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जमीन के 550 मीटर अंदर शुरू हुई फिज़िक्स लैब, डार्क मैटर पर होगी रिसर्च

जमीन के 550 मीटर अंदर शुरू हुई फिज़िक्स लैब, डार्क मैटर पर होगी रिसर्च

Monday September 04, 2017 , 3 min Read

इस लैब में मौलिक भौतिक खोजों से जुड़े दुर्लभ प्रयोगों के लिए पुरानी यूरेनियम खदान में अंडरग्राउंड लैब का इस्तेमाल किया जाएगा।

फोटो साभार: सोशल मीडिया

फोटो साभार: सोशल मीडिया


कर्नाटक के कोलार गोल्ड फील्ड में खनन बंद होने की वजह से डार्क मैटर पर शोध का काम रोक दिया गया था, 25 साल बाद भारत में फिर से इसे आगे बढ़ाया जा सकेगा।

जादूगोड़ा खान की गहराई 905 मीटर है। यहां संचालित होने वाली खानों में जादुगोड़ा, हुट्टी सोने की खान के बाद दूसरी सबसे गहरी भूमिगत खान है।

झारखंड में जमशेदपुर के पास जादूगोड़ा की यूरेनियम खदान में 550 मीटर गहराई पर फिजिक्स की लैब बनाई गई है। परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर शेखर बसु ने जमशेदपुर से 30 किलोमीटर दूर भारतीय यूरेनियम निगम लिमिटेड (यूसीआईएल) की खान में 555 मीटर गहराई में बनाई गई प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। देशभर के फिजिक्स के साइंटिस्ट यहां डार्क मैटर पर रिसर्च कर ऊर्जा के नए स्रोत और तरीकों की संभावना तलाशेंगे। कर्नाटक के कोलार गोल्ड फील्ड में खनन बंद होने की वजह से डार्क मैटर पर शोध का काम रोक दिया गया था, 25 साल बाद भारत में फिर से इसे आगे बढ़ाया जा सकेगा।

इस लैब में मौलिक भौतिक खोजों से जुड़े दुर्लभ प्रयोगों के लिए पुरानी यूरेनियम खदान में अंडरग्राउंड लैब का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मौके पर बसु ने कहा, 'हम ब्रह्मांड में मौजूद संभवत: 30 प्रतिशत तत्वों में अनुमानित 5 फीसदी के बारे में ही जानते हैं और यह नई सुविधा हमें इन्हीं अज्ञात पदार्थों की खोज करने में मदद करेगी।' उन्होंने कहा कि हमने इस काम को शुरू कर दिया है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम इसमें सफल होंगे। हालांकि, हम मन मुताबिक रिजल्ट हासिल करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

इस लैब की स्थापना भारतीय यूरोनियम निगम और साहा परमाणु भौतिकी संस्थान, कोलकाता के द्वारा की गई है। 1992 की शुरुआत में कोलार कर्नाटक में भारत सोने की खान में इसी तरह की सुविधा को बंद करने के बाद भारतीय यूरोनियम निगम की यह नई भौतिकी प्रयोगशाला देश में अपनी तरह की पहली लैब होगी। अभी वर्तमान में जादुगोड़ा खान की गहराई 905 मीटर है। यहां संचालित होने वाली खानों में जादुगोड़ा, हुट्टी सोने की खान के बाद दूसरी सबसे गहरी भूमिगत खान है। हुट्टी खान की गहराई 1000 मीटर से ज्यादा है।

परमाणु उर्जा विभाग की योजनाओं पर चर्चा करते हुए बसु ने कहा कि टाटा मेमोरियल अस्पताल के तर्ज पर चार कैंसर अस्पतालों को विकसित करने की विभाग की योजना है। जो कि दुनिया के बेहतरीन संस्थानों में से एक होने के साथ सस्ता भी होगा। यह अस्पताल विशाखापट्टनम, मोहाली, संगरूर और वाराणसी में बनारस हिंदू विविद्यालय में प्रस्तावित हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग के चेयरमैन ने परमाणु ऊर्जा के बारे में कहा कि 2030 तक विभाग की अतिरिक्त 14,000 मेगावाट बिजली उत्पादन की योजना है। 

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