कठिन हालात में पत्नी सारा ने संवारा सचिन पायलट का करियर
सचिन पायलट के केंद्रीय मंत्री और राजस्थान के उपमुख्यमंत्री बनने तक के सफर में एक ऐसी महिला शख्सियत का हाथ रहा है, जो जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटी-बहन हैं, नाम है सारा। पहले प्रेमिका, फिर एक सुयोग्य पत्नी के रूप में सचिन का करियर संवारने में आज भी सारा की महत्वपूर्ण भूमिका है।
ट्रेंड योगा इंस्ट्रक्टर सारा भी कमाई के मामले में किसी से पीछे नहीं हैं। विधानसभा चुनाव से पहले पायलट ने एफिडेविट में अपनी संपत्ति पांच करोड़ घोषित की थी। एफिडेविट के अनुसार सचिन की आय सारा से काफी कम है।
अभी-अभी राजस्थान के उपमुख्यमंत्री बने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की सियासत के साथ एक ऐसी प्रेम कहानी का सिलसिला भी चर्चाओं में आ जाता है, जो उनकी जिंदगी के अंतरंग पन्ने पलटने लगता है। जिस तरह हर पुरुष की सफलता में किसी स्त्री का हाथ होता है, सचिन पायलट की जिंदगी का वैसा ही यथार्थ हैं जम्मू- कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह की बेटी सारा अब्दुल्ला। बात वर्ष 2004 की है। मकर संक्रांति का त्योहार बीत चुका था। दिल्ली में कड़ाके ठंड पड़ रही थी। 20, केनिंग लेन में गहमागहमी थी।
अगले दिन यहां ऐसी शादी होने वाली थी, जिसपर सत्ता के गलियारों की भी खास नजर थी। 15 जनवरी को ये घर शादी का गवाह बना। दूल्हा थे सचिन पायलट और दुल्हन सारा अब्दुल्ला। उस समय सारा के पिता डॉ. फारूक अब्दुल्ला लंदन में थे और उनके भाई भाई उमर अब्दुल्ला अंपेडिसाइटस के इलाज के लिए दिल्ली के बत्रा हास्पिटल में भर्ती थे। लोगों को अचरज था कि अब्दुल्ला परिवार का कोई भी व्यक्ति शादी में शामिल होने वाला मौजूद नहीं था। हकीकत तो ये थी कि ये शादी अब्दुल्ला परिवार के गले नहीं उतर रही थी। आज सचिन और सारा के दंपति बने हुए डेढ़ दशक से अधिक का वक्त बीत चुका है। वह केंद्र सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं और अब आज देश के एक बड़े प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में सियासत के और भी ऊंचे शिखर पर पहुंच चुके हैं। आज सारा और सचिन के दो बेटे हैं- आरान और विहान।
सारा कोई आसान जिंदगी नहीं जीती हैं। उनके अपने सामाजिक सरोकार हैं। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की मदद करते हुए समाज में खुद की एक अलग पहचान बनाई है। वह जानी पहचानी योगा इंस्ट्रक्टर भी हैं। इस विधानसभा चुनाव में भी उनकी मुख्य भूमिका रही है। शादी से वर्षों पहले सचिन से सारा की जब प्रेम कहानी शुरू हुई थी, दोनों लंदन में थे। पहली बार एक पारिवारिक क्रार्यक्रम में दोनों की मुलाकात हुई। एक-दूसरे के निकट आए। रोमांस के दौर चले और सचिन लंदन से अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत लौट गए। सारा लंदन में ही पढ़ाई करती रहीं लेकिन रिश्ता गहराता जा रहा था।
एक दिन सिमी ग्रेवाल शो में दोनों एक साथ उपस्थित थे। उस दिन सारा ने शो में कहा- 'हम दोनों फोन, मैसेज, ईमेल से एक दूसरे के संपर्क में रहते थे। फोन पर लंबी बातें होती थीं। बिल बहुत ज्यादा आ जाता था। दोनों ने महसूस किया कि वे एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। उन्हें लगने लगा कि अब शादी कर लेनी चाहिए। ये बात अब घर में बतानी थी। उन्हें अंदाजा तक नहीं था कि जब वे अपने परिवार वालों से यह भेद शेयर करेंगे, चिंगारियां फूट पड़ेंगी।' सचिन ने उस शो में बताया- 'मैं भाग्य और डेस्टिनी में विश्वास करता हूं। ये मेरी और सारा की जिंदगी का सवाल था। हम जानते थे कि शादी करके हम खुश रहेंगे। इससे ज्यादा महत्वपूर्ण मेरे लिए कुछ नहीं था।'
सचिन अपने घर वालों को राजी करने में सफल हो गए, लेकिन सारा के लिए यह कठिन चैलेंज था। यद्यपि उनके पिता और भाई, दोनों ने लवमैरिज की थी, उनके घर में कत्तई मज़हबी कट्टरता का माहौल भी नहीं था, फिर भी दोनों के खुले दिमाग का होने के बावजूद सारा-सचिन का रिश्ता उनके गले नहीं उतर रहा था। फिर सारा और सचिन ने खुद कदम आगे बढ़ा लिए। और आज उनका दांपत्य तो खूब खुशहाल है ही, दोनों परिवारों की कड़वाहट भी जाने कब की समाप्त हो चुकी है।
ट्रेंड योगा इंस्ट्रक्टर सारा भी कमाई के मामले में किसी से पीछे नहीं हैं। विधानसभा चुनाव से पहले पायलट ने एफिडेविट में अपनी संपत्ति पांच करोड़ घोषित की थी। एफिडेविट के अनुसार सचिन की आय सारा से काफी कम है। उनकी इनकम 10 लाख रुपए बताई गई है, जबकि, सारा पायलट की आमदनी सोशल वर्क से ही सालाना 19 लाख रुपए से ज्यादा की हो जाती है। हलफनामे में बड़े बेटे आरान के नाम 13.68 लाख और छोटे बेटे विहान के नाम 2.59 लाख रुपये की चल संपत्ति घोषित है। सचिन के मुश्किल सफर में सारा हमेशा एकजुट और जीवट के साथ सक्रिय रही हैं।
उन्होंने ही पायलट परिवार की पूरी जिम्मेदारी उठा रखी है। सारा कहती हैं कि हमारी शादी आसान नहीं थी। शादी से पहले सचिन ने कभी राजनीति में करियर बनाने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन पिता राजेश पायलट की मौत के बाद उन्हें राजनीति में आना पड़ा। शादी के कुछ महीनों बाद ही वे राजनीति में आ गए और चुनाव भी लड़ा। उस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई और मेरे पिता ने भी उन्हें दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया। सारा का साथ पाकर सचिन राजनीति में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए।
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