भारतीय दफ्तरों में बदल रहा है काम का तरीका
कंपनियां रख रही हैं उच्च योग्यता वाले पेशेवरों को नौकरी पर लघु अवधि के लिए रख रही हैं।
स्टार्टअप और लघु-मझोले उद्योगों ने अपने यहां काम करने वालों की नियुक्ति के मामले में एक लचीलेपन की संस्कृति को अपनाना शुरू कर दिया है, जिसे बड़ी कंपनियां भी अपना रही हैं। वे अपने यहां परियोजनाओं को चलाने और नयी पहलों को शुरू करने के लिए बड़ी मात्रा में स्वतंत्र पेशेवरों को नौकरी पर रख रही हैं।
यह बात फ्लैक्सिंग इट मंच की एक सर्वेक्षण रपट में सामने आई है। फ्लैक्सिंग इट दक्षिण एवं दक्षिण पूर्वी एशिया में स्वतंत्र तौर पर काम करने वाले पेशवरों का प्रबंधन करने वाला सबसे बड़ा मंच है।
परियोजना के आधार पर स्वतंत्र पेशेवरों की नियुक्ति कारोबारी रणनीति का आंतरिक हिस्सा बन चुकी है। इससे कंपनी के बढ़ते कारोबार की जरूरत के हिसाब से सही बजट में सर्वश्रेष्ठ योग्य व्यक्ति मिल जाता है।
फ्लैक्सिंग इट की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्रिका पासरिचा ने कहा कि भारत में कामकाज करने के तरीकों में लचीलेपन की संस्कृति बढ़ रही है। यह अच्छी बात है कि यह प्रवृत्ति सभी आकार के कारोबारों में देखी जा रही है। कंपनियां स्वतंत्र सलाहकारों इत्यादि को कामकाज में शामिल कर रही हैं।
स्वतंत्र तौर पर कार्य करने वाले पेशवरों में 61 प्रतिशत मांग मात्र तीन महीने के समय से भी कम के लिए होती है।
कंपनियां उच्च योग्यता वाले पेशेवरों को लघु अवधि के लिए नौकरी पर रखती हैं और यह नियुक्ति किसी बहुत विशेष कार्य के लिए ही की जाती है।