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फिल्म प्रोडक्शन का काम छोड़ पूनम ने केक की दुनिया में 'Zoeys BakeHouse' के नाम से किया धमाल

फिल्म प्रोडक्शन का काम छोड़ पूनम ने केक की दुनिया में 'Zoeys BakeHouse' के नाम से किया धमाल

Tuesday November 03, 2015 , 7 min Read

‘द गोल्डन कम्पास’ और ‘लाइफ आॅफ पाई’ जैसी दो आॅस्कर अवॉर्ड विजेता फिल्म और ऐसी ही सैकड़ों नामी फिल्मों का हिस्सा रही पूनम मारिया प्रेम पर केक बनाने का धून ऐसा चढ़ा कि उन्हों ने अपने लगभग एक दशक के फिल्म प्रोडक्शन के करियर को अलविदा कह दिया। पूनम फिल्म प्रोडक्शन के विजुअल इफेक्ट्स के क्षेत्र में काम करती थीं।

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हालांकि वे अबसे सात वर्ष पूर्व ही बेकरी के काम में महारथ हासिल कर चुकी थीं लेकिन वर्ष 2012 में अपनी बेटी के तीसरे जन्मदिन के अवसर पर एक सुंदर से जानवर की थीम पर आधारित केक तैयार करने के अपने प्रयास के दौरान उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि उन्हें केक बनाने की इस कला में खुलकर हाथ आजमाना चाहिये।

हम बात कर रहे हैं हैदराबाद स्थित ज़ोइस बेकहाउस (Zoeys BakeHouse) और उसकी स्वामिनी पूनम मारिया प्रेम की। पूनम बताती हैं, ‘‘मेरे मन में सबसे पहले यह ख्याल आया कि आखिर यह कितना मुश्किल हो सकता है। और अगर यह ठीक नहीं बना तो तो भी यह रहेगा तो मेरा ही केक।’’

बेकिंग ने पूनम का पीछा नहीं छोड़ा

इसके बाद पूनम अपने काम में व्यस्त हो गईं। इसके बाद उनका बेकिंग से दोबारा वास्ता तब पड़ा जब उनकी एक सहयोगी ने उनसे अपनी बेटी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले समारोह के लिये इंद्रधनुष की थीम पर आधारित एक केक बनाने की इल्तजा की।

पूनम कहती हैं, ‘‘यकीन मानिये मेरे ख्याल से वह मेरे द्वारा अपने जीवन में किया गया सबसे अधिक तनावपूर्ण कार्य था क्योंकि मैं हमशा यह सोचा करती थी कि वे लोग टीवी इत्यादि पर दिखाए जाने वाले इतने विशाल केक कैसे तैयार कर लेते हैं।’’

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समय अपनी गति से चलता रहा और पूनम अपने काम की जिम्मेदारियों के बीच घिरती चली गईं। तभी इस आपाधापी के बीच एक दिन उन्हें अपने कार्यालय के सहयोगी के अनुरोध पर दोबारा केक तैयार करना पड़ा। बीते दिनों को याद करते हुए पूनम बताती हैं, ‘‘इस काम को व्यवसायिक तौर पर करने का मेरा कभी कोई इरादा नहीं था लेकिन एक दिन अचानक मैंने अपनी बेटी ज़ोई के नाम से एक फेसबुक पेज तैयार किया (आगे चलकर यहीं से ज़ोइस बेकहाउस की नींव पड़ी)। हालांकि हो सकता है दूसरों को वह बेहद पसंद आया हो लेकिन मैं इसे बनाकर पूरी तरह से भूल ही गई थी। तभी एक दिन मेरे पति ने मेरा ध्यान इस ओर दिलाया कि मेरी पोस्ट फेसबुक पर वायरल हो गई है और लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है।’’

इसके बाद तो उनके पास आॅनलाइन कमेंट्स और आने वाले फोनों का तांता सा लग गया। लोग उनके बनाए हुए केक खरीदने के लिये तत्पर थे और पूनम अभी इसी पसोपेश में फंसी थी कि उन्हें बेकरी के क्षेत्र में भविष्य बनाना है या फिर जिस काम को वे कर रही हैं उसमें ही आगे बढ़ें क्योंकि उनका मुख्यधारा का करियर बहुत ही बेहतरीन स्थिति में था।

धीरे-धीरे सप्ताहांतों में पूनम ने व्यवसायिक आॅर्डर लेने प्रारंभ कर दिये। उनके लिये यह कार्य मनोरंजक होने के साथ-साथ संतोष प्रदान करने वाला भी था।

पूनम कहती हैं, ‘‘जब मेरे पास केक के आॅर्डरों की बाढ़ सी आ गई तब जाकर मुझे इस बात का अहसास हुआ कि यह काम भी अपने आप में एक बाजार है और छोटा-मोटा नहीं बल्कि बहुत बड़ा बाजार। इसे बड़ा बनाने के लिये सिर्फ पागलों की तरह कड़ी मेहनत करने के अलावा जागने वाली रातें, कुछ नाकामियां और इस नए काम के प्रति ढेर सारा प्यार चाहिये था और मैं यह सब करने को तैयार थी।’’

बेकिंग में पूर्णकालिक तरीके से आना

एक वर्ष बाद, फिल्म पर्सी जैकसन-सी आॅफ माॅनस्टर्स में काम करने के पश्चात पूनम ने रिद्म एंड ह्यूज़ के साथ अपनी नौकरी को अलविदा कहा और फिर उन्हें पीछे मुड़कर देखने की आवश्यकता नहीं पड़ी। अपने प्लान के साथ बने रहने के बारे में पूनम कहती हैं कि वास्तव में यह बहुत अच्छी कमाई वाला काम है लेकिन लेकिन इसमें लगने वाली कड़ी मेहनत के सापेक्ष में लोग इस काम को बहुत हल्के में आंकते हैं।

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पूनम का कहना है कि लोगों की तरफ से लगातार आने वाले सवालों और अनुरोधों, व्हाट्सएप्प पर आने वाले संदेशों, ईमेल, फोन काॅल्स, फेसबुक और कई बार तो खुद चलकर आने वालों के साथ तालमेल बनाए रखना वास्तव में काफी मुश्किल काम है। पूनम कहती हैं, ‘‘अधिकतर लोगों को लगता है कि यहां पर एक टीम काम कर रही है जबकि सच्चाई यह है कि अकेले अपने दम पर रोजाना इतना कुछ करना एक बहुत बड़ी चुनौती से पार पाने के बराबर है। मेरे पति इस काम के आधार हैं और उनके समर्थन के बिना ज़ोइस बेकहाउस एक दूर का सपना ही बनकर रह जाता।’’

व्यवसायी में बदलना

पहले एक स्वामी के तहत काम करना और अब स्वयं एक उद्यमी बनने के बाद पूनम को लगता है दोनों ही पक्षों के अपने-आपने सकारात्मक और नकारात्मक पहलू हैं। हालांकि ज़ोइस बेकहाउस से मिली मान्यता पूरी तरह से उनकी अपनी है और इसके दम पर बनी सार्वजनिक छवि पर वे गर्व महसूस करती हैं।

पूनम कहती हैं, ‘‘विज़ुअल इफेक्ट्स को तैयार करना बेहद कठिन काम है और कई बार तो काम के घंटे मावन क्षमता के पार तक खिंच जाते हैं। मुझे वह समय याद है जब मैं लगातार 14 से 15 घंटे तक काम करती थी और अपनी बेटी को देखने तक को तरस जाती थी। हालांकि अब भी मैं प्रतिदिन करीब 12 घंटे काम करती हूँ लेकिन अब मैंने काम और जीवन के बीच बेहतर सामंजस्य बनाने में सफलता पाई है और मैं जब भी जरूरत पड़ती है अपनी बेटी के लिये हर समय उपलब्ध हूँ।’’

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पूनम को एक उद्यमी के रूप में उपभोक्ताओं को संभालने के साथ उनसे लगातार संपर्क बनाए रखना और व्यापार को विस्तार देना सबसे अधिक कठिन काम लगता है। हालांकि यह पहले भी काफी कठिन था लेकिन जैसे-जैसे आप विकास करते हैं वैसे-वैसे ही लोगों के कौशल भी विकसित होते हैं। पूनम कहती हैं, ‘‘किसी के लिये भी अपने उपभोक्ताओं और बाजार को जानना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। कड़ी मेहनत का फल हमेशा मिलता है और अच्छा काम कभी भी सस्ता नही मिलता।’’

पूनम आगे कहती हैं, ‘‘कई बार काफी लंबे समय तक रसोई में ही रहना बहुत अधिक बोझिल हो जाता है लेकिन जैसे-जैसे आप इसमें रमते जाते हैं यह आपके जीवन का एक पर्याय सा बन जाता है।’’

महिलाओं का आत्मनिर्भर होना बेहद आवश्यक है

पूनम का कहना है कि उनका यह हमेशा से ही मानना रहा है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर होना चाहिये और जब तक उनका शरीर उनका साथ दे उन्हें खुद को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करना चाहिये फिर चाहे वे घर से काम कर रही हों या फिर कैसी भी पूर्णकालिक या अंशकालिक नौकरी इत्यादि। एक व्यवहारिक माँ पूनम कहती हैं, ‘‘बच्चों के बढ़ने के साथ आप भी बड़ी होती हैं और एक बार जब आपके बच्चे अपने जीवन में स्थापित हो जाते हैं तो आपने अपनी जो पहचान बनाई है वहीं पूरे जीवन आपके साथ साये की तरह रहती है।’’

पूनम के मन में अपना एक आॅफलाइन रिटेल आउटलेट प्रारंभ करने का विचार भी कुलबुला रहा है लेकिन एक बड़ी होती बेटी और काम में व्यस्त पति को ध्यान में रखते हुए हो सकता है कि उनके इस सपने को वास्तविक रूप लेने में कुछ और समय लगे।

एक सकारात्मक बात के साथ अपनी बात को विराम देते हुए पूनम कहती हैं, ‘‘लेकिन यह सपना एक दिन निश्चित ही साकार रूप लेगा। वह एक अलग विषय है कि चाहे ऐसा अभी हो या फिर कुछ समय बाद।’’

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