Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

बिहार के इस गांव में बेटी के पैदा होने पर आम के पेड़ लगाते हैं माता-पिता

बिहार के इस गांव में बेटी के पैदा होने पर आम के पेड़ लगाते हैं माता-पिता

Monday September 04, 2017 , 4 min Read

गांव के निवासी श्याम सुंदर सिंह ने अपनी बेटी के जन्म होने पर आम का एक पेड़ लगाया था। उन्होंने इसी आम के पेड़ की बदौलत अपनी बेटी की शादी भी की।

बेटी पैदा होने पर पेड़ लगाते परिजन

बेटी पैदा होने पर पेड़ लगाते परिजन


गांव के लोगों की इस पहल से दो-दो फायदे हो रहे हैं। एक तो समाज की बेटियों के प्रति जो मानसिकता पहले थी उसमें बदलाव आ रहा है, वहीं गांव का पर्यावरण भी तेजी से समृद्ध हो रहा है। 

ये आम के पेड़ जब बड़े होकर फल देने लगते हैं तो माता-पिता उसे बेचकर बेटी की पढ़ाई-लिखाई औऱ शादी के लिए पैसों को जमा कर देते हैं। 

भारतीय समाज में बेटी और बेटे को लेकर अधिकतर परिवारों की मानसिकता एक जैसी होती है। जहां बेटे के जन्म पर तो खुशियां मनाई जाती हैं वहीं दूसरी ओर बेटी के जन्म होने पर कुछ घरों में उदासी छा जाती है। लेकिन इस कड़वी हकीकत में धीरे-धीरे ही सही बदलाव आ रहा है। बिहार के भागलपुर जिले के धरहरा गांव में लोग लड़की के जन्म को एक समृद्धि के तौर पर देखते हैं और जन्म के बाद गांव में ही एक आम का पेड़ लगा दिया जाता है। ये लड़कियां जब बड़ी हो जाती हैं तो आम के उस पेड़ को अपनी सहेली मानती हैं और उसकी देखभाल करती हैं।

गांव के लोगों की इस पहल से दो-दो फायदे हो रहे हैं। एक तो समाज की बेटियों के प्रति जो मानसिकता पहले थी उसमें बदलाव आ रहा है वहीं गांव का पर्यावरण भी तेजी से समृद्ध हो रहा है। ये आम के पेड़ जब बड़े होकर फल देने लगते हैं तो माता-पिता उसे बेचकर बेटी की पढ़ाई-लिखाई औऱ शादी के लिए पैसों को जमा कर देते हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी इस गांव आ चुके हैं। 2010 में जब वे यहां आए थे तो गांव की एक बेटी लवी का जन्म हुआ था। सीएम ने उसके नाम पर एक आम का पेड़ लगाया था। सात साल बाद आज वह पेड़ फल देने लगा है।

गांव के निवासी श्याम सुंदर सिंह ने अपनी बेटी के जन्म होने पर आम का एक पेड़ लगाया था। उन्होंने इसी आम के पेड़ की बदौलत अपनी बेटी की शादी भी की। वह बताते हैं कि आम का कोई पेड़ जब बड़ा हो जाता है तो उसके फल से हर साल लगभग 2 लाख की आमदनी होती है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य में दहेजप्रथा का भी काफी प्रचलन है। इन दोनों राज्य में दहेज की वजह से न जाने कितनी औरतों की जान चली जाती है। लेकिन धरहरा गांव की बेटियां अपने आप को काफी सौभाग्यशाली समझती हैं क्योंकि यहां के लोग बेटियों को बोझ नहीं समझते और उन्हें बेटों जितना सम्मान और महत्व दिया जाता है।

अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक तरफ जहां बिहार के कई गांवों में लड़कियों को भेदभाद सहना पड़ता है वहीं इस गांव की लड़कियों के साथ आज तक किसी तरह के उत्पीड़न की कोई खबर सामने नहीं आई है। जिले के एसपी शेखर कुमार बताते हैं कि इस गांव में महिलाओं के साथ गलत व्यवहार की कोई रिपोर्ट नहीं आती है। इस पहल का असर आंकड़ों में भी साफ झलकता है। एक तरफ जहां भागलपुर का लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर सिर्फ 879 महिलाएं हैं वहीं धरहरा गांव में यह अनुपात 957 है।

डाक विभाग भागलपुर के अधीक्षक दिलीप झा ने बताया कि धरहरा की परंपरा से प्रभावित होकर इस गांव को सूबे का पहला सुकन्या ग्राम बनाने की ठानी है। इसको लेकर धरहरा की 535 लड़कियों के खाते खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक 100 लड़कियों के खाते खोले जा चुके हैं। अधीक्षक ने कहा कि यहां की बेटियां और उनके नाम पर लगाए गए फलदार वृक्ष अनमोल हैं। गांव में बेटियों की संख्या भी सर्वाधिक है। इसलिए इस गांव को सुकन्या ग्राम बनाने के लिए चयनित करने की योजना है। पर्यावरण संरक्षण और महिला अधिकार के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 2010 में ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इस गांव को मॉडल विलेज घोषित किया था। आज इस गांव में 1200 एकड़ एरिया आम और लीची के पेड़ों से घिरा हुआ है। 

यह भी पढ़ें: 'साहस' बना रहा झुग्गी के बच्चों को शिक्षित और उनके मां-बाप को आत्मनिर्भर