रिश्तों की दुनिया में क्रांति लाने वाला है डेटिंग ऐप 'लव-फ्ल्यूटर'
कंप्यूटर विज्ञान में कृत्रिम बुद्धि के शोध को 'होशियार एजेंट' का अध्ययन माना जाता है। टेक्नोलॉजी जो न कर गुजरे। 'लवफ्ल्यूटर' पहली डेट वाली जगहों का सुझाव देता है। यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। ऐप खोलते ही मीठी सी आवाज में ऑपरेटर पूछता है- आप अपनी पहली डेट में क्या करना चाहेंगे? चीन ने तो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी वाले न्यूज एंकर को पर्दे पर उतार दिया है।
मोहब्बतें करने वालो के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आ गया है। अच्छे पार्टनर की तलाश में अब तस्वीरें देखना, फेसबुक पर प्रोफाइलों को निहारने की जरूरत नहीं, बाजार में कुछ ऐसी डेटिंग ऐप दस्तक दे रही हैं जो आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की मदद से राहें आसान कर रही हैं।
शायर जकारिया शाज की एक लाइन है - 'मोहब्बत हौसला है अपना-अपना, कहीं मंज़िल, किसी का रास्ता है।' प्लेटो ने अपनी किताब ‘सिम्पोजियम’ में लिखा है कि इंसान को पूर्णता के लिए किसी और की जरूरत पड़ती है। लेखिका सिमोन द बोउआर कहती हैं कि रिश्ते लोगों को एक-दूसरे से मिलने और नई-नई बातें करने के मौके देते हैं। इससे जीवन अर्थपूर्ण हो जाता है। बर्ट्रेंड रसेल कहते हैं कि दुनिया से अकेले लड़ना, अकेले ही जिंदा रहने का संघर्ष करना डराता है। मोहब्बत उस डर से बचाती है। दार्शनिक आर्थर शोपेनहावर बताता है कि इच्छाएं ही इंसान को सोचने की ताकत देती हैं। इच्छाओं से दो इंसान मिलते हैं, फिर उनका ममत्व बच्चों पर बरसने लगता है। आज के दौर में जब हम इस तरह रिश्तों की बातें पढ़ते, लिखते, सुनते और जीते हैं तो पता चलता है कि आधुनिक टेक्नोलॉजी ने किस तरह रिश्तों पर कहीं चांदनी, कहीं कुहासा बिछा रखा है। वह किस तरह किसी को मोहब्बतों की सौगातें, किसी को नफरतों के अंगारे दे रही है।
कंप्यूटर विज्ञान में कृत्रिम बुद्धि के शोध को 'होशियार एजेंट' का अध्ययन माना जाता है। होशियार एजेंट यानी ऐसा सयंत्र, जो अपने पर्यावरण को देखकर, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करता है। कृत्रिम बुद्धि, कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है, जो मशीनों और सॉफ्टवेयर को खुफिया के साथ विकसित कर देती है। सबसे पहले सन् 1955 में जॉन मकार्ति ने इसको कृत्रिम बुद्धि का नाम दिया था। इस मशीनी कृत्रिम बुद्धि में अनुसंधान, तर्क, ज्ञान की योजना, धारणा और वस्तुओं में हेरफेर करने की क्षमता है। वर्तमान में इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सांख्यिकीय विधियों, कम्प्यूटेशनल बुद्धि और पारंपरिक खुफिया तकनीकों का सहारा लिया गया है।
कृत्रिम बुद्धि का दावा है कि मानव इस तकनीकी माध्यम से सामान्य ही नहीं, दार्शनिक मुद्दों के भी समाधान खोज सकता है। आज यह प्रौद्योगिकी मानवता की सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। मोहब्बतें करने वालो के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आ गया है। अच्छे पार्टनर की तलाश में अब तस्वीरें देखना, फेसबुक पर प्रोफाइलों को निहारने की जरूरत नहीं, बाजार में कुछ ऐसी डेटिंग ऐप दस्तक दे रही हैं जो आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की मदद से राहें आसान कर रही हैं। ये डेटिंग ऐप न केवल ये बताते हैं कि पहली मुलाकात में क्या बातें करनी हैं बल्कि ये पसंदीदा एवं विश्वसनीय पार्टनर खोजने में भी मदद करेगी। बाजार में टिंडर स्मार्टफोन ऐप पहले से ही है।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या एआई यानी प्राकृतिक बुद्धि के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित कृत्रिम बुद्धि। दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का एक ऐसा विज्ञान है, जिसमें कंप्यूटर को इंसानी मस्तिष्क की तरह सोचने और फैसले लेने के लिए प्रोग्राम किया जाता है। ऑनलाइन डेटिंग की शुरुआत करने वाली ऐप ईहारमनी ने घोषणा की है कि वह एआई तकनीक से लैस ऐसा फीचर ला रही है जो यूजर्स को चैटिंग के बाद मिलने का भी सुझाव देगा। कंपनी के सीईओ ग्रांट लांगस्टन का कहना है कि डेटिंग ऐप पर काफी सारी गतिविधियां होती हैं, लेकिन असल में कई लोगों को ये नहीं पता कि पूछना कैसे है, बातें कैसे करनी हैं? ये देखकर हैरानी होती है कि कितने सारे लोगों को मदद की जरूरत है। हम इस प्रक्रिया को ऑटोमेट करना चाहते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में हर बड़े देश काम कर रहे हैं लेकिन चीन में पहले आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी वाले न्यूज एंकर को पर्दे पर उतार दिया है। ये दुनिया का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला न्यूज एंकर है। इस एंकर ने अपने इन्ट्रो में कहा कि वो दुनिया के सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश के कोने-कोने से हर वक्त न्यूज इकट्ठा करेगा और उन्हें जानकारी देने के लिए पूरे हफ्ते सातों दिन और चौबीसों घंटे काम करेगा। एंकर इंसान जैसा दिखे, इसके लिए उसमें सिर हिलाने, पलकें झपकाने और भौंहे उठाने जैसे मूवमेंट डाले गए हैं।
ब्रिटिश डेटिंग ऐप लवफ्ल्यूटर की एआई का इस्तेमाल यूजर्स की चैट को देखकर उनके आपसी तालमेल को समझने की तैयारी में है। इसके बाद उन्हें मुलाकात के बारे में सुझाव दिया जाएगा। फिलहाल लवफ्ल्यूटर पहली डेट पर जाने के जगहों का सुझाव जरूर देती है। ऐप के सहसंस्थापक डियागो स्मिथ कहते हैं कि ये फीचर पहली डेट की तैयारी का प्रेशर कम करता है। टिंडर के संस्थापक शॉन राड का कहना है कि एआई यूजर्स को अच्छा अनुभव देगा और संभव है कि आईफोन का वॉयस अस्सिटेंट सिरी भविष्य में एक मैचमेकर की भूमिका निभाए। पूरी तरह आवाज से चलने वाली ऐप एआईएमएम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पहले से ही परीक्षण कर रही है।
इस ऐप के तकरीबन एक हजार यूजर्स हैं। जब यूजर इस ऐप को खोलता है तो मीठी से आवाज में ऑपरेटर उससे पूछता है कि आप अपनी पहली डेट में क्या करना चाहेंगे या कहां की यात्रा करना पसंद करेंगे। इसके बाद यूजर को उसके व्यक्तित्व के मुताबिक जोड़ीदार बताए जाते हैं। अगर यूजर किसी को चुनता है तो फिर उसकी पूरी जानकारी ऐप उसे देती है। इसके कुछ दिनों बाद ऐप यूजर और उसके चुने गए पार्टनर के बीच फोन कॉल का समय तय करता है, साथ ही पहली मुलाकात के लिए सलाह भी देता है। यद्यपि, दुनिया में ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जिन्हें नहीं लगता कि आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के जरिए इंसान रिश्ते भी खोज सकता है।
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