जिस लड़की का होने जा रहा था बाल विवाह, उसे नेशनल रग्बी टीम में मिला सेलेक्शन
देश में भले ही बाल विवाह को कानूनन जुर्म बना दिया गया है, लेकिन अभी भी कई इलाकों में यह कुप्रथा जारी है। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा लड़कियों को ही भुगतना पड़ता है। पिछले साल ऐसे ही हैदराबाजद की एक 16 साल की लड़की की शादी कराई जा रही थी, लेकिन ऐन मौके पर वह शादी रुक गई। अब वही लड़की स्पोर्ट्स के क्षेत्र में नाम कमा रही है...
अनुषा कहती है कि उसे नहीं पता कि किसने बाल अधिकार संगठन को उसकी शादी की जानकारी दी। लेकिन वह कहती है कि अगर उसकी शादी हो जाती तो आज वो यहां न होती। वह कहती है कि उसे नेशनल लेवल पर खेलने का मौका नहीं मिल पाता।
देश में भले ही बाल विवाह को कानूनन जुर्म बना दिया गया है, लेकिन अभी भी कई इलाकों में यह कुप्रथा जारी है। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा लड़कियों को ही भुगतना पड़ता है। पिछले साल ऐसे ही हैदराबाजद की एक 16 साल की लड़की की शादी कराई जा रही थी, लेकिन ऐन मौके पर वह शादी रुक गई। अब वही लड़की स्पोर्ट्स के क्षेत्र में नाम कमा रही है और अपने घर वालों को भी गर्व महसूस करने का मौका दे रही है। उस लड़की का नाम है बी. अनुषा। अनुषा को भारत की अंडर-19 रग्बी टीम में चयनित किया गया है। वह पहले तेलंगाना के लिए क्रिकेट भी खेल चुकी है।
एक साल पहले 2017 की बात है अनुषा ने अपनी 10वीं की परीक्षा दी ही थी कि घरवालों ने उसकी शादी तय कर दी। इतने कम उम्र में अनुषा भी अपने घरवालों के खिलाफ बोल नहीं पाई। उसे बचपन से ही यह बताया गया था कि इस उम्र के बाद लड़कियों की शादी हो जानी चाहिए। क्योंकि इसके बाद उन्हें अपने पति की सेवा करनी होती है और ससुराल की जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं। अनुषा की दादी ने ही उसे शादी के लिए मनाया था। लेकिन शादी के कुछ वक्त पहले ही शहर के एक बाल अधिकार संगठन 'बलाला हुक्कुम संघम' ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और शादी रुकवाई।
न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक अनुषा ने कहा, 'मैंने शादी के बारे में घरवालों के खिलाफ कुछ भी नहीं सोचा था। मुझे ऐसे लगा कि वे मेरे भले के लिए ही ऐसा कर रहे हैं।' अनुषा का जन्म नलगोंडा जिले के एक गांव में हुआ। वहीं पर उसकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा हुई। बाद में कुछ पारिवारिक कारणों से उसके पिता ने घर छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली। बाद में अनुषा की मां उसे और उसके भाई को लेकर हैदराबाद आ गई। अनुषा की मां ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करके अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। अनुषा कहती है, 'मुझे अपनी मां पर गर्व है कि उसने इतने कठिन हालात में भी मेरा पालन-पोषण किया।'
अनुषा कहती है कि उसे नहीं पता कि किसने बाल अधिकार संगठन को उसकी शादी की जानकारी दी। लेकिन वह कहती है कि अगर उसकी शादी हो जाती तो आज वो यहां न होती। वह कहती है कि उसे नेशनल लेवल पर खेलने का मौका नहीं मिल पाता। अनुषा 9वीं क्लास से ही क्रिकेट खेलती आ रही है। वह स्पोर्ट्स के क्षेत्र में ही अपना मुकाम बनाना चाहती है। लेकिन परिवार के दबाव में आकर उसने शादी का मन बना लिया था। इसी वजह से उसे टीम से बाहर भी कर दिया गया। लेकिन बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से शादी रुकी और उसकी मां की काउंसिलिंग की गई। जिससे वह अनुषा को उसके मुताबिक जिंदगी जीने के लिए राजी हो गई।
अनुषा के शिक्षकों और कोच ने उसकी काफी मदद की। वह कहती है, 'आज मैं जो कुछ भी हूं, कोच सर की बदौलत ही हूं। उन्होंने हर कदम पर मेरी मदद की और मेरा हौसला बढ़ाया।' बाल अधिकार कार्यकर्ता राघ ने कहा, 'पहले मुझे शादी के बारे में नहीं पता था, लेकिन जब मुझे पता चला तो मैंने शादी रुकवाई। अनुषा काफी तेज बच्ची है। अब वो अपनी जिंदगी में जो कुछ भी करना चाहती है उसे पूरा कराना हमारी जिम्मेदारी है। हम चाहते हैं कि वह स्पोर्ट्स के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करे और आत्मनिर्भर बने।' अनुषा को हाल ही में पुलिस कमिश्नर महेश भागवत ने सम्मानित किया था। अब वह हैदराबाद के सरूरनगर में ही अपनी पढ़ाई कर रही है और स्पोर्ट्स में भी ध्यान लगा रही है।
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