स्पेनिश फ्लू की महामारी ने तहलका मचाया था। जानकार बताते हैं कि वर्ष 1918 में दुनिया में तबाही मचाने वाले स्पेनिश वायरस के आगे निपाह कुछ भी नहीं है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान स्पेनिश फ्लू नाम की महामारी ने दुनिया की एक तिहाई आबादी को अपनी चपेट में लेते हुए एक ही झटके में पांच करोड़ लोगों की जान ले ली थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वर्ष 1998 में मलेशिया में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था। मलेशिया के सुंगई निपाह गांव के लोग सबसे पहले इस वायरस से संक्रमित हुए थे। इसलिए इसका नाम 'निपाह' पड़ा। उस दौरान जो किसान इससे संक्रमित हुए थे, वे सुअर पालन करते थे। पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े से भी इंफेक्शन फैलने के मामले सामने आ चुके हैं। निपाह वायरस जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। खासतौर से चमगादड़ इस वायरस के संवाहक होते हैं, जिन्हें फ्रूट बैट भी कहा जाता है। जब ये चमगादड़ कोई फल खा लेते हैं और उसी फल अथवा सब्जी को जब कोई इंसान या जानवर खा लेता है तो वह संक्रमित हो जाता है।

निपाह वायरस इंसानों के अलावा जानवरों को भी प्रभावित करता है। इसकी अब तक कई वैक्सीन नहीं तैयार हो पाई है। 1998 के बाद जहां-जहां निपाह के बारे में पता चला, इस वायरस के संवाहक माध्यम स्पष्ट नहीं हो सके थे। वर्ष 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आ गए। सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है।

जो भी इस बीमारी की चपेट में आता है, पांच से चौदह दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द से तड़पता रहता है। चौबीस से अड़तालीस घंटे के बीच मरीज़ कोमा में पहुंच जाता है। इंफ़ेक्शन होते ही सांस लेने में तकलीफ होती है, साथ ही न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी हो सकती हैं। दिमाग में सूजन होने लगती है। मांसपेशियां टीसने लगती हैं। यह वायरस बड़ी तेजी से फैलता है और दिमाग में पहुंचकर जानलेवा हो जाता है। ऐसे में साफ सफाई रखना जरूरी है। बार-बार हाथ और पैर धोते रहें। बाहर से घर वापस आने पर बिना हाथ-पैर धोए किसी चीज को न छुएं। निपाह वायरस का लक्षण मिलने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही खांसी और छींकने वाले लोगों से दूर बैठें।

केरल की चिकित्साधिकारी डॉ. जयश्री वासुदेवन कहती हैं कि बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। समाजशास्त्रियों का कहना है कि इस समय कई तरह की गलत सूचनाएं भी फैलाई जा रही हैं। साथ ही लोग अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के बजाय मरीजों को नजरअंदाज करना ज्यादा आसान समझ रहे हैं। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर मोहसिन वली की हिदायत है कि वायरस का प्रसार रोकने के लिए केरल से आने वाले सभी लोगों के स्वास्थ्य की जांच होनी चहिए। खास तौर से उनकी जांच, जो बीस दिन पहले केरल से देश के अन्य हिस्सों में पहुंचे हैं। अस्पतालों में डॉक्टरों को भी सचेत रहने की जरूरत है। बेहोशी की हालत में कोई मरीज आता है तो लक्षण के आधार पर उसका इलाज होना चाहिए।

मनिपाल यूनिवर्सिटी के इपीडेमियोलॉजी विभाग के डॉ. अरुण कुमार बताते हैं कि निपाह वायरस चमगादड़ों के लार से फैलता है, इसलिए लोगों को इससे बचना चाहिए। अस्पतालों में यह एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। उस व्यक्ति के नजदीक नहीं जाना चाहिए, जो इस वायरस से पीड़ित हो। वायरस से मृत व्यक्ति के शव से भी दूर रहना चाहिए। तेज बुखार हो तो तुरंत अस्पताल जाकर अपना चेकअप कराएं। खजूर, केला और आम के फल धोकर खाएं। उल्लेखनीय है कि रमजान के महीने में खजूर सबसे ज्यादा खाया जाता है। देश के बाकी हिस्सों में भारी मात्रा में केले और खजूर केरल से मंगाए जाते हैं।

यह भी पढ़ें: न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी में टॉपर बनीं बिहार की शानिनी